Friday, November 21, 2014

आप भारतीय नहीं हैं तो नहीं हैं, मैं तो हुँ

हिन्दी: भारतीय राजनीतिज्ञ सुषमा स्वराज
हिन्दी: भारतीय राजनीतिज्ञ सुषमा स्वराज (Photo credit: Wikipedia)
मैं अपने आपको भारतीय बोलता हुँ तो बहुत लोग संकोचमें आ जाते हैं। बहुत मधेसी भी protest करने लगते हैं। यादव लोग कहने लगते हैं नेपाल देशका स्थापना हम गोपालवंशीने किया। हम तो यहीं के हैं। होंगे। लोग हमें इतिहास पढ़ाने लगते हैं। कि देखो मधेसीका इतिहास है। हम हजारो सालसे यहीं पर रह रहे हैं। तुम अपने आपको भारतीय क्यों कहते हो?

मेरा व्यक्तिगत इतिहास है कि मैं भारतीय हुँ। मेरी माँ भारतीय होने के नाते मैं भारतीय हुँ। मैं ५०% नेपाली, ५०% भारतीय नहीं हुँ। मैं १००% नेपाली और १००% भारतीय हुँ। मैं पैदा ही भारतमें हुवा था। नेपाल मेरा पितृ भुमि और भारत मातृ भुमि। भारत मेरा जन्म भुमि।

आप भारतीय नहीं हैं तो नहीं हैं, मैं तो हुँ।

लेकिन आप भी भारतीय हैं। जिस तरह फिजी के भारतीय फिजीके नागरिक होने के बाबजुद भारतीय हैं। आप नेपालके नागरिक होंगे, फिर भी आप सब भी भारतीय हैं। अपने self hate से छुटकारा पाइए और इस बातको कबुल करिए कि आप भारतीय हैं।

ब्रिटिश ने आपको नेपाली बना दिया क्या? मधेशका राजनीतिक इतिहास देखिए। १८१६ और १८६० में क्या हुवा? मधेश ब्रिटिशो का बापका सम्पत्ति तो था नहीं। आज दुनिया में भारत एक ताकत है। ब्रिटेन तो लापता है। तो फिर आपको अपने आपको भारतीय कहने में संकोच क्युँ? आईने में अपना चेहरा देखके आप लजा क्युँ जाते हैं? अपने आप पर गर्व करिए।

ब्रिटेन ने १८१६ और १८६० में जो गलती किया, उसका आधुनिक समाधान दो है: (१) नेपालमें संघीयता और स्वायत्त मधेश, यानि कि मधेश स्वराज और (२) दक्षिण एशिया का आर्थिक एकीकरण।

इन दोनो ही बातो पर कोई compromise नहीं होगा। अधिकार पर भी compromise होता है क्या?

१८१६ और १८६० का इतिहास बता रही है, प्रत्येक मधेसी भारतीय है। वो परिचय नेपाली नागरिकता के साथ coexist करती है। फिजी के भारतीय अपने आप को भारतीय मानते हैं, कबुल करते हैं, आप भी कबुल करिए। ख़तम करिए अपने self hate (आत्म घृणा) को। सर ऊँचा कर के चलिए। अपने पहचान को कबुल करिए। 

वामदेवको बदमाशीले जनकपुरलाई ५०० करोड़को घाटा


मोदीलाई बारह बिघा मैदानमा आम जनतालाई सम्बोधन गर्न दिन्न भन्ने वामदेवको बेतुक अडानले जनकपुर नगरीलाई ५०० करोडको घाटा लागेको छ। मोदी जनकपुर आउँदा आफुसंग ५०० करोडको पैकेज लिएर आउन लागेका थिए। जनकपुर शहरको कायापलट हुन लागेको थियो।

काठमाण्डुमा रहेको पहाड़ी शासक वर्गले आफुले मधेशको विकास नगर्ने मात्र होइन कि अरु कसैले मधेसको विकास गर्न खोज्दा त्यसमा पनि बाधा व्यवधान खड़ा गर्छन। काठमाण्डुमा रहेको पहाड़ी शासक वर्गले आफुले मधेशको विकास नगर्नु उपनिवेशवाद हो। तर अरु कसैले मधेसको विकास गर्न खोज्दा त्यसमा पनि बाधा व्यवधान खड़ा गर्नु त सरासर दुश्मनी हो।

मधेशका जनताले, जनकपुरका जनताले वामदेवसँग र काठमाण्डुमा रहेको पहाड़ी शासक वर्गसँग ५०० करोड़को हिसाबकिताब माग्ने बेला आएको छ। किनभने वामदेवको बदमाशीले जनकपुरलाई ५०० करोड़को घाटा भएको छ।
मान्छेहरुको बस्ती भएर जाने हुलाकी राजमार्ग महेन्द्रले बनाएन किनभने ती मानिस मधेसी थिए। मनु मखु मर्स्या ख। वामदेव जस्ता महेन्द्रपुत्र त पशु हुन जसले मान्छेलाई मान्छे देख्दैनन।