Thursday, May 06, 2021

जनकपुर से काठमाण्डु, काठमाण्डु से न्यु यॉर्क



जनमत पार्टी के लिए सुनहरा मौका

संसदको ज्यामिति
एमाले दुई फ्याक, कांग्रेस ५६ व्यंजन, माओवादी विसर्जन, जसपा दुई फ्याक
बाबुरामले जसपा फोड्ने भयो
महामारी को दोष: नेता को कि जनता को?
३० वर्षपछि पंचायत ढल्यो, ३० वर्ष पछि अब कांग्रेस कम्युनिस्ट ढल्नुपर्यो
मेरा परिचय: मैं एक प्रवासी डिजिटल एक्टिविस्ट
नेपाली राजनीतिका नीरो हरु

लग रहा है केपी ओली नेपालके दो दलीय भ्रष्टाचारतंत्र के मरीचमान बनेंगे। संविधान और पार्टी विधान नामधारी दो लिकों से उतर के दौड़ रही गाडी का नाम केपी ओली। 

हम बीपी को नहीं मानते। कहनेवाले कहते हैं बीपी नेपालमे लोकतंत्र के प्रणेता। तो नेपालमें लोकतंत्र आया ही नहीं। भ्रष्टाचारतंत्र आया। देशको अगर गणतंत्र कहें तो ओली राजा अपने आपको संविधान और पार्टी विधान से उपर मानते हैं। उस ओली को देश पर लादनेवाले प्रमुख व्यक्ति कामरेड प्रचंड जिन पर चीन का आरोप हुवा करता था कि इस मुर्गे ने हमारे चेयरमैन के नामको बदनाम कर दिया। देशमें संघीयता भी नहीं आया। क्रांति अधुरी रह गयी। जनता ने क्रांति की। बार बार की। पार्टी के नेताओं ने प्रतिक्रान्ति कर डाली। क्रांति तो अधुरी है। 

नेपालमें लोकतंत्र नहीं भ्रष्टाचारतंत्र है। तब तो जब रोम जल रहा है तो कोइ बुढानीलकंठ में बैठ के बांसुरी बजा रहा है, कोइ बालुवाटार में तबला पिट रहा है, तो कोइ पेरिस डाडा में मार्च पास कर रहा है। और उपेन्द्र यादव जी कहे पर कहे जा रहे हैं कि प्रतिगमन का अचुक दवा शेर बहादुर देउबा झंडु बाम। (देश ज्ञानेंद्र लाई सुम्पिने देउबा)

तो जिस तरह अरविन्द केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के मुद्दा को पकड़ा और बड़ा कसके पकड़ा, अभी तो शिक्षा और स्वास्थ के क्षेत्र में भी बहुत अच्छा काम करके दिखा चुके हैं, लेकिन शुरुवाती मुद्दा भ्रष्टाचार का था और वो इस लिए की चाहिए होती है लेजर फोकस। नेपाल में अब समय आ गया है। चुनाव नहीं क्रांति की बात करनी होगी। सड़क पर लोगों के बुलाए बगैर क्रांति करनी होगी। महामारी में आम सभा तो कोइ भी पार्टी कर नहीं पाएंगे। तो डिजिटल प्रविधि के प्रयोग में सबसे आगे जनमत पार्टी वैसे भी है। उसी को व्यवस्थित करना होगा। ३० सेकंड का वीडियो को वायरल कैसे बनाया जाए संगठन के माध्यम से, उस पर विचार करना होगा। दुनिया भर के राजनीतिक कंसलटेंट लोग बहुत सोध कर के वो ३० सेकंड का समय निर्धारण किए है। बिजनेस के दुनिया में भी लागु होती है विज्ञापन बगैरह में। यदि आप अपनी बात मतदाता को ३० सेकंड में नहीं समझा सके तो इसका मतलब आपने अपनी बात को डिस्टिल करने में मेहनत नहीं किया। 

केंद्रीय और जिल्ला स्तरके नेता के लिए आधे घंटे का वीडियो। वार्ड, गाओं, नगर स्तर के स्थानीय स्तरके नेताओं के लिए उसी वीडियो का तीन मिनट भर्सन। और आम मतदाता के लिए ३० सेकंड का वीडियो। जिस तरह व्हिप जारी होती है उसी तरह व्हिप जारी करिए। केंद्र से शुरू कर के वार्ड स्तर तक मधेसके प्रत्येक जिले के प्रत्येक वार्ड तक आप अपना ३० सेकंड वाला वीडियो पहुँचा सकते हैं कि नहीं? प्रश्न वो है। 

कुछ लोग वीडियो ब्लॉग्गिंग कर सकते हैं। सबसे उपयुक्त मेरे को दिख रहे हैं विनय पँजियार। धाराप्रवाह नेपाली में। रोज आधा घंटा। आप मधेसके २२ जिले में जो करेंगे उससे पहाड़ हिलेगी। 

चुनाव तक सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार के मुद्दा को पकड़िए। लेकिन राजनीतिक गृहकार्य तो करना ही होगा। नहीं तो प्रचंड का हाल होगा। सत्तामें पहुँच गए और कुहिरोको काग बन गए। फिर डाउनफॉल शुरू। 

राजनीतिक कार्यक्रमका मतलब होता है एक चुनाव से दुसरे चुनाव तक आप सत्ता में आने पर क्या करेंगे? उस प्रश्नका जवाब। प्रमुख नेताका जीवनी मायने रखती है। लेकिन वो जीवनी राजनीतिक कार्यक्रम नहीं हुवा। जो जिस स्तर पर चुनाव लड़ेंगे उनको उसी स्तरका राजनीतिक कार्यक्रम देना होगा।