The only full timer out of the 200,000 Nepalis in the US to work for Nepal's democracy and social justice movements in 2005-06.
Friday, September 01, 2023
Wednesday, August 30, 2023
धर्म निरपेक्षता का इतिहास और वर्तमान
जिसे आज के आधुनिक राज्य में धर्म निरपेक्षता कहा जाता है उसका इतिहास समझना बहुत जरूरी है। उसकी जरूरत क्युँ महसुस हुई? वो इस परिवेशमें हुई जहाँ पर क्रिस्चियन धर्म के अलाबे और कोइ धर्म था ही नहीं। सिर्फ प्रोटेस्टैंट समुह के अंतर्गत आज ३०,००० से ज्यादा अलग अलग किस्म के चर्च हैं। कैथोलिक से टुट के प्रोटेस्टैंट ग्रुप बनी। आज भी आप को ढेर सारे प्रोटेस्टैंट मिल जाएंगे जो कैथोलिक को क्रिस्चियन मानते ही नहीं। तो क्या होता था की मारकाट हो जाती थी। तो जब अमेरिका देश बना तो वहां बिभिन्न क्रिस्चियन समुहों के बीच अमनचैन बनाने के प्रयास में धर्म निरपेक्षता को आगे लाया गया। वहां न कोइ हिन्दु या मुसलमान या यहुदी और बुद्धिस्ट की बात हो रही थी। सिर्फ और सिर्फ क्रिस्चियन की बात हो रही थी। और धर्म निरपेक्षता का मतलब ये नहीं समझा गया कि धर्म गलत है, धर्म मत मानो। धर्म निरपेक्षता नास्तिक बिचारधारा बिलकुल नहीं। किसी भी डॉलर बिल को उल्टा के देख लिजिए लिखा रहता है हम ईश्वर में विश्वास करते हैं। धर्म निरपेक्षता का मतलब ईश्वर न मानना, धर्म न मानना होता ही नहीं।
अमेरिका का प्रत्येक राष्ट्रपति बाइबल पर हाथ रख के शपथ लेता है। हाल ही में ब्रिटेन के हिन्दु प्रधान मंत्री ऋषि सुनाक ने गीता पर हाथ रख के शपथ लिया। किसी को कोइ दिक्कत नहीं हुई।
अमेरिका का सारा का सारा कानुन व्यवस्था बाइबल के टेन कमांडमेंट्स पर आधारित है। चोरी अपराध क्यों है तो टेन कमांडमेंट्स कहती चोरी पाप है।
तो एक ऐसा राजनीतिक सिद्धांत जो एक ऐसे जगह जहाँ सिर्फ अलग अलग क्रिस्चियन समुह काटमार कर रहे थे उसको हुबहु किसी दुसरे परिवेश में लाद देना या उससे भी एक कदम आगे बढ़ के गलत ब्याख्या करना लाजिमी बात नहीं।
कोइ नास्तिक आदमी अमेरिका का राष्ट्रपति चुना जा सकता है उसकी रत्ति भर भी संभावना नहीं। तो क्यों होते हैं आस्तिक अमेरिकी राष्ट्रपति? क्योंकि जीवन में सही और गलत को परखनेका दुसरा कोइ रास्ता नहीं।
अमेरिका में आज तक मैंने कहीं कुत्ते का मांस बेचते नहीं देखा। क्या वजह है? कोइ धार्मिक नहीं सिर्फ सामाजिक कारण है। घर घर में कुत्ता पाले हुवे हैं। बेटाबेटी की तरह मानते हैं कुत्ते को। तो कुत्ते को बेटाबेटी मान सकते हैं, गाय को माँ क्यों मानते है वो समझने में दिक्कत? माँ का भी दुध ही पिते हैं, गाय का भी दुध ही पिते हैं।
नेपाल के भुमि पर गाय का माँस खाना वर्जित होना न धर्म निरपेक्षता के विरुद्ध है और न धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध। नेपाल में आप कुत्ते का मांस खाइए, दिल चाहे तो गधे का मांस खा लिजिए। गधे को कोइ माईबाप नहीं बोल रहा।
धर्म निरपेक्षता का बहुत अपब्यख्या हो रहा है। धर्म का मतलब सही रास्ता। कर्तव्य।
धर्म निरपेक्षता सिर्फ ये कहती है कि धर्म के नाम पर हिंसा वर्जित है। धर्म के नाम पर मारकाट मत करो। वो ये नहीं कहती कि धर्म मत मानो, ईश्वर है ही नहीं, दुसरे के धार्मिक भावनाओं पर ठेस पहुँचाओ।
बाइबल में एक लिस्ट है। कौन कौन चीज खा सकते हैं। उस लिस्ट में गाय नहीं। अर्थात गाय खाने को बाइबल नहीं कह रही। यहुदी खसी, भेंड़ चढ़ाते थे अपने मंदिर में।