Sunday, March 24, 2019

मधेस अलग देश को मुद्दा, ब्रेक्सिट र कार्यान्वयनको पक्ष

हुन त मधेस अलग देशको मुद्दा अब सेलाइसक्यो। तर भन्न का लागि भनेको यो। मानौं सीके ले चाहे जस्तै जनमत संग्रह नै भयो ह रे। नेपाल सरकार ले नै गर्यो रे। मधेसका जनताले ५१% मत दिएर मधेस अलग देशको मुद्दा ले विजय पनि प्राप्त गर्यो ह रे। अनि त्यस पछि कार्यान्वयन गर्नु परेन? त्यो कार्यान्वयन कसले गर्ने र कसरी गर्ने?

ब्रेक्सिट भनेको के? नेपाल र मधेस को सन्दर्भमा स्कॉटलैंड भन्दा ब्रेक्सिट बढ़ी सान्दर्भिक छ। ब्रिटेन जस्तो देश। त्यति धनी, त्यति शक्तिशाली, त्यति सम्पन्न देश। एक समय दुनिया चलाएर बसेको देश। र युरोपियन यूनियन भनेको देश पनि होइन। सार्क जस्तो संस्था। अलि त्योभन्दा बढ़ी परिष्कृत। जब कि ब्रिटेन र युरोप बीच जमीन पनि छैन। टापु देश।

त्यो युरोपियन यूनियन बाट अलग हुने भनेर जनमत संग्रह गरियो। अलग हुने हरुले चुनाव जिते। अनि भयो त? कस्तो लफड़ा!

भन्दैमा युरोपियन यूनियन बनाउने क्रममा लफड़ा भएन भन्ने पनि होइन। त्यहाँ पनि महा लफड़ा।

मधेस अलग देशको मुद्दा लाई त कदम कदम मा लफड़ा। एक त जनमत संग्रह नगर्ने भनेर संविधान मैं लेखेको अवस्था छ। दोस्रो अहिले गरिन्छ भने पनि १०% पनि मत नपाउने अवस्था छ। ४०% पहाड़ी समुदाय मधेसमा। मधेस प्रदेशमा त बस्न नचाहने हरु मधेस अलग देश मा बस्छु भनळान? अहिले पनि फोरम राजपा भन्दा काँग्रेस कम्निस्ट ले निकै भोट ल्याएको अवस्था देखिन्छ मधेसी समुदाय भित्र नै। भने पछि काँग्रेस कम्निस्ट फोरम राजपा लाई मत दिने मधेसी ले मधेस अलग देश को पक्षमा मत दिँदैन भन्ने देखिन्छ।

तर त्यो दुई कदम भन्दा तेस्रो कदम झन बढ़ी गारहो। उदाहरण: ब्रेक्सिट।


Friday, March 22, 2019

नेपालके तीव्र आर्थिक विकास में तकनीकि की भुमिका अहम् हो सकती है



नेपालके तीव्र आर्थिक विकास में तकनीकि की भुमिका अहम् हो सकती है। सामाजिक और राजनीतिक निकास में भी तकनीकि अहम् भुमिका खेल सकती है।

नागरिकता समस्या विकराल है। पहचान एक बड़ी समस्या है। मधेस आन्दोलनका सबसे बड़ा मुद्दा यही रहा है। कभी सुलझाया ही नहीं गया। इसका डिजिटल समाधान है। बायोमेट्रिक आईडी भारत में लगभग सभी को दे दिया गया है। भारत के सहयोग में नेपाल में भी वही लागु किया जाए और दोनों देश के डेटाबेस एक दुसरे से बात कर सके तो फिर ये तो शंका नहीं रह जाएगा कि किसी ने इधर भी और उधर भी नागरिकता ले लिया हो।

लेकिन समाधान सिर्फ डिजिटल नहीं है। बायोमेट्रिक आईडी लागु करने के वाद राजनीतिक समाधान भी करिए साथ साथ। दोनों देशोंके नागरिकता कानुन में एकरूपता लाइए। द्वैध नागरिकता के बारे में विचार करिए। दशों लाख मधेसी जो नागरिकता से वंचित हैं उन्हें नागरिकता प्रदान करिए।

५० लाख से उपर नेपाली दक्षिण एशिया से बाहर हैं। वे चुनाव में मतदान कर सकें उस किस्मका व्यवस्था करिए। उसके लिए डिजिटल रास्ता उपयुक्त है। लोग अपने मोबाइल फोन से ही मतदान कर सके कुछ वैसा व्यवस्था किजिए। देश के बाहर से शुरू करिए और देशके भितर भी लागु किजिए।



भ्रष्टाचार अँधेरे में होती है। पारदर्शिता बढ़ाए जाने पर धीरे धीरे भ्रष्टाचार में कमी आती जाएगी। सरकारके प्रत्येक तहमें पाई पाई का हिसाब डिजिटाइज़ करिए। संसद के बहस को ऑनलाइन लाइवस्ट्रीम करिए। सरकारी ठेक्कापट्टा के लिए जो प्रतिस्प्रधा होनी चाहिए उसको ऑनलाइन करिए।

हाइड्रो हाइड्रो नेपाल में दशकों से कहते आए हैं। अब थोड़ा मोड़ा काम भी होने लगा है। लेकिन अब सोलर का भी जमाना आ गया है। जितना बिजली आप पहाड़ में हाइड्रो से निकाल सकते हैं उससे कहीं ज्यादा बिजली आप मधेस से सोलर से निकाल सकते हैं। सुनकोशी को डाइवर्ट कर के सारे मधेस में सिंचाइ का समस्या पुर्ण रूपसे समाधान किया जा सकता है। पानी भी बिजली भी हो जाए तो हरित क्रांति हो जाएगी।

शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों ही क्षेत्रो में तकनीकि अहम् भुमिका खेल सकती है।  एक बहुत अच्छा शिक्षक के पठनपाठन को डिजिटल बना के मुफ्त में देश भर के स्कुलों में पहुँचाया जा सकता है। पहले जो काम सिर्फ एक डॉक्टर कर सकता था अब उतना काम एक मोबाइल फ़ोन का एप्प कर लेता है। और वो क्षमता बढ़ती ही जाएगी।

पहले जितना जानकारी सिर्फ अमेरिकाके राष्ट्रपति के साथ हुवा करता था उतना आज दुनिया के किसी भी कोने के किसी भी इन्सान के पास है जिसके हाथ में एक स्मार्टफोन है जिसको इंटरनेट कनेक्शन हो। आप अगर सिर्फ साक्षर हैं तो हाई स्कुल और कॉलेज तक का पढाई आप कहीं से भी खुद कर सकते हैं। मुफ्त में। दुनिया बहुत बदल गया है। यो २५ साल पहले का दुनिया अब नहीं रह गया।

ईकॉमर्स का एक मॉडल अमेज़न ने अमेरिका में कर दिखाया। दुसरा मॉडल अलीबाबा ने चीन में कर दिखाया। एक तीसर मॉडल है जो नेपाल, बिहार जैसे जगहों पर दिखाया जा सकता है।

इंटरनेट जिस साइज़ का तकनीकि है उस साइज का लगभग १० अलग अलग तकनीकि आनेको है। गरीब देश धनी देश वाली वर्गीकरण बहुत जल्द पुरानी हो जाएगी। सम्पन्नता दुनिया के प्रत्येक कोने तक पहुँच जाएगी।