मणिशंकर अय्यर लाई जवाफ
- अगर हमें बॉर्डर क्रॉस करना ही पड़ा तो हम नेपाल भारत का बॉर्डर नहीं चीन का बॉर्डर क्रॉस करेंगे।
- लेकिन उसकी भी शायद जरुरत न पड़े।
- मधेस अलग देश घोषणा करेंगे। लिम्बु, राई, तामांग, मगर, गुरुङ्ग (इनको आप पहचानते होंगे, ये आपके सेना में भी हैं) को कहेंगे तुम भी करो और हम मिल के एक कॉन्फ़ेडरेशन बनाएंगे। अभी फेडरेशन की माग कर रहे हैं। उस समय बात बढ़ के कॉन्फ़ेडरेशन तक पहुँच जाएगी।
- नेपाल में भी उत्तराखंड है, वो हम भारत को गिफ्ट देंगे। कि लो अपने उत्तराखंड में मिला लो इसे। रूस ने जिस तरह अलास्का गिफ्ट किया अमरिका को। हम भी कॅश लेंगे। एक बिलियन डॉलर। कॅश। आज नगद कल उधार। भारत भी क्या याद रखेगा! कि ये कैसा पडोसी पैदा हो गया देखते ही देखते। पहले वाला सिर्फ लेना जानता था। ये नया वाला शुरू में ही गिफ्ट दे रहा है। वो भी छप्पर फाड़ के। बिलियन डॉलर तो एक नदी से एक साल में कमा लेंगे। सस्ता, बहुत सस्ता। अलास्का भी सस्ते में मिल गया था।
- नए देश का नाम रहेगा महाभारत। अभी के नेपाल के मध्य से एक पर्वत श्रृंखला जाती है, उसका नाम है महाभारत। उत्तर में हिमालय, वो शेरपा लोगों का है। दक्षिण में चुरिया, वो मधेसी का है। महाभारत न्यूट्रल नाम रहेगा।
‘नेपाललाई श्रीलंकाको जस्तो अवस्थामा पुर्याउन नदिनुस्’
मणिशंकर अय्यर लाई जवाफ
- संविधान सभा मा व्हिप जारी गर्न पाइँदैन। त्यो विश्वव्यापी मान्यता हो। नेपालको संविधान सभा मा व्हिप जारी गरियो र त्यसलाई संसद बनाइयो। यो कुनै संविधान सभा ले पारित गरेको संविधान हुँदै होइन।
- संविधान जारी हुनु केही वर्ष अगाडि देखि मधेसको कुना कुनामा सशस्त्र पहाड़ी लाई हात मा बन्दुक थमाएर कुना कुना चोक चोक मा उभ्याइयो। १००% पहाड़ी। सोच्न सक्ने ले सोच्न सक्नुपर्छ नेपाल कस्तो देश हो जहाँ मधेसी समुदाय लाई आफ्नो देशको प्रहरी सेवामा भर्ना गरिँदैन? नसोच्ने लाई त मतलब हुने भएन।
- संविधान जारी गर्नु केही हप्ता अगाडि त्यसरी मधेस को चोक चोक मा उभ्याइएको सशस्त्र पहाड़ी लाई Shoot At Sight Order जारी गरियो। दंगा फसाद त पर को कुरा हो। सड़कमा कुनै नारा जुलुस पनि थिएन। दुनियाको इतिहास मैले धेरै पढ़ें, तर त्यसरी शांतिपूर्ण अवस्थामा Shoot At Sight Order जारी गरिएको त्यो पहिलो हो। मैले त्यस्तो कहीं पनि देखेको पढेको छैन। हिटलर र मुसोलिनी को शासन कालमा पनि निहुँ खोज्ने काम हुन्थ्यो।
- खस एकाधिकार वाला सेना, प्रहरी, प्रशासन को नाङ्गो नृत्य थियो दोस्रो संविधान सभा को चुनाव। अलि अलि होइन टोटल धाँधली। मधेसमा मात्र होइन पहाड़मा पनि धाँधली। पहिलो संविधान सभा मा मधेसी र जनजाति ले चाहे जस्तो संघीयता आयेमा "देशमा रगतको खोलो बग्छ" भन्ने मान्छे प्रधान मंत्री बनेको थियो। के त्यो लोकतंत्र को भाषा हो?
