Sunday, January 28, 2007

डटे रहो


िहंसा के पथ पर मत जाअो
अागजनी मत करो, तोडफोडको रोको
लेिकन सडक पर तो डटे रहो
बहुुत हो चुकी गुलामी

अाठ पार्टी सरकारको माँगे पुरी करनी परेगी
क्रान्ित वार्ता थोरे करती है
क्रान्ित तो िवजय की अोर बढती है
बढ रही है
बढने दो

गृह मन्त्रीका राजीनामा लेंगे
बराबर जनसंख्यावाला २०५ सीट लेंगे
अारक्षण लेंगे
६० लाख नागिरकतापत्रिवहीन मधेशी के िलए
नागिरकतापत्र लेंगे
अफ्तब अालमको गृह मन्त्री बनाएंगे
अालमसे ज्यादा भोट नेपालमें कोइ लाता ही नहीं
इसिलए

अाठ पार्टी सरकार घोषणा करो
नहीं तो सद्भावना (अानन्दी) को
सरकारसे अलग हो जानी होगी

मधेशी जनािधकार फोरमको
राजनीितक पार्टी बना दो
जनता दल वा वैसा ही कोइ नाम दे दो
गाँव गाँवमें संगठन िवस्तार करो
वार्ड वार्डमें संगठन िवस्तार करो
क्रान्ितको शक्ितमें बदलो

वो कहते हैं मधेशी राजावादी हैं
िकसी भी मधेशीको पहाडी राजा भला क्यों चािहए
गणतन्त्रका पाठ मधेशीने पहाडीको िसखाया
जनकपुरमें महेन्द्रके गाडी पर बम फेंक्नेवाला
मधेशी ही तो था

समान अिधकारके साथ
गणतन्त्रका भी तो नारा लगाअो

गौतम बुद्ध एक मधेशी था
लेिकन वो कहते हैं मधेशी
िशव सेनावाले, िहन्दु कट्टरपन्थी, बीजेपी टाइप हैं
धर्म अपने जगह पर है
लेिकन ये क्रान्ित तो राजनीितक क्रान्ित है
गुलामीकी जंजीरको तोडनेकी क्रान्ित है

अप्िरलमें कहाँ कहा उन पहाडी नेताअो नें
िक सडक पर उतरे मधेशी
राजावादी हैं, िहन्दु कट्टरपन्थी हैं

िगिरजा है जो सेरेमोिनयल राजतन्त्रकी बात करता है
हमें तो गणतन्त्र अाज क्या अभी चािहए

वैसे मैने दुिनया के कोने कोने के िमिडयाको िलख िदया है
अप्िरलकी तरह
लेिकन तुम अपना िमिडया खुद बन जाअो
क्रान्ितका, सडकमें उतरे लोगोंका
िडिजटल फोटो अौर िभिडयो
इन्टरनेट पर रखो
शहर शहरमें
गाँव गाँवसे
िवश्व समुदायको हमारे पक्षमें लानी है
इसिलए

इस क्रान्ितको सडकसे िवजय घोषणा
िवजय घोषणासे संगठन िवस्तार
संगठन िवस्तारसे चुनावी िजत तक ले जानी है
िगिरजा, माधव, देउवा, प्रचण्ड, सुबथा
प्रत्येकका मधेशसे जमानत जब्त कर दो
संिवधान सभाके पहले सभाको
नेपालका पहला राष्ट्रपित मुझे
एक मधेशी दे दो
पहाडी पार्टीयोंको छोड दो
गुलामीकी जंजीरको तोड दो

Thursday, January 25, 2007

शान्ित वार्ता क्या, िवजय घोषणा करो


अप्िरलमें राजाने भी कहा
अाअो, शान्ित वार्ता करो
तुममेंसे एक प्रधानमन्त्री बन जाअो
सडक खाली कर दो
कुर्सी ही चािहए तो ले लो कुर्सी

अाज िगिरजा कह रहा है
अाअो, बालुवाटारमें अाके चाय िप लो
सडक खाली कर दो

प्रचण्ड कह रहा है
ये राजावादी हैं, ये िशव सेनावाले हैं
कोइ अौकात है इनका जो इनसे वार्ता
करें

राजाने भी अप्िरलमें कहा
दो चार मर गए हैं, कोइ बात नहीं
पाँच दश लाख दे देंगे
सडक खाली कर दो

बालुवाटारमें अाज शहीदके खूनका
मोल लगाया जा रहा है

पहले तो शहीद घोषणा करो
क्षितपूर्ित तो बादकी बात है
शान्ितपूर्ण जुलुस पर लाठी चलायी, गोली चलायी
गृह मंत्रीका राजीनामा एेन वक्तों के िलए ही तो है
नहीं तो माअोवादी भी गोली चलाए, काँग्रेसी भी गोली चलाए
िनहत्थे मधेशी पर
ये क्या जुल्म है

