Thursday, October 09, 2014

क्रान्ति और संगठन


पहाड़ी अदालतसे न्यायका आशा करना बेकार है। क्रान्तिकी तैयारी होनी चाहिए। संगठन निर्माण इस क्रान्तिका एक बहुत बड़ा हिस्सा है। सीके राउत बचाउ संघर्ष समितिके नाम पर तराईके प्रत्येक जिलेमें और काठमाण्डुमें जिला समितिका निर्माण हो। लोकतान्त्रिक किस्मसे नेतृत्व चयन करें। २३ जिला समिति बननेके बाद एक केन्द्रीय समिति चयन करें। गाउँ गाउँमें, शहर शहरमें संगठन निर्माण करें। वार्ड वार्डमें एक समिति हो। अन्तरराष्ट्रिय स्तर पर भी संगठन विस्तार होगा। ग्लोबल मीडियाको आगाह करने के लिए, विश्व स्तरके नेताओंको आगाह करने के लिए, आन्दोलनके दौरान कोई घायल हो उनके इलाजके लिए अन्तरराष्ट्रिय स्तर पर काम होगा।

Madhesi Kranti (3) On The Way
पुर्ण आन्तरिक लोकतन्त्रका सस्ता तरिका

जब तक सीकेको वो लोग छोड़ते नहीं हैं तब तक देश बन्द रहेगा। सीकेके रिहाईके बाद ये संगठन मधेश स्वराज पार्टी बन जाएगी। सीके संस्थापक अध्यक्ष रहेंगे और एक सालके अन्दर पार्टीका महाधिवेशन होगा।तराईसे कांग्रेस और एमालेको सदा सदाके लिए बिलकुल साफ कर देना है। वैसा संगठन निर्माण करें। 

क्रान्तिका रुपरेखा स्पष्ट होना बहुत जरुरी है। अनिश्चितकालीन मधेश बन्दकी घोषणा की जाएगी। ५ दिनका समय दिया जाएगा। उस ५ दिनमें वो रिहा करते हैं तो उस रिहाईके साथ ही बन्द समाप्त। ५ दिनसे ज्यादा तक जाए तो माँगे बढ़ेंगे। दो माँगे थपे जाएंगे। (१) आत्म अधिकार सहितकी संघीयताकी गारण्टी (२) झापा से कन्चनपुर तक एक मधेशमें दो प्रदेश।

ऐलान किया जाएगा, अगर आन्दोलनके दौरान एक भी कोइ शहीद होता है तो गृह मंत्रीके राजीनामाके बगैर क्रान्ति नहीं थमेगी। १० से ज्यादा शहीद होते हैं तो प्रधान मंत्रीके राजीनामाके वगैर क्रान्ति नहीं थमेगी।

मधेश स्वराज पार्टी १० साल समानताके लिए जोड़दार संघर्ष करेगी। अगर पहाड़ी शासकोका अभीका बेईमानी बरक़रार रहा तो उसके बाद जनमत संग्रहके माध्यमसे पार्टी मधेशको अलग देश बनानेके लिए पहल करेगी।

मण्डेला जेल गए, सीके जेल नहीं जाएगा। मधेशमें इतना दम है। 

जातीय राज्य नमानेको केपी ओलीले भौगोलिक राज्य पनि त मानेको छैन

जातीय राज्यको परिकल्पनासमेत गर्न नसकिने ओलीको भनाई

जातीय राज्य नमानेको केपी ओलीले भौगोलिक राज्य पनि त मानेको छैन। केपीले नमानेको संघीयता नै हो। गाँठी कुरा त्यो हो।


भित्री मधेश भनेको मधेश नै हो। भने पछि भित्री मधेश सहितको पुर्व तराई र पश्चिम तराई र कोशी, गण्डकी र कर्णाली। केन्द्र सरकारको बजटको एक तिहाई यी ५ राज्यलाई जनसंख्याका हिसाबमा बाडिने। ७५ जिल्ला कायम राख्ने। राज्य सरकारको बजटको एक तिहाई त्यसरी नै जिल्ला जाने। जिल्लाको एक तिहाई गाउँ शहरलाई।

यस्तो किसिमको पावर devolution स्वीकार छ केपीलाई?

रह्यो भाषाको सवाल। एक भाषा भन्ने केपीले खुम बहादुरले एक धर्म भन्दै छ। उसको खोल्न लागेको नया पार्टीको सदस्यता लिए  हुन्छ।