- मानव अधिकार को रक्षा भएको, सार्वभौमसत्ता जनता मा एक व्यक्ति एक मतको धरातलमा सुरक्षित रहेको देश मात्र सार्वभौम देश हो। तानाशाही/फासिस्ट हरुको पकड़मा रहेको देश को शासक ले सार्वभौमिकता को क्लेम गर्न पाउँदैन। र मधेसी कुन भारतीय अथवा चिनिया को मा गएर गुहार गुहार गरेको छ? त्यो गर्ने त पहाड़ी हो। आफै ले टाउको, छाती, पिठ्यु ताकी ताकी गोली हान्ने, आफै दुनिया को प्रत्येक राजधानी मा गुहार गुहार भन्न जाने? मधेसी वीर जाति हो। कतै गुहार गुहार भन्न गयेको छैन। मधेसी भारत को भुमि मा गएर क्रांति गरेको छैन। बॉर्डर पारिका आम जनता ले किन मधेसी लाई समर्थन गरे भन्ने प्रश्न गर्ने हरु यथार्थ भन्दा यति टाढा छन कि ती यस विवादमा नपर्नु नै बेस हुन्छ। एउटै मानिस लाई बॉर्डर वारि पारि पारिएको छ। अपना पराया छैन बॉर्डर वारिपारी। त्यति नबुझ्ने हरु यस वाद विवाद बाट टाढा बस!
- मधेसी ले एक व्यक्ति एक मत भन्दा बढ़ी केही चाहेको छैन। मधेसी ले मानव अधिकार को मुद्दा मा विश्वको कुनै शक्ति सँग समझौता गर्ने छैन। काठमाण्डु का शासक त कुनै शक्ति नै होइन। यति का लागि एक मधेस दो प्रदेश त सानो कुरा हो। हामी जानै परे एक मधेस अलग देश सम्म जान तैयार छौं। त्यसका लागि हामीलाई भारतको संसद को अनुमोदन को जरुरत पर्ने छैन।
- उही हो, हामी पहाडका जनजाति लाई फासिस्ट शासक को जिम्मा लगाएर हिड्न हामीलाई भाइचारा ले दिराखेको छैन। बिहार र उत्तर प्रदेश का मानिस सँग हाम्रो रगतको नाता छ भने नेपाल पहाडका जनजाति सँग हाम्रो त्यस्तै गहिरो राजनीतिक मुद्दा को नाता छ। होइन भने हामी मधेस अलग देशमा उहिले पुगिसक्ने। हाथी को जुट का धागा तोडना आता है।
- मेरो समस्या यो छ कि भारत ले घोषित नाकाबंदी गरेको छैन। भारत दुनिया को सबैभन्दा ठुलो लोकतंत्र भन्ने मैले ठानेको थिएँ। होइन रहेछ। I am deeply disappointed in India. आफ्नो सबैभन्दा राम्रो सम्बन्ध छ भन्ने दाबी गर्ने देशमा त भारतले मानव अधिकार को रक्षा का लागि भारत ले केही गर्न सक्दैन, निरीह भएर बस्छ भने त्यो भारत विश्व शक्ति त पर को कुरा हो, म त्यस भारत लाई क्षेत्रीय शक्ति पनि मान्न तैयार छैन। Wake up India!