ये लगता है हडताल हो रहा है तुम्हें
ये तो क्रान्ित है
तुम नेता लोग जेलमें थे, घरमें थे
इसीिलए तुम्हें नहीं मालूम
अप्िरलमें भी यही तो हुवा था
सारी दुिनया जाग गयी थी
न्यू यर्कके सबवे ट्रेनमें
नेपालकी बात होने लगी थी
वही तो िफर हो रहा है

ये तो क्रान्ित है

क्रान्ित वार्ता नहीं करती
क्रान्ित तो िवजयकी अोर बढती है
बढ रही है

प्रत्येक मधेशीको नागिरकता दे दो
नहीं तो टुटी देशकी िजम्मेवारी तुम्हारी होगी
संिवधान सभाके िलए २०५ सीटको
बराबर जनसंख्याके अाधार पर बाँटो
नहीं तो टुटी देशकी िजम्मेवारी तुम्हारी होगी

ये बन्दरका खेल थोडे है
ये तो क्रान्ित है

क्रान्ित वार्ता नहीं करती
क्रान्ित तो िवजयकी अोर बढती है
बढ रही है



Monday, January 22, 2007
मधेश जल रही है


अाग लग गयी है मधेशमें
देखो मधेश जल रही है

सडक पर उतर अाए लोगोंको देखो
नेता कार्यकर्ताकी तो बात ही नहीं है
अप्िरल क्रान्ितमें जनतानें नेताको नेतृत्व िदया
इस मधेशी अान्दोलनमें भी वही हाल है
जनता अागे नेता िपछे
शहीद हो गए हैंंं बहुतन

हमें शहीद नहीं चािहए, हमें शान्ितं चािहए
हमें तो शान्ितपूर्ण क्रान्ित चािहए
हमें एक िनर्णायक मधेशी अान्दोलन चािहए

हमें मधेश नामका अलग राज्य नहीं चािहए
हमें मधेश नामका अलग देश नहीं चािहए
हमें तो पुरे नेपालका एक प्रत्यक्ष िनर्वािचत
मधेशी राष्ट्रपित चािहए

हमें समानता, शान्ित अौर समृद्िध चािहए
हमें अपना अिधकार चािहए
इिसिलए दे दो हमें एक िनर्णायक क्रान्ित
अा जाअो सडक पर हात िमलाअो
गले लग जाअो
नारा लगाअो
िचर के रख दो अाकाशको
तािक भावी पीिढ तक अावाज पहुँचे

गाँव गाँवमें संगठन िवस्तार करो
वार्ड वार्डमें संगठन िवस्तार करो
पर्चा बँडबाअो, पोस्टर लगबाअो
गले लग जाअो
नारा लगाअो

ये अार िक पारकी लडाइ है
मधेशी अिधकार: अभी नहीं तो कभी नहीं
ये िनर्णायक संघर्ष है
इसीकी तो इन्तजार थी हमें सिदयो से
क्यँू इतनी इन्तजार करवायी

िवराटनगर, राजिवराज, लहान
जनकपुर, जलेश्वर, मलंगवा
वीरगंज, भैरहवा, नेपालगंज, धनगढी
सब एक एक कर कब्जा कर लो

मधेशकी िमट्टीकी कसम
अा जाअो सडक पर
ये सडक तुम्हारा है

Friday, December 29, 2006

िफर से कह दो एक बार इन्िकलाब


िफर से कह दो एक बार इन्िकलाब
मधेशके िमट्टीकी कसम
तूफान खडी कर दो
ले लो कब्जे में
झापासे कञ्चनपुर
एक क्रान्ित िफर से कर दो

बगावत हो जाएगी
छयालीस सालकी बात थी
गजेन्द्र बाबुने कहा
पहाडी राजाने पहाडीयोको प्रजातन्त्र िदया
हमें क्या िदया
एक क्रान्ित िफर से कर दो

लोकतन्त्रकी बात करते ये पहाडी
लेिकन उनके लोकतन्त्रमें
एक व्यक्ित एक मत नहीं होता
नहीं तो बराबर जनसंख्या पर
संसदीय सीटे होती
एक क्रान्ित िफर से कर दो

सात सालमें मधेसीको बन्दूक थमाया कृष्ण प्रसादनें
क्रान्ित की मधेसीके कन्धे पर बन्दूक रखके
छयालीस सालमें प्रधानमन्त्री बना तो उसने कहा
मधेसी कायर होते हैं
इसी िलए नहीं भर्ती करते हम सेना में
एक क्रान्ित िफर से कर दो

