Thursday, January 27, 2022

देउबा सरकार, दमन बन्द करो, वार्ता करो

क्रान्ति के उत्कर्ष का समय

क्रान्ति के उत्कर्ष का समय अभी नहीं। ये क्रान्ति वार्ता के लिए प्रथम दिन से ही तैयार है। क्रान्ति करते रहना तो मजबुरी है। उद्देश्य तो वार्ता और समस्या समाधान है। लेकिन ताली एक हात से कैसे बजे? अगर साल दो साल करना पड़े तो करना पड़े। ये १०० मीटर का दौड़ नहीं। ये मैराथन रेस क्रांति है। तो अभी गति उसी प्रकार हो। गति पकड़ेगी समय आने पर। वार्ता नहीं किए, चुनाव घोषणा किए तब दो तीन हप्ते १०० मीटर रेस चलेगा। मधेस बंद होगा, चुनाव को विफल करने के लिए सारा देश बन्द होगा। सरकार गिरेगी, संविधान गिरेगी। अंतरिम संविधान फिर से जगे। क्रांति किसी भी नेता या पार्टी से बड़ी होती है। ये क्रांति सन २००६ से लगातार चलती आ रही है। नेता आएंगे नेता जाएंगे। नेता आए हैं नेता जाते रहेंगे। लेकिन ये क्रांति का अंतिम पड़ाव है। अब उत्कर्ष के बाद देश विधि के शासन, संसदीय प्रतिस्प्रधा और द्रुत आर्थिक विकास के मार्ग पर जाएगी। 

कोइ भी राजनीतिक व्यवस्था अगर अच्छी है तो देश को गरीबी समाप्ती के रास्ते ले जाएगी। देश पिछले १५ साल से उस मार्ग पर है ही नहीं। क्यों कि लोकतंत्र को इन लोगों ने आने ही नहीं दिया। कहा लोकतंत्र लाद दिया जनता के पिठ पर नेताराज, माफियाराज, गुंडाराज। 

वार्ता के लिए क्रांति सदैव तैयार है। चाहे तो यही सरकार माँग पुरा कर सकती है। चाहे तो संविधान संसोधन कर सकती है। १०० अलग अलग जगह। वो संभावना है लेकिन ताली एक हात से थोड़े बजती है? मेरे को नहीं लगता ये लोग वार्ता के रास्ते जाएंगे। 

सन २००५ से अभी तक मेरे को किसी भी नेपाली नेता के जान के खतरे की बात महसुस नहीं हुवी। वीरेन्द्र ने गणेशमान को मारने की नहीं सोंची। ज्ञानेंद्र ने गिरिजा के वध का प्रपंच नहीं रचा। प्रचंड घुम रहे हैं अभी तक। उपेन्द्र यादव पर कभी कोइ प्रहार नहीं हुवा। लेकिन आज देश में माफियाराज इस कदर फ़ैल गयी है कि एक मंत्री खुले मंच से क्रांति के नेता को मार डालने की धमकी देती है और उसका वीडियो है फिर भी वो अपने पद पर बरक़रार है। क्रांति आज २०४६ साल से और सन २००६ से और उसके बाद से ज्यादा कठिन है। भ्रष्टाचार ख़त्म करने की बात करो तो बहुतो को लगता है रोजीरोटी जा रहा है। वो कुछ भी करने पर उतर पड़ेंगे। इसिलिए तो क्रांति करनी पड़ रही है।  

क्रान्ति के उत्कर्ष का समय अभी नहीं। समय आएगा। तब क्रांति देश का कमांड अपने हाथ में लेगी। क्रांति नेपाल सेना को अपने कमांड में लेगी। नेपाल प्रहरी को अपने कमांड में लेगी। देश को प्रथम संविधान सभा में ले जाएगी। क्रांतिकारी संसद सबसे पहले ५०० न्यायधीश को वर्खास्त करेगी। संविधान सभा को बर्खास्त करने वाला तु कौन?