- जुन तराईका निर्वाचित सांसद को तपाइँ कुरा गर्दै हुनुहुन्छ ती सांसद काठमाण्डु मा किन लुकेर बसेका छन? वो वास्तवमें चुनाव जितके गए हैं तो अपने अपने क्षेत्रो में सीना तान के क्यों नहीं चल रहे हैं? क्या लोकतंत्र? कैसा लोकतंत्र? जिस देशमें देशकी सबसे बड़ी पार्टी चुनाव जितते ही अपनी मैनिफेस्टो खिड़की से बाहर फेंक दे उसको आप लोकतंत्र कहेंगे? इन लोगों को लगा जिस सेना प्रहरी के बल पर चुनाव जिते हैं उसी के कंधे पर चढ़ के एक गलत संविधान जनता पर लदबायेंगे। उन्हें गलत लगा। मधेसी को पहचाने नहीं हैं तो अब पहचान जायेंगे।
- अभी तो सिर्फ एक नाका बंद किये हैं। ऐसा ही रहा तो प्रत्येक नाका बंद कर देंगे। तब वो किस किस राजधानी घुमते फिरेंगे?
- मुझे आज बहुत अफ़सोस हो रहा है। मैं लोकतंत्र समझता हुँ। ना समझता तो मधेस आंदोलन ना समझता। प्रत्येक भारतीय का धर्म हिन्दु धर्म नहीं है, लेकिन प्रत्येक भारतीय का धर्म लोकतंत्र है। और दुनिया को पहला गणतंत्र दिया बुद्ध ने, तरवार के बल पर नहीं ज्ञान के बल पर। बुद्ध जो कि मधेसी थे। हम मधेसी कोइ जातीय दंगा फसाद नहीं कर रहे। हम लोकतंत्र के लिए लड़ रहे हैं। भारतीय Opposition मधेस को ना समझे, ना पहचाने, हमदर्दी ना रखे, वहाँ तक तो ठीक है। शायद मधेस दुर है। अभी तक आपके समझ और हमदर्दी के बगैर ही काम चला लिए थे, आगे भी चला लेंगे। लेकिन जो सांसद, जो Opposition अपने सटे पड़ोस में हो रही है लोकतंत्र की लड़ाई का नब्ज न थाम सके उसे क्या कहा जा सकता है? या तो आप लोकतंत्र समझते नहीं हैं, या फिर समझते हो लेकिन लोकतंत्र के लड़ाई को अपना समर्थन देने से डरते हो, कि भइ कौन जाए उतना माथापच्ची करने, मेरा समस्या थोड़े है? आखिर बात क्या है?
- हम मधेसी भारतीय ही तो हैं। हम हिंदी बेल्ट के लोग हैं। इंडियन आइडल प्रशांत तामांग का जात नेपाली, हम मधेसी का जात भारतीय। नागरिकता नेपाली और जात भारतीय कहता तो ५० लाख मधेसी हैं जिनके पास किसी भी देशका नागरिकता ही नहीं है। वो मानव अधिकार का हनन है। एक ऐसा जिंदगी जहाँ आप डेली वेज पर काम करने के सिवा और कोई सपना देख ही नहीं सकते, क्या वो स्लेवरी नहीं है? दासता नहीं है? वो हमें मंजुर नहीं। उस दासता को हम अपने बलबुते पर खत्म करेंगे अभी।
- जो लोग काठमाण्डु में अभी शासन कर रहे हैं वो वही लोग हैं जिन्होंने अंग्रेजो को भारत पर लाद्ने का काम किया। जभी अंग्रेजो का पैर डगमगा रहा था, लग रहा था भारतीय उन्हें बंगाल की खाड़ी में जा के फेंक देंगे तभी इन लोगों ने अंग्रेजो की जम के मदत की। क्यों कि? किस आधार पे? उनका चरित्र अभी तक बदला नहीं है। भारत के सांसदो, जाओ इतिहास पढ़ो। मधेस क्या है, मधेसी कौन है जरा पहचानने की कोशिश करो। हम मुग़ल साम्राज्य के अंग थे। काठमाण्डु के शासको ने भारत पर अंग्रेज को लाद्ने का काम किया। पुरस्कार स्वरुप हमारी भुमि अंग्रेज ने उन्हें दे दिया। तुम्हारा लड़ाई १९४७ में खत्म। हमारा लड़ाई अभी चल रहा है। तुम जित गए। हम भी जितेंगे। तुम्हे किस विश्व शक्ति ने मदत किया उस वक्त? हम भी खुद जित सकने की ताकत रखते हैं।