दश साल पहले पहाडीयोनें अाँकरा बनाया
बयालीस लाख बगैर नागिरकता पत्रके हैं
अाज वो दश साल बाद तीस लाखको नागिरकता पत्र
देने जा रहे हैं
ऐसी बर्ताब रही तो टूट जाएगी देश
एक क्रान्ित िफर से कर दो

िकसी भी मानवको नागिरकता पत्रसे वञ्िचत करना
मानव अिधकारका हनन है
िलखा है मानव अिधकारके घोषणापत्रमें
लेिकन पहाडी मानव अिधकारवादी संगठनें
चूं नहीं बोल्ते
एक क्रान्ित िफर से कर दो

पृथ्वी शाहके राजा बननें से हजारो साल पहले
एक राजा जनक हुवा करते थे
अाज ये िमिथलावासीको भारतीय कहनेका
दुस्साहस करते हैं
ले लो वतन या दे दो वतन
एक क्रान्ित िफर से कर दो

जनसंख्या है हमारे पास
एक व्यक्ित एक मतका लोकतन्त्र अा जाए
तो राज्य पर होगा हमारा कब्जा
लेिकन वो कह रहे नहीं चािहए वैसा लोकतन्त्र
ले लो उसे िछनके
एक क्रान्ित िफर से कर दो

पत्ता साफ करो मोरङसे कोइराला खान्दानका
राणा गए, शाह गए, कोइराला भी जाएंगे
जमानत जफ्त करो माधव नेपालका
रौतहटमें, प्रचण्डको कहो काठमाण्डुमें ही रहे
िचतवन हमारा है
एक क्रान्ित िफर से कर दो

हेम बहादुर धनुषासे िजते
शरद िसंह महोत्तरीसे
ये क्या नौटंकी है
िजता है क्या कोइ यादव
काठमाण्डुसे
एक क्रान्ित िफर से कर दो

एमालेवाले चीनका हँसुवा हथौडावाला झण्डा
टाङ्ते है
कोइ अापत्ित नही िकसीको
सद्भावनाके झण्डाको कहते हैं
भारतका ितरङ्गा है
एक क्रान्ित िफर से कर दो

अपने अापको मधेसी क्यों बोल्ते हो
नेपाली बोलो कहते हैं
बोलो उनको, मानवताके उचाइको देखो
संकीर्ण िवचार छोडो, मानव बोलो,
नेपाली क्यों बोल्ते हो
एक क्रान्ित िफर से कर दो

िहन्दी ही तो है मधेशकी पहचान
नहीं तो मधेशी, भोजपुरी, अविध, उर्दुमें बँटे हैं
िहन्दी ही तो है पुरे मधेशको एक करती है
सम्पर्क भाषा है
िहन्दीको उसकी जायज जगह दो
एक क्रान्ित िफर से कर दो

अिधकार भीख की तरह नहीं माँगी जाती
अिधकार तो िछन्ना परता है
तमुनेे अप्िरलमें जैसे िछना
अप्िरल क्रान्ितका शंखघोष तुमने
जनवरी १२ को जनकपुरमें िकया
एक क्रान्ित िफर से कर दो

ललकारो उन मधेशीयोको
जो अात्मघृणाका भाषा बोल्ते हैं
गाँव गाँवमें जाअो
संगठन िवस्तार करो
उजाला फैलाअो
एक क्रान्ित िफर से कर दो

मधेशके िमट्टीकी कसम
िफर से कह दो एक बार इन्िकलाब


पहाडी मधेशी दंगा
सद्भावना रोडम्याप
नेपालमा दमजम अान्दोलनको अावश्यकता
नेपालमा संसारको नम्बर एक लोकतन्त्रको स्थापना हुन सक्छ
राजतन्त्र, बाहुनवाद र भर्ष्टाचार समाप्त पारौं
वीपी र िगिरजाको कहानी
िगिरजा, माधव, प्रचण्ड सब एक जैसे हैं
मधेशीसँग संख्या छ, शिक्त छैन
ितमीले देखाइ िदयौ
कर्फ्यु तोड्न आह्वान गर्नेले
जाउलो खाएर क्रान्ित गर
क्रान्ितलाई नबुझ्नु, बुझ पचाउनु
ये तो क्रान्ित है
यो सडक ितम्र्ो हो
संघीय गणतन्त्र
अहिंसाका प्रश्न
मधेशी अधिकारको कुरामा पहाडीहरुको सहभागीता
मधेशी पहचान
देशव्यापी पम्फलेटिङ
प्रहार गरिहालौं
अइ आन्दोलनमें मधेशी अधिकारके बात
लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नै किन?

