Saturday, March 16, 2019

एक मधेसी दल ले निर्णायक भुमिका खेल्न सक्छ

फोरम, राजपा र सीके राउतको संगठन लाई एकीकृत गरेर बनाइएको एउटै राजनीतिक पार्टीले देशको राजनीति मा निर्णायक भुमिका खेल्न सक्छ। संघर्ष काठमांडु को सत्ता सँग मात्र छैन। संघर्ष आफ्नो पक्ष भित्र पनि छ। बाह्य र आतंरिक दुबै किसिमको संघर्ष गर्न तैयार हुनुपर्ने हुन्छ।

पहिलो संविधान सभाको अन्त्य तिर चितवन बाहेक एक मधेस दो प्रदेश को प्रस्ताव आउदा स्वीकार नगर्नु गल्ती थियो भनेर आत्मालोचना गरेको खोइ मधेसी नेता हरुले? जनतासँग अंतिम बलिदान को अपेक्षा राख्ने, आफुसँग भने सकुशल वार्ता गर्ने कलाको पनि अपेक्षा नराख्ने?

सात प्रदेश को नक्शा जुन अंततः पारित पनि भयो र लागु पनि भयो त्यो पहाड़ी पार्टीका नेताहरुले कोरेको हुँदै होइन। पोखरा बाहेक प्रत्येक प्रदेश राजधानी मधेसमा राखिएको छ। मधेसलाई माइनस नै गर्ने ध्येय हो भने राजधानी सकेसम्म मधेसमा नराख्ने सोच हुनुपर्ने। छैन। त्यो त स्थायी सत्ताका ब्यूरोक्रैट हरुले कोरेको नक्शा हो। काठमाण्डु छोड़नै परे सुगम ठाउँ मात्र जाने सोंच हो। सात प्रदेश को नक्शा त स्थायी सत्ताले कोरेको नक्शा हो। विराटनगर, जनकपुर, हेटौंडा, भैरहवा, सुर्खेत, धनगढ़ी: प्रदेश राजधानी जति सबै मधेसमा। एउटा पोखरा चाहिं परेन। तर पोखरा लाई दुर्गम ठाउँ भन्न मिल्दैन।

एक मधेस एक प्रदेश, पछि एक मधेस दो प्रदेश खोजेका हरुले अन्त्यमा त देशका सात मध्ये ६ वटा प्रदेश पाएको देखियो। सात मध्ये ६ वटा राजधानी।

काठमाण्डु निजगढ फ़ास्ट ट्रैक बने पछि र निजगढ अन्तर्राष्ट्रिय विमानस्थल बने पछि देशको अर्थतंत्र को सेण्टर ऑफ़ ग्रेविटी काठमाण्डु बाट सरेर मधेस पुग्छ स्वतः कुरा। भने पछि संघीयता को सेण्टर ऑफ़ ग्रेविटी पनि सात मध्ये ६ राजधानी मा। देशको अर्थतंत्र को सेण्टर ऑफ़ ग्रेविटी पनि।

मधेस हारेको होइन। मधेस ले केन्द्र मा झण्डा गाड्ने तरखर गर्दैछ।

हाइड्रो हाइड्रो भन्छन। हाइड्रो भन्दा अब सोलर को जमाना आउँदैछ। उर्जा को क्षेत्रमा मधेस नम्बर वन हुन्छ। पोल्ने घाम पो लाग्छ मधेसमा।


Tuesday, March 12, 2019

सीके को चाहिए कि अपने कार्यकर्ताओं को सम्बोधन करें

सीके राउतले आफ्नो पार्टीको नाम मिशन मधेस राख्ने कि?
सांगठनिक एकीकरण पछि हुन्छ संविधान संसोधन
एउटै पार्टी राष्ट्रिय फोरम र ६ जना सह-अध्यक्ष
सीके राउत र केपी ओली बीच सम्झौता र आफैमा बाझियेका तर्कहरू
सीके ले नेतृत्व प्रदर्शन गर्ने बेला हो यो
सीके र चुनावी अंकगणित
सीके ले पार्टी खोल्नुपर्छ, चुनाव लड्नुपर्छ
सीके राउत की गिरफ़्तारी नेपाल लोकतंत्र न होने का प्रमाण है

(अगर मैं उनके लिए भाषण लिखता तो क्या लिखता?)

स्वतंत्र मधेस गठबंधन के मेरे समस्त साथी, और मधेस की जनताको मेरा हार्दिक अभिवादन।

काठमांडु से मैं कुछ ही दिन पहले लौटा हुँ। हमारे संगठन और नेपाल सरकार के बीच जो ११ बुँदे सम्झौता हुआ वो तो आप सबके सामने कई दिनों से है। लेकिन उसके बारे में अभी भी तरह तरह के शंका उपशंका प्रकट हो रहे हैं। इधर भी हो रहे हैं और उधर भी। तो मैंने सोंचा आप सबके सामने कुछ बातें स्पष्ट कर दु।

लक्ष्य मेरा सदा से रहा है कि मधेसी जनताको समानता और समृद्धि मिले। उस लक्ष्य पर मैं बिलकुल बरक़रार हुँ। उस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए राजनीतिक धरातल का तथ्यपरक अध्ययन करते हुवे आगे बढ़ना होता है। रणनीति समय समय पर बदलने होते है। आप बंद घड़ी नहीं बन सकते हैं जो दिन में सिर्फ दो बार सही समय दे।

