अहिंसा का रास्ता सबल रास्ता है। क्यों कि बात रहती है कि राजनीतिक चेतना को उपर ले जाना है। ज्यादा प्रभावशाली रास्ता है। अगर चुनावी अभियान का मार्ग उपलब्ध हो तो फिर हिंसात्मक आंदोलन की बात ही कहाँ उठती है?
अहिंसा के उदाहरण हैं महात्मा गाँधी। लेकिन उनका भी लक्ष्य था कि भारत पर भारतीय खुद शासन करेंगे। शासन का मतलब होता है प्रहरी प्रशासन सेना। न्याय के पक्ष में कानुन और कानुन के पक्ष में शक्ति का प्रयोग। हिंसा के प्रयोग में लैस होने के कारण ही अधिकांश समय पुलिस को हथियार का प्रयोग नहीं करना पड़ता है।
लेकिन कुछ लोग अर्थ लगा लेते हैं अहिंसा का मतलब है जो हो रहा है होने दो, विरोध मत करो। अन्याय भी सही, अत्याचार भी सही। प्रतिवाद मत करो।
जैसे कि किसी को माफ़ करना। माफ़ करना बलवान लोगों के बस की बात है। लेकिन सही और गलत में फर्क न देख सकने वाले तो माफ़ भी नहीं कर सकेंगे। गलत को गलत कहेंगे तब न माफ़ करेंगे।
अहिंसा के रास्ते राजनीतिक चेतना को इतना उँचा ले जाओ कि अन्याय और अत्याचार का भेदभाव का सख्त प्रतिवाद हो। जड़ से उखाड़ के फेंक देनेवाला प्रतिवाद। मटियामेट कर देनेवाला प्रतिवाद।