- क्या भारत और अमेरिका के पास प्रहरी सेना नहीं? अपने भुमि, अपना अधिकार के सेवा में अगर जरुरत पड़ी तो मधेस अपना पुलिस अपना सेना खड़ा कर सकती है। जिस पृथ्वी नारायण शाह को ये लोग अपना राष्ट्रपिता मानते हैं उसका जान बख्सा हमारे पुर्वजो ने। नहीं तो वो एक ही लड़ाई में ख़त्म हो चूका था। वो तिरहुतिया फ़ौज आज भी खड़ी हो सकती है।
- Ruling party और Opposition party का खेल आप बिहार में खेलो, उत्तर प्रदेश में खेलो। पश्चिम बंगाल, तामिलनाडु। सब जगह। आपका हक़ है। लेकिन मधेस के मुद्दे पर आप एक नहीं हो सकते। दुःख की बात है। अफ़सोस होता है हमें।
- काठमाण्डु के शासक पैदायशी अंग्रेज नहीं हैं। ये १००% सब दक्षिण भारत से भाग के गए लोग हैं। मुघलों ने खदेड़ा तो ये भाग निकले। लेकिन ये भारत को उस कदर घृणा करते हैं जैसे किसी गोरा काला को ना करता हो। क्या वजह है। जो खुदको घृणा करे वे रोगी होते हैं। रोगका नाम है आत्म घृणा।
- वही रोग शायद आप को भी है। आप प्रत्येक का धर्म लोकतंत्र। उस धर्म की लड़ाई हम मधेसी लड़ रहे हैं। और आप को दिखाई तक नहीं दे रहा है? लानत है आप पर। लोकतंत्र सिखो मधेसी से जो लोकतंत्र के लिए कुर्बान होना जानता है, ५० कुर्बान हो गए, ५० और लाइन में लगे हुवे हैं।
- रह गयी चीन की बात तो आप जरा अख़बार पढ़ लिया करो। चीन भारत के साथ प्रतिस्प्रधा में नहीं है। नेपाल में नहीं। क्यों कि चीन को मालुम है मधेस के विरोध में वो जायेगा तो मधेस चीन के विरुद्ध अमरिका को खड़ा कर सकता है। तो आप चीनकी चिंता हम पर छोड़ दो। आप अपनी चिंता करो। कि ये जो धर्म युद्ध मधेसीयों ने छेड़ दिया है उसमें हिस्सा लेना है कि नहीं? ये महाभारत है। कुछ लोग डाल पर बैठ के टीवी सीरियल के तरह सिर्फ देखना पसंद करेंगे। उनकी मर्जी। मधेसी के तरफ से कोइ शिकायत नहीं।
- महात्मा गांधी के बारे में बहुत नासमझी है लोगों में। गांधी ने कहा मैं चाहता हूँ आप अन्याय के विरुद्ध अहिंसा का अस्त्र प्रयोग करो। लेकिन अन्याय को बर्दास्त करने से अच्छा है आप हिंसा पर ही उतर जाओ। एक तीसरा रास्ता है। अपना अलग देश घोषणा करो और अपनी सेना खड़ा कर दो। हम अभी के अवस्था में अनिश्चितकाल के लिए नहीं हैं। या तो मधेसी नेपाल के भितर समानता लेगा या फिर अलग देश खड़ा करेगा। ये निर्णय सालों महिनों में नहीं हप्तो में लिया जाएगा।
- भारत का नेपाल के साथ सम्बन्ध रहा ही नहीं अभी तक। तो ध्वस्त कैसे हो सकता है? ये एक बहुत अस्वस्थ सबंध रहा है जिसका ध्वस्त होना बहुत जरुरी है। भारत के प्रति घृणा नेपाल के शासक का धर्म रहा है। उसको आप सम्बन्ध कहते हैं? अंग्रेज से आप नहीं डरे, इन नेपाली खस लोगों से डर गए? इतनी जल्दी?
