ANTA (Association of Nepali Teraian in America) और MAA (Madhesi Association in America) का एकीकरण आवश्यक है कि नहीं? होना चाहिए कि नहीं? होना चाहिए तो क्यों? संभव है कि नहीं? किया जाए तो कैसे? कल के बाद ये सब प्रश्न सामने आए है।
कल उपेन्द्र यादव कहने लगे आप लोग हम लोगो को कहते हैं एकीकरण करिए लेकिन खुद यहाँ दो बन के बैठे हुवे हैं। तो उनका कहना भी ठीक ही है। कल काफी अरसे के बाद मेरी रतन झा से मुलाकात हुवी। तो मैंने ये प्रश्न उनको डाला। उनका जवाव सकारात्मक रहा।
मैं न्यु यॉर्क में सन २००५ में आया। रतन झा के नेतृत्व में उधर कहीं ANTA का स्थापना हुवा। तो उन्होंने मुझे ईमेल किया। आप वहाँ चैप्टर गठन करिए अपने नेतृत्व में। मैं प्रेसिडेंट हुँ, आप वाइस प्रेसिडेंट बनिए। उन्होंने मुझे इसलिए कॉन्टैक्ट किया क्यों कि उस समय मेरे अलावा और किसी मधेसी को पहचानते ही नहीं थे न्यु यॉर्क में। वैसे भी मधेसी उस समय न्यु यॉर्क में थे ही बहुत कम। अभी तो संख्या में काफी बढ़ोतरी हो गयी है।
उस समय मैं सारे अमेरिका में अकेला नेपाली था जो नेपालके लोकतान्त्रिक आन्दोलन के लिए फुल टाइम काम कर रहा था। Basically days, nights, weekends. मैंने जवाब में कहा देखिए, संगठन के प्रस्तावना में लिखा है गैर राजनीतिक संगठन और मैं अभी हार्ड कोर पोलिटिकल काम कर रहा हुँ। मैं पद तो नहीं लुंगा लेकिन ANTA बहुत अच्छा आईडिया है। इसका न्यु यॉर्क में चैप्टर होना चाहिए। और उतना मैं कर दुँगा। पहले तो मैंने विनोद जी को एप्रोच किया। उन्होंने कहा ना। तब मैंने डॉ बिनय शाह के नेतृत्व में समिति गठन किया। पहला मीटिंग हुवा रिजवुड में सतेंद्रजी के अपार्टमेंट में। मैंने तभी के नेपाली मन्दिर में एक मधेसी मिटिंग किया। पाँच लोग आए। सत्य यादव कहने लगे "न्यु यॉर्क में मधेसी सब के ग्यादरिंग (gathering) कहियो भेले नै छलैय।" कुछ समय बाद बिनोदजी के कजन पबन मुझे और बिनयजी को विनोद जी के यहाँ ले गए अपने गाडी में बिठा के। अब विनोद जी इंटरेस्ट दिखाने लगे। मैंने कहा देखिए, अब बिनय को हटाया जाए वो तो अपमान होगा। पहले तो आप ही को कहा था। तो फिर? तो कहते हैं ईमेल से कहा था, ऐसे आमने सामने बैठ के थोड़े कहा था! तो मैंने कहा, आप केंद्रीय समिति में आइए। ANTA का न्यु यॉर्क में पहला बड़ा कार्यक्रम हुवा सन २००६ के ANA सम्मलेन के साथ साथ। उसके बाद वो केंद्रीय समिति में आए भी। संस्थापक अध्यक्ष रतनजी। और एक किसिमका संस्थापक मैं विनोदजी को भी मानता हुँ। कुछ साल बाद वो जब अध्यक्ष बने तो ANTA का बहुत ज्यादा संगठन विस्तार हुवा।
सुनील मेरा भान्जा है। उसको मैंने बचपन में देखा है। महोत्तरी जिला बनचौरि गाओं में। उसका ममहरा। मेरे दादाजी के सहोदर भाई (जो कि पहलवान थे) की एकलौती बेटी सुनील जी की नानी हुइ। बनचौरि गाओं में बचपन में देखने के बाद मैंने लम्बे गैप के बाद उनको देखा जैक्सन हाइट्स में जब उपेन्द्र यादव का कार्यक्रम हुवा जैक्सन हाइट्स में याक में। मैंने एक ही बार में पहचान लिया। सुनील जी की नानी की माँ, यानि की मेरी दादी मेरे को अक्सर कहा करती थी: "तोहर हम गैरतर खिचने छियौ!"