मधेस आंदोलन के इतिहास में स्वतंत्र मधेस गठबंधन ने अभी तक जितने कार्यक्रम किए वो एक मिशाल बन के रह गया है। हम अहिंसाके मार्ग पर अनुशासित ढंग से आगे बढ़ते रहे हैं। जब उन्होंने हम पर लाठी उठाया हमने उन्हें फुल अर्पण किया। हमने किसी पर इट नहीं फेका कभी भी। हमारा संघर्ष किसी समुदाय के विरुद्ध कभी भी नहीं था, अभी भी नहीं है। राजनीतिक समानता प्रत्येक मानवका जन्मसिद्ध अधिकार है। नेपालके संविधान में लिखा गया है मानव अधिकार। लेकिन मधेसी अभी भी उससे वंचित हैं। इस बात को नेपाल सरकार ने स्वीकार किया है।

इस सहमति की एक बड़ी उपलब्धि ये भी रही है कि हमारे कुछ साथी सालो से जेल में थे। वे सब मुक्त होने जा रहे हैं। मैं चाहुँगा वो सब फिर से हमारे संगठन में सक्रिय हो जाएँ। हमारा मंजिल मधेसीको समानता और समृद्धि तक पहुँचाना है। हम अभी वहाँ तक नहीं पहुँचे हैं। हमें डटे रहना है।

मधेसका अपना एक स्पष्ट भुभाग है। मधेसको अगर अलग देश बनाया जाए तो वो दुनिया के बहुसंख्यक देशों से बड़ा देश ही बनेगा। काठमांडु के सत्ता ने मधेस आंदोलन से समझौता करने लेकिन समझौता पालन न करने का नाटक बार बार किया। उस परिस्थिति में मधेस अलग देशके अलावे दुसरा रास्ता नहीं दिख रहा था। लेकिन हमारा प्रमुख लक्ष्य मधेस अलग देश कभी नहीं था। मुख्य उद्देश्य सदैव रहा है मधेसी को समानता और समृद्धि तक पहुँचाना। मधेस अलग देश तो वहां तक पहुँचने का साधन था।

उद्देश्य नहीं बदला जा सकता। लेकिन साधन बदला जा सकता है।

क्रान्ति के बल पर जनमत संग्रह की मांग हो तो वैसी क्रांति हुइ नहीं। केंद्र सरकार भी और प्रांतीय सरकार भी जनमत संग्रह विरुद्ध खड़े मिलते हैं। नेपालके संविधान में ही जनमत संग्रह का प्रावधान नहीं है। कमसेकम उस किस्मका जनमत संग्रह जैसा कि हम चाहते थे उसका प्रावधान नहीं है। भु-राजनीति भी बड़ी बात होती है। दोनों पड़ोसी देश अपने ही आतंरिक कारणों से इस मुद्दे पर जनमत संग्रह के रास्ते को रोके हुवे हैं ऐसा प्रतीत होता है।

हमने अपने आपको एक मोड़ पर खड़े पाया। मधेसी को समानता और समृद्धि तक पहुँचाना है तो अब आगे कैसे बढ़ा जाए? जिस तरह प्रचंड के लिए माओवादी संगठन को हिंसाका रास्ता छोड़ना एक बड़ा कदम था, एक अकल्पनीय पर सही कदम था उसी तरह हम इस नतिजे पर पहुँचे कि मधेसी को समानता और समृद्धि तक पहुँचाने का जो हमारा लक्ष्य है उससे अगर जुड़े रहना है, अगर उस लक्ष्य तक जल्दी से पहुँचना है तो हमें अपना साधन बदलना होगा। हमें थोड़ा कोर्स करेक्शन करना होगा। हमने मधेसी को समानता और समृद्धि तक पहुँचाने के अपने लक्ष्य को और मजबुती से पकड़ने के लिए अभी के लिए मधेस अलग देश के एजेंडा को बैकबर्नर पर रख दिया है। वो अब एक दुर का लक्ष्य रह गया है।

अभी हम अपने संगठन को एक नया नाम देकर, एक पार्टी का रूप देकर महाधिवेशन की ओर ले जाएंगे। काफी आतंरिक छलफल के बाद नाम तय किया गया है मिशन मधेस। पार्टी का नाम है मिशन मधेस। हम सड़क से संसद तक, सोशल मीडिया से मास मीडिया तक, देश से विदेश तक, हर संभव तरिके से अपने लक्ष्य को प्राप्ति करने में जुटे रहेंगे। आप लोगो ने अभी तक साथ दिया। अब आगे भी साथ दिजिए। हमारा संगठन अब पुर्ण रूपसे खुलकर अपना काम करेगी। संगठन विस्तार करेगी। चुनाव लड़ेगी।

हम चाहेंगे हम संगठन विस्तार करें और विचार मिलने वाले दलों से मिल के मोर्चा बना के आगे बढ़ें। बात अगर आगे बढ़ती है तो हम सांगठनिक एकीकरण के लिए भी तैयार रहेंगे। हमें लगेगा लक्ष्य तक पहुँचने के लिए तीन चार अलग अलग पार्टी के जगह सिर्फ एक पार्टी हो तो ज्यादा अच्छा है तो हम उसके लिए तैयार रहेंगे। क्यों नहीं? मंजिल एक और राही दो फिर प्यार कैसे न हो?

धन्यवाद और अभिवादन। जय मधेस।



सीके राउतले आफ्नो पार्टीको नाम मिशन मधेस राख्ने कि?

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