Saturday, January 27, 2007

Sahana Pradhan, Sarita Giri, Chitra Lekha Yadav, Prativa Rana

Top women leaders tell of Nepal’s struggle for peace and democracy


Photo by Jeff Watts

Saji Prelis, SIS, left, introduces Nepali political leaders. Left to right, they are Sahana Pradhan, Sarita Giri, Chitra Lekha Yadav, and Prativa Rana.


RELATED LINK
> School of International Service


The people of Nepal were caught for years between a violent Maoist insurgency and a king who reacted by dissolving the parliament and imposing authoritarian rule.

But over the past year, “something very unique has happened in our country,” said Sarita Giri at a panel of top women politicians from Nepal, “Nepal at the Crossroads: The Path to Peace.”

The panel at the School of International Service included the highest-ranking woman in Nepali politics, Chitra Lekha Yadav, reappointed last week as deputy speaker of the House of Representatives.

After a decade of bloodshed, there is now hope that Nepal can become an example of a country where an insurgency ends peacefully when political parties and guerillas find common ground.

A coalition formed by the Maoists and seven mainstream parties led to an outpouring of popular protest last year against the king’s rule, forcing him to relinquish absolute power. Now a cease-fire is in effect as the country prepares for an election that will lead to rewriting the constitution and could redefine, or even abolish, the role of the king.

In effect, “the political parties embraced a long-term demand of the Maoists,” said Yadav, the deputy speaker, who is also a leader of the large Nepali Congress (Democratic) party. The rebels have called for an end to the monarchy, but say they will abide by the results of the “constituent assembly,” or constitutional convention.

“The Nepali people have struggled both against the authoritarianism of the king and against the politics of violence,” said Giri, a leader of the Sadbhavana Party (Anandi Devi), which advocates for the large madhesi ethnic group. “The Nepali people have come to believe that the solution of the conflict lies in having a new constitution . . . and the Maoists also somehow understood their own limitations. They have a correct reading of the world scenario, and what is possible and not possible.”

“The Maoists realized their armed struggle will not work,” agreed Sahana Pradhan. “Ulti-mately it is the peace movement of the people that will work. They were looking for a chance to come out and lay down their arms and join democracy.”

Pradhan is a founder of UML, which stands for Communist Party of Nepal (United Marxist-Leninist) but is a moderate left party.

Nepal became a democracy with a constitutional monarchy in 1990, but the king remained above the law and retained the right to impose direct rule if he chose, which is what King Gyanendra did in the 2005 “royal coup.”

“People now are thinking the trouble has to do with the monarchy,” Pradhan said. “They want this to be the last struggle.”

Hopes for the future are high. Success, though, will depend on the effectiveness of democratic leaders, who are known for squabbling and “passing the buck,” warned Prativa Rana, a leader of the pro-monarchy Rastriya Prajatantra Party (RPP), which views the tradition of royalty as a unifying force in Nepal. Rana raised concern about the tendency of politicians to blame past rulers for current failures, which, she said, is an easier path than taking responsibility for success in the present.

“There was much bickering among political parties,” agreed Pradhan. “Democracy did not work as people expected. People would say, ‘what type of democracy is this?’”

The panelists agreed that one key to success will be greater political power for women. Political parties have now pledged to give a third of their tickets to women, who came out in large numbers to demand a restoration of democracy and call for a constitutional assembly.

“Evidence from all over the world shows women are less corrupt,” Giri said. “We firmly believe that promoting women in political power will definitely lead us to a position of peace and more sustainable democracy.”

The talk was cosponsored by the Peacebuilding and Development Institute at the School of International Service and the Initiative for Inclusive Security at Hunt Alternatives Fund, a foundation that supports leaders of social movements and promotes peace processes. The women have been in the United States for a two-week policy forum in Cambridge, Mass., and Washington, D.C.






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Process to disarm Nepal's ex-communist guerrillas resumes International Herald Tribune
Nepal`s Maoists urge US to wipe them off `terrorist` list Zee News
PM meets with Nepal to discuss Terai unrest
Nepalnews.com, Nepal the two agreed to call the meeting of eight parties to address the genuine demands of the Madhesi people. ...... the two discussed the possibility of infiltration by reactionaries and the need to address demands like electoral system based on proportional representation, delimitation of electoral constituencies based on population and federal restructuring of state. ...... The date of the meeting of the eight party leaders to discuss Terai agenda and possibly announce changes in the interim constitution to address Madhesi people's demands have, however, not been fixed yet.
Nepal: Peudo-Constitution, Autocratic Government Scoop.co.nz (press release)
PM Koirala, Nepal agree to take political measures to pacify Terai ... Kantipur Online
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