- संविधान सभा में व्हिप जारी कर के उसको संसद बना देना, उससे पहले सिर्फ मधेस में Shoot At Sight Order जारी करना। जारी करने के बाद मधेस भर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू घोषणा कर के प्रत्येक मधेसी के घर को ही जेल बना देना। इसको आप लोकतंत्र कहते हैं? वो आपकी लोकतंत्र आपको सलाम। आप अपने देश में भी कुछ ऐसा हो लोकतंत्र लागु कर लो। तब देखेंगे।
- शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर ताक ताक के राष्ट्रिय अन्तर्राष्ट्रिय कानुन और अपने ही सर्वोच्च अदालत के आदेश के विरुद्ध सर, सीना, पीठ पर गोली मारा गया है। हजारों घायल हैं। १०,००० और घायल होने को तैयार हैं। इसको आप लोकतंत्र कहते हो? कहाँ से लाए ऐसा बकवास डिक्शनरी!
- मोदी और जयशंकर पर आप लांछना मत लगाओ। ये लड़ाई हमारी है, मोदी की नहीं, जयशंकर की नहीं। मोदी और जयशंकर एक जन निर्वाचित सरकार के अंग हैं। हो सकता है उन्हें अपने देश की चिंता हो। हो सकता है उन्हें बिहार और उत्तर प्रदेश की चिंता हो। वो शायद नहीं चाहते कि बात बिगर जाए और ३० लाख मधेसी बॉर्डर क्रॉस करे। उन्हें मधेस नहीं भारत की चिंता है। और होना भी चाहिए। I don't blame them. They have a job to do.
- आपको किसकी चिंता है? आप उन लोगों के पक्ष में क्यों खड़े हैं जो चाहते हैं कि ३० लाख मधेसी बॉर्डर क्रॉस करे ताकि वो उनका जमीन हड़प सकें। आप मधेस की चिंता मत करो। लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश की चिंता तो कर लिया करो कभीकभार।
- मेरे जीवनकाल में जिस आदर से मोदी ने नेपाल के प्रति देखा और एक नया शुरुवात करना चाहा, वैसा मैने किसी भारतीय प्रधान मंत्री को नहीं देखा। एक साल में कौन भारत का प्रधान मंत्री दो दो बार नेपाल जाता है? अधिकांश तो अपने कार्यकाल भर में एक बार भी गए कि नहीं गए।
- एक ऐसा आदमी जो दुनिया का सबसे पॉपुलर पॉलिटिशियन बन चुका है, जो नेपालके प्रति अपने दिल में एक soft spot बनाये बैठे हो, जो नेपाल का आर्थिक कायापलट करने में मदत कर भी सकता है और करना भी चाहता है ----- उसके रास्ते में नेपालके फ़ासिस्ट शासक रोड़ा अड्काए बैठे हैं। इसका हिसाबकिताब नेपालके पहाड़ी मतदाता आगे २० साल तक लेती रहेगी। आप देख लेना। ये क्रुर लोग हैं जो नेपाल में गद्दी पर बैठे हैं। विश्व समुदाय ने चार बिलियन डॉलर दिया है भुकम्प पीड़ित लोगों के लिए। उसमें से २५% भारत का है। लेकिन नेपाल के क्रूर शासक उस चार बिलियन और भूकम्प पीड़ित के बीच में आ गए हैं। उसको आप लोकतंत्र कहते हो? फ़ासिस्ट लोगों की न अपनी जात होती है, न धर्म न देश, न मतदाता। ऐसे लोगों की आप तरफदारी कर रहे हो। शर्म आनी चाहिए। मधेसी को भुलो। कमसेकम पहाड़ के भुकम्प पीड़ित को दो मिनट याद कर लो।