मेरे काठमाण्डु के हाई स्कुल के अंतिम साल के रूम मेट का भाई अमन मल्ल। कुछ महिने पहले मैंने देखा सुनील और अमन साथ में बैठे हैं। फेसबुक पर फोटो देखा। पता चला दोनों बंगलादेश में साथ पढ़े।
तो सुनील ने तो मिशाल कायम कर दिया। एक मधेसी आज सारे अमेरिका के NRN संगठन का निर्वाचित अध्यक्ष है। जब कि इस देश के नेपाली जनसंख्या में मधेसी शायद १% भी है कि नहीं। सुनील ने अमेरिका के NRN संगठन का निर्वाचित अध्यक्ष बन के नेपाल में भी अब मधेसी प्रधान मंत्री कोइ बने वो मार्ग प्रशस्त किया है।
मैं कुछ साल पहले कुछ साल के लिए कैलिफ़ोर्निया गया। वापस लौटा तो ANTA संगठन फुट चुकी थी और MAA संगठन पैदा हो गयी थी।
मैंने पिछले साल पहली बार किसी नेपाली संगठन का सदस्यता लिया। ताकि सुनील को वोट दे सकुं। नहीं तो मैंने ANTA का कभी सदस्यता नहीं लिया और MAA का भी औपचारिक रूप से सदस्य नहीं हुँ। मेरा जो डिजिटल एक्टिविज्म था उसके लिए वो तटस्थता जरुरी था। हॉन्ग कॉन्ग में देखिए। काठमाण्डु में जो २००६ में १९ दिन हुवा वो हॉन्ग कॉन्ग में चार महिना से हो रहा है। लेकिन वहाँ कोइ डिजिटल एक्टिविस्ट नहीं है जो कि कदम कदम पर forceful calls for action जारी करता रहे। मुवमेंट अपना पाँच लक्ष्य पुरा करता नहीं दिखती।
कभी कभी संगठन फुटना भी संगठन विस्तार के लिए अच्छा हो जाता है। जब चीन में माओ ने पार्टी शुरू किया तो पहली बार न चाहते हुवे उसने अपने पार्टी के केन्द्रीय समिति से ५०% लोगों को निष्काषित किया। लेकिन उसके बाद उसको आश्चर्य हुवा कि बजाय पार्टी का साइज़ आधा होने के दोगुणा हो गया। तो उसके बाद वो कुछ कुछ साल बाद बराबर पार्टी केन्द्रीय समिति से ५०% लोगों को निष्काषित करने लगा। जब भी संगठन को बड़ा बनाना हो।
सुनील नेविसंघ पृष्ठभुमि से हैं। उनके वर्तमान निर्वाचित पद के लिए उस पृष्ठभुमि ने बड़ा काम किया है। अमेरिका के नेपाली अधिकांश काँग्रेस पृष्ठभुमि से हैं। कमसेकम थे १०-१५ साल पहले। लेकिन नेविसंघ पृष्ठभुमि से तो बहुत हैं। सुनील की अपनी प्रतिभा है।
जभी ANTA में कोइ टेंशन न था तब भी मैं कहता था, इतने सारे पहाड़ी संगठन हैं, मधेसी संगठन भी दो चार हो जाए तो क्या फर्क पड़ता है?
अंतरिम संविधान के बाद पहली संविधान सभा से जो उम्मीद थी ---- सब कुछ मिल गया था सिर्फ एक मधेस दो प्रदेश मिलना बाँकी था। वो हो जाता तो, सच्चा संघीयता आ जाता तो फिर १०-२० मधेसी संगठन हो अमेरिका में उससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। लेकिन मधेस आंदोलन जनकपुर जयनगर रेलवे है तो वो अभी जयनगर नहीं पहुँच पायी है। परवाहा या खजुरी तक ही पहुँची है।
इसिलिए मेरा मानना है कि ANTA (Association of Nepali Teraian in America) और MAA (Madhesi Association in America) का एकीकरण होना बहुत जरुरी है। क्यों कि ट्रेन को जयनगर पहुँचाना अभी बाँकी है।
संगठन एक होने का तरिका है लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को कस के संस्थागत किजिए।
रतन झा ANTA के संस्थापक अध्यक्ष, विनोद साह ANTA के प्रमुख संगठन विस्तारक (वल्लभ भाइ पटेल), और MAA के संस्थापक अध्यक्ष सुनील साह। ये तीनों Board Of Trustees के सदस्य रहेंगे। ये मेरा सुझाव है। कल अगर सुनील को NRN का ग्लोबल अध्यक्ष बनना है तो उसमें रतनजी बहुत अच्छा रोल अदा करने के स्थिति में हैं। NRN मुवमेंट के संस्थापक अध्यक्ष उपेन्द्र महतो (जो कि मेरे बहुत दुर के रिश्ते में भी पड़ते हैं, मेरे पड़ते हैं तो स्वाभाविक सुनील के भी पड़ते हैं) के अमेरिका में रतनजी शुरू से ही खास आदमी रहे हैं।
अमेरिका में सिर्फ ANTA (Association of Nepali Teraian in America) और MAA (Madhesi Association in America) नहीं हैं। छोटेमोटे कर के १० होंगे संगठन। सभी का एकीकरण किया जाए। तीन लोगों का Board Of Trustees, नाम शायद AMA हो जाए। Association of Madhesi in America. दोनों के अध्यक्ष महाधिवेशन तक सह अध्यक्ष हो जायें। एकीकरण कोइ ऐसे शहर में किया जाए जहाँ मधेसीयों का संख्या सब से ज्यादा हो। शायद न्यु यॉर्क।
और ऑनलाइन वोटिंग का व्यवस्था हो।
कुछ ऐसा पहलकदमी किया जाए ये मेरा सुझाव है।
कल उपेन्द्र यादव जी का एक कार्यक्रम MAA के साथ रहा और एक ANTA के साथ। मैं दोनों में गया।