With their names to be decided by their duly elected legislatures through majority vote. Their elections, along with local elections to be conducted before monsoon 2015. That is my proposition. The Election Commission is right that it should have the authority to decide on election timetables for local, state and national levels. Each parliamentary constituency to be split into two for the state elections. Do we keep the 75 districts or no? It might make sense to keep them.
The only full timer out of the 200,000 Nepalis in the US to work for Nepal's democracy and social justice movements in 2005-06.
Tuesday, September 30, 2014
पुर्ण आन्तरिक लोकतन्त्रका सस्ता तरिका
अनिश्चितकालीन मधेश बन्द अगर ५ दिनसे ज्यादा तक जाए तो माँग सिर्फ सीके राउतकी रिहाईकी नहीं रह जाएगी, बढ़ जाएगी। ये मधेसी क्रान्ति एक नए पार्टीका निर्माण करेगी: मधेस स्वराज पार्टी। उस पार्टीमें पुर्ण आन्तरिक लोकतन्त्र रहेगी, और पुर्ण आर्थिक पारदर्शिता। पार्टीके आयव्ययका पैसे पैसेका हिसाब पार्टीके वेबसाइट पर रखा जाएगा। पार्टीके भितरके प्रत्येक पदके लिए पार्टीके भितर चुनाव होगी।
वार्ड लेवलसे केन्द्र तक आप चुनाव ही कराते रहिएगा तो कितने बैलट छपेंगे? खर्चा कितना बैठेगा? कौन देगा खर्चा? एक तरीका है जिसमें खर्चा ही नहीं होता है। मान लिजिए पार्टीका महाधिवेशन हो रहा है। देश भरसे १,००० प्रतिनिधि जमा हुए हैं। पार्टी अध्यक्षके लिए ३ उम्मीदवार मैदानमें हैं। तो क्या करेंगे। उन १,००० लोगोको आप तीन गुटमें बँटके खड़े होनेको बोलेंगे। उम्मीदवार क के नाम पर ३५० लोग खड़े हुए, उम्मीदवार ख के नाम पर ३५०, और उम्मीदवार ग के नाम पर ३०० लोग, लेकिन नियम है कि पार्टी अध्यक्षके लिए कमसेकम ५०% वोट चाहिए। तो उम्मीदवार ग को पराजित घोषित किया जायेगा, और उनके ३०० समर्थकोंको तभी कहा जाएगा, अब आप उम्मीदवार क और उम्मीदवार ख में से एकको चुनिए। वो ३०० लोग चलके दोमें एक चुनेंगे। पैदल चलके मत डालेंगे।
बैलटकी कोइ जरुरत नहीं है। खुला लोकतन्त्र। ये एक भी पैसा खर्चा किए बगैर चुनाव करानेका तरीका स्थानीय लेवल पर और भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है। वार्ड वार्ड में संगठन निर्माण करना है तो कैसे करेंगे नेतृत्वका चयन? ऐसे ही।
वार्ड लेवलसे केन्द्र तक आप चुनाव ही कराते रहिएगा तो कितने बैलट छपेंगे? खर्चा कितना बैठेगा? कौन देगा खर्चा? एक तरीका है जिसमें खर्चा ही नहीं होता है। मान लिजिए पार्टीका महाधिवेशन हो रहा है। देश भरसे १,००० प्रतिनिधि जमा हुए हैं। पार्टी अध्यक्षके लिए ३ उम्मीदवार मैदानमें हैं। तो क्या करेंगे। उन १,००० लोगोको आप तीन गुटमें बँटके खड़े होनेको बोलेंगे। उम्मीदवार क के नाम पर ३५० लोग खड़े हुए, उम्मीदवार ख के नाम पर ३५०, और उम्मीदवार ग के नाम पर ३०० लोग, लेकिन नियम है कि पार्टी अध्यक्षके लिए कमसेकम ५०% वोट चाहिए। तो उम्मीदवार ग को पराजित घोषित किया जायेगा, और उनके ३०० समर्थकोंको तभी कहा जाएगा, अब आप उम्मीदवार क और उम्मीदवार ख में से एकको चुनिए। वो ३०० लोग चलके दोमें एक चुनेंगे। पैदल चलके मत डालेंगे।
बैलटकी कोइ जरुरत नहीं है। खुला लोकतन्त्र। ये एक भी पैसा खर्चा किए बगैर चुनाव करानेका तरीका स्थानीय लेवल पर और भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है। वार्ड वार्ड में संगठन निर्माण करना है तो कैसे करेंगे नेतृत्वका चयन? ऐसे ही।
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