(१)
१० अरब कर देना है, बिजली बिल देना है, लोन लौटाना है, सब देते हैं तो वो जनता का पैसा। कितने अस्पताल बनेंगे? गाओं गाओं में मेस खड़ा हो जाएगा कि कोइ भुखा ना रहे। आ गया समाजवाद।
जो बिजनेस अपना बिजली बिल भी न भर सके, कर न तिर सके, अपना लोन न लौटा सके स्वाभाविक है वो बिजनेस देश के अर्थतंत्र पर बोझ बन कर बैठी हुइ है। खेत में होता है धान। उसी खेत में होते हैं वीड (weed) जो धान को बढ्ने नहीं देते। बैंकरप्सी लॉ के तहत ऐसे बिजनेस घरानो से पैसा वसुली करना पुंजीवादी अर्थतंत्र का परम कर्तव्य माना जाता है। ताकि स्वस्थ प्रतिस्प्रधा के लिए जगह बने।
(२)
विदेश से आता है सहयोग। गरीब जनता के नाम पर। धनी देश के गरीब जनता कर तिर के नेपाल के गरीब जनता के लिए पैसा भेजते हैं। पैसा ले लेंगे। योजना पास कर देंगे। १०-११ महिना हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे। अंतिम एक दो महिना में सब बांडचुड़ खा जाएंगे। किसी विदेशी ने कहा है नेपाल का कर्मचारीतंत्र शायद दुनिया का सबसे एफिसिएंट (efficient) कर्मचारीतंत्र है। इस तरह पैसा खाने में। कागज पर सब दुरुस्त बना देते हैं। उपत्यका के बहुत एकाउंटिंग फर्म सब उसमें सहयोग करते हैं।
सरकारी तलब खाने वालों की संख्या जितनी होनी चाहिए उससे चार पाँच गुणा ज्यादा है। डाउनसाइजिंग (downsizing) करने होंगे। उसको राइटसाइजिंग (rightsizing) करना होगा। आरक्षण को ख़तम करना होगा। २५० साल से चला आ रहा आरक्षण। अगर एक ही जात, समुदाय, पृष्ठभुमि के लोग ९०% हो जब कि उनका जनसंख्या में १०% है तो स्वाभाविक है वहाँ आरक्षण चल रहा है। ५१% में फ्री कम्पटीशन, खुला प्रतिस्प्रधा और ४९% में दमजम के लिए आरक्षण।
सशस्त्र को निशस्त्र करो। सेना को वापस ३०,००० पर लाओ। उनसे रोड बनवाना है तो बन्दुक की ट्रेनिंग क्यों? डिजिटल मोबाइल से सरकारी सेवा प्रदान कर के कर्मचारी के संख्या में भारी कटौती।
(३)
करोड़ों खर्चा कर के चुनाव जितने का मतलब क्या? सरकारी ठेकापट्टा लेने के लिए। देश में ठेकेदार शासन चल रहा है। ठेकापट्टा देने का प्रक्रिया कानुन सम्मत बना के उस को रेगुलेट किया जाए। पद पर बैठे नेता अपने या अपने परिवार को ठेकापट्टा नहीं दे सकते कुछ वैसा कानुन बनाया जाए।
(४)
सबसे नंबर वन पर हैं नेता लोग। सबसे ज्यादा और सबसे निर्णायक भ्रष्टाचार करने वाले नेता ही हैं। उसमें कांग्रेस कम्युनिस्ट नहीं होते। एक बार किसी ने कहा, जब पाकिस्तान की बात आती है को कोइ कांग्रेस, कोइ बीजेपी नहीं है, सब भारतीय हैं। नेपाल में जब भ्रष्टाचार करने की बात आती है तो कोइ कांग्रेस, कोइ कम्युनिस्ट नहीं, सब चोर हैं। इसलिए तो देश में पक्ष विपक्ष नहीं है। सब जनता विरोधी हैं।
(५)
गैर सरकारी संस्था। गरीब जनता के नाम पर विदेश से पैसा लाते हैं। और अपना लाइफस्टाइल बनाते हैं। उनको भी कानुन के दायरे में लाया जाए।
(६)
मीडिया। नेता लोगों से पैसा लेते हैं। अपनी आम्दानी का स्रोत खुलाना अनिवार्य हो उनके लिए भी। नहीं तो उस तरह खरीदी मीडिया लोकतंत्र दुषित करती है।
समाधान
समाधान है। बहुत दुसरे देशो में कर के दिखा दिया गया है। नेपाल में भी संभव है।
सरकारी तलब पर रहे प्रत्येक व्यक्ति को अपना और अपना परिवार का संपत्ति प्रत्येक साल दर्ज कराना होगा।
नेकपा एमाले स्थायी समिति
सरकारी पद न ले के भी
भ्रष्टाचार कर दिखाने की कला
इन्होंने ही बालुवाटार का जमीन ले लिया था
दिन दहाड़े
धीरेन्द्र के मुर्ति चुराने के स्टाइल में
बंदा क्रेन ले के ही पहुँच गया था
जमीन लिया भुमि सुधार के लिए नहीं
वो तो सिर्फ एक नारा था
पद तक पहुँचने के लिए
हॉर्न छाप हॉर्न छाप