मैंने शायद पिछले साल एक विचार प्रकट किया। कि अमरीका के सभी मधेसी संगठनों के एकीकरणका अभियान चलाया जाए। प्रमुख रूप से MAA और ANTA लेकिन अभी तक छोटेमोटे ढेर सारे संगठन हो गए हैं देश भर में। नेपालमें मधेस आन्दोलन अभी अपने गन्तव्य पर पहुँच नहीं पाइ है और भारतके बिहारी अपने ही किस्मके मधेसी हैं।
पढ़ लिखके लोग अमरीका आ जाते हैं। तो वो तो व्यवहार में दिखना पड़ेगा न। सिर्फ डिग्री ले लेने से नहीं होता है।
मैंने वर्षो से मधेस आन्दोलनके भितर सिद्धान्त की बात की है। राजनीतिक रणनीति की बात की है। लेकिन संगठनके भी सिद्धांत होते हैं। आप संगठन के भितर रहके लोकतान्त्रिक आचरण नहीं दिखा सकते हैं तो फिर समानता के नाम पर उछलकुद करने से क्या होगा?
आप महिला पुरुष समानता के नाम पर पत्थर युग में अगर हैं तो फिर मधेसी पहाड़ी समानताकी बात आप किस आधार पर करते हैं? भगवान कृष्ण ने गीता में स्पष्ट कहा है, सभी जात के लोगो से समान व्यवहार करो। तो वो समान व्यवहार संगठन के भितर दिखनी चाहिए।
वहाँ नेपाल के दो प्रमुख पार्टियाँ एक हो गए लेकिन अमरिका के पढ़ेलिखे मधेसी एकीकरण के ए तक भी अभी नहीं पहुँच पाए हैं। और मैंने ANTA के अध्यक्ष का नाम ही लिया था। महिला थी। और संगठनकी निर्वाचित अध्यक्ष। कुछ महीनों पहले उलटे उनके विरुद्ध घिनौना गन्दा राजनीति देखना पड़ा। रिप्लाई आल पर रिप्लाई आल।
हम जो समानताकी बात करते हैं, समानताकी चाह रखते हैं, संगठन के भितर सभ्य, आदरपुर्वक और लोकतान्त्रिक व्यवहार दिखा के समानताकी माँग करनेका अधिकार कमाना होगा।
मधेस में, बिहार में महिला की सामाजिक स्थिति बहुत कमजोर है। अमरीका आके मधेसी और बिहारी उसीको कायम रखे वो शोभा नहीं देता। नेपालमें संगठन के भितर महिलाको एक तिहाई मिलता है। वो अमरीका के मधेसी संगठन के भितर क्युं न मिले? हम तो उन्हें सिखा न पाएँ, हम उनसे क्युँ न सिखे?
आत्मालोचना करना होगा। आचरण सुधारना होगा। गलतियाँ महसुस करनी होगी। महिला पुरुष असमानता है ही कहाँ कहने वालो जरा उन पहाड़ियों की सुनो जो वही जवाब मधेस आन्दोलनको देते हैं।