- नेपालमे सात साल के अथक प्रयास के बाद संविधान जारी नहीं हुवा। भुकम्प नहीं आया होता तो अभी भी जारी नहीं हुवा होता। भुकम्प आने के बाद नेपाल के शासकों को लगा, ये अच्छा मौका है, देश अस्तव्यस्त है, जनता सड़क पर आने के स्थिति में नहीं है। गलत संविधान जारी करने का यही अच्छा मौका है। तो मधेसी, जनजाति, दलित, महिला का घाँट निमोठ्ने वाला संविधान जारी किया गया। उनको पहले से मालुम था मधेसी नहीं पचाएंगे इसे। इसीलिए तो गली गली में सशस्त्र खड़ा कर के शूट एट साईट आर्डर जारी किया गया। आप के देश में भी संविधान जारी करने से पहले गली गली में सशस्त्र खड़ा कर के शूट एट साईट आर्डर जारी किया गया था क्या? किस पुस्तक में मिलेगी वो जानकारी? हमें भी पढ़ा दो कोई बकवास डिक्शनरी।
- हमें ताज्जुब इस बात की है कि क्रांति करते हैं हम क्रेडिट मिलता है भारत के लोगों को। शहीद होते हैं हमारे बच्चे, क्रेडिट मिलता है भारत के लोगों को। बॉर्डर बंद करते हैं हम क्रेडिट मिलता है भारत के लोगों को। भारत सरकार ने मोदी सरकार ने डेढ़ साल में कोई काम किया ही नहीं कि आप हमारे कामों का भी क्रेडिट उन्हें ही दिए जा रहे हो? ये कैसा कांस्पीरेसी चल रहा है दिल्ली में? विपक्ष के लोग भी मोदी को क्रेडिट दे रहे हैं। ताज्जुब है। जो काम किया है उसका तो क्रेडिट देते नहीं, जो काम किया ही नहीं उसका क्रेडिट दे रहे हो। हमारे काम का क्रेडिट मोदी को क्यों दिया जा रहा है? I mean, we don't dislike him or anything, quite the contrary (मधेस के जनता में न जाने क्यूँ एक क्रेज सा है मोदी के प्रति) but please give credit where credit is due. आ जाओ एक बार जनकपुर। क्रांतिकारियों से मिलवायेंगे। वीरगंज आ जाओ। बॉर्डर पर खाना भी खिलवाएंगे। मेस चालु है। लगता है रोज बारात आ रही है। जनता में क्रांति का नशा है। लगता है भांग खा के आ जाते हैं। झूमते रहते हैं।
- कुछ लोग होते हैं। वैसे बहुत हैं। एक तो कभी चीन के लोगों से मुलाकात हुइ नहीं होती है। लेकिन जो दो चार दस बीस मिले होते हैं उन्हें उन सबका चेहरा बिलकुल एक दिखाई देता है। मेरे को लगता है ये आइडेंटिटी कन्फ्यूजन का मामला हो सकता है। काठमाण्डु के लोगों को २५० साल हो गए प्रत्येक मधेसी भारतीय दिखता है। बॉर्डर पर अवरोध किसने किया? भारतीय ने। बॉर्डर से ३० किलोमीटर उत्तर जुलुस नारेबाजी किसने की? भारतीय ने। उसके तो हम आदी हैं। उन्होंने तो हमें कभी नेपाली माना ही नहीं। लेकिन ये रोग दिल्ली तक कैसे पहुँच गया इबोला वायरस के तरह?
- हमें नाकाबंदी का कोइ शौक नहीं था। कोई इरादा नहीं था। हम तो शांतिपूर्वक जुलुस नारेबाजी करना चाहते थे। You might be surprised but we are followers of Mahatma Gandhi. लेकिन हमें धक्का देते देते बॉर्डर पर पहुँचाने वाले वही लोग हैं जो आज आपको शिकायत कर रहे हैं कि देखो वो भारतीय लोग बॉर्डर पर जा के बैठ गए हैं। तो भइ धक्का क्युँ दिया? बॉर्डर पर जा के नहीं बैठेंगे तो आसमान में उड़ चले जाए हम? हम हनुमान हैं? हम तो साधारण मनुष्य।
- हमारा राजनीतिक आंदोलन का क्या राजनीतिक समाधान है वो हम ने लिख के दे दिया है। क्यों कि वो तो माथापच्ची कर सके ये उनकी काबिलियत नहीं। ११ माँगे पुरा करो तो हनुमान अपनी पुछ बॉर्डर पर से हटा देंगे।
- सुषमा स्वराज ने नेपाल में बहुत अच्छा काम किया है। जो काम किया है वो तो आपको मालुम भी नहीं। और लगातार डेढ़ साल का रिकॉर्ड है उनका। उसका क्रेडिट दो। हमारे क्रांति का क्रेडिट हमारे आंदोलनकारियों को दो। बहुत कठिन काम है जो वो कर रहे हैं। ये लोग जंतर मंतर में रैली नहीं निकाल रहे हैं।
- ३० लाख बच्चे मारने पर कौन तुला हुवा है? जब देश में कोई मधेस आंदोलन था ही नहीं उस समय भी इन लोगों का भुकम्प पीड़ित के साथ ऐसा ही रवैया था जो आज है। This is a human hostage situation perpetrated by a fascist government in Nepal.
- ५ लाख मधेसी काठमाण्डू में है। १५ लाख मधेसी और जनजाति काठमाण्डु में हैं। इस तथ्यांक को आगे लाने का मतलब? फिर से ह्रितिक रोशन दंगा करबाने की धम्की? वो भी भारत के संसद में? मेरा शर शर्म से झुक गया। इतना डर? भारतके संसद में? Never negotiate with fascists and terrorists. ह्रितिक रोशन दंगा का मास्टरमाइंड बामदेव गौतम ही तो वो व्यक्ति ही जिसने अभी हाल में ५० मधेसीयों को मौत के घाट उतार दिया। इस अपराध के बारे में भारत चुप क्यों रहना चाहता है?
- कृपया स्थिति की तुलना श्री लंका से ना करें। तामिल भारत से श्री लंका पहुंचे होंगे। लेकिन मधेसी तो भुमिपुत्र हैं। We are the local people. भारत से आये लोग तो वो हैं जो शासक बन गए हैं। भगौड़ा लोग जो मुग़लों को सामना ना कर सके। We are not 12% of the country, more like 40%. And we are confident a peaceful, democratic movement will get us to our goal.
- हम मधेसी जनजाति का साथ ले के नेपाल का नया शासक वर्ग बनना चाहते हैं। विजय प्राप्त कर के रहेंगे। हम मधेसी दिल्ली के साथ स्वस्थ सम्बन्ध चाहते हैं जिसके आधार पर नेपाल का विकास किया जा सके, हम चाहते हों नेपाल १००,००० मेगावाट जलबिद्युत पैदा करे ताकि नेपाल, बिहार, उत्तर प्रदेश में दिन में दिवाली रात में दिवाली की स्थिति आ जाए। भारत के प्रति सदा चरम संदेह करने वाले लोग ही नेपाल के गरीबी का कारण हैं। हम उस अस्वस्थता को ख़त्म करना चाहते हैं ताकि देश विकास के पथ पर आगे बढे।
- Between us we Madhesis and Janajatis are two thirds of the country. Sri Lanka? What Sri Lanka?