तो ये जो डैम बने हैं वो कब के हैं? नेहरू के समय के हैं। नेहरू को अगर नेपाल की जमीन लेनी थी तो खुद नेपाल के राजा ने नेहरू के ऑफर किया था त्रिभुवन ने, कि आप इसे भारत में ही मिला दो। जिस सख्स ने वो ऑफर अस्वीकार कर दिया तो वो फिर १००, २०० बिगहा पर फिर क्यों आँख गाड़ के बैठ गया?
मेरे को लगता है उस समय की इंजीनियरिंग ही ऐसी थी। उन इंजीनियर लोगों ने उस जगह डैम बनाई जहाँ वो बना सकते। बॉर्डर के पास अपने उपकरण ले जाना आसान रहा होगा। I am guessing. मैं कोई नितीश कुमार नहीं जो एक इंजीनियर के नजरिये से देखुँ। एक ऑप्शन है कि आप कोई डैम बनाओ ही नहीं। नेपाल में होता भी यही आया है। किसी भी प्रोजेक्ट का इतना विरोध इतना विरोध होता है कि अंत में जा के काम होता ही नहीं। बहुत अजीब माइंडसेट है। चरम गरीबी माइंडसेट है।
भारत ले ठग्यो, नेपालमा डैम बनायो, नेपालको भूमिमा पानी जम्यो। डैम बन्यो, पानी जम्यो। डैम बनता और पानी न जमता तो ताज्जुब होती। कि डैम बन गया फिर पानी जम क्यों नहीं रहा है? इंजीनियर को बोले थे डैम बनाने को लेकिन उसने बना दिया तटबन्धन। बुलाओ उसे। ये कोई लालु यूनिवर्सिटी का जाली सर्टिफिकेट वाला मालुम पड़ता है। निकालो नौकरी से। You are fired!
डैम बन्यो, पानी जम्यो नेपालको भूमिमा। तो डैम बना है नेपाल में पानी लॉन्ग जम्प मार के जायेगा जमने आसाम में? स्वाभाविक है नेपालके भूमिमें पानी जमेगा। डैम बना है नेपाल में पानी जा के जमेगा पप्पु यादव के दरबज्जे पर?
मोदी नया प्रस्ताव ले चुके हैं कोशी के लिए, कि एक नया डैम बनाया जाए, इस बार चतरा में जहाँ कोशी चुरिया पहाड़ क्रॉस करती है। और वहाँ से ढेर सारा पानी पश्चिम ले जा के गंडक में गिराया जाए। तो ये बात नेहरू नें क्यों नहीं सोंची? नेहरू ने मेरे स्मार्टफोन के बैटरी को सप्ताह दिन वाला क्यों नहीं बनाया? ऐसा क्यों बना दिया कि डेली चार्ज करना पड़ता है? I hate Nehru.
तो नेपाल में होता ऐसा क्यों है? विकास का नंबर वन बाधक यही बात है। देश गरीब रह जाता है। कहने वाले कहते हैं शिक्षा का लेवल low है, जनता शिक्षित हो जाए तो जागरूकता आएगी। गलत। ये भ्रष्टाचार के कारण ऐसा होता है। इतना ज्यादा भ्रष्टाचार है नेपालमे। इतना ज्यादा। नेता लोग पैसा डकार जाते हैं और भारत को गाली बोलते रहते हैं। जब तक जनता का ध्यान भारत पर है वो भ्रष्टाचार में हिसाबकिताब मांगेंगे नहीं। वो बात है। It is about corruption. जनता पढ़ीलिखि न हो लेकिन नेता लोग तो पढ़े लिखे हैं। बहुत ज्यादा पढेलिखे ना हो लेकिन अभी का ओली भी और उससे पहले का सुशील भी, दोनों मैट्रिक पास।
नेता ईमानदार होते तो समझाते। लोगों को समझाते। कहते देखो विकास के लिए ये डैम बनना जरुरी है। देश में बहुत गरीबी है, बच्चे भुखे हैं।
अभी जो यकायक कहाँ से न कहाँ से नेपाल में एक anti-corruption आँधी आ गयी है, that has been very necessary. तो ये आया कहाँ से? जो anti-corruption body है उसमें प्रावधान सदैब रहा है कि आम जनता किसी भी नेता या कर्मचारी के विरुद्ध याचिका दायर कर सकते हैं। तो investigation होगा। तो जनता शिकायत कर रहे हैं। उन्हें अब लग रहा है सब के सब भ्रष्ट हैं। They are being able to see through the anti-India rhetoric by their politicians. भारत के राज्य सभा में जो बहस हुवा नेपाल पर वो नेपाल में लाइव प्रसारण हुवा। तो लोगों को अब लग रहा है की नाकाबंदी भारत ने नहीं की। कुकिंग गैस ना होना भारत के बदमाशी के कारण नहीं। They are connecting the dots. And they are saying the anti-India rhetoric has been designed to distract the people from corruption. लोग जग रहे हैं अच्छी बात है।
When was the last time India's upper house had this large an impact?