The only full timer out of the 200,000 Nepalis in the US to work for Nepal's democracy and social justice movements in 2005-06.
Monday, January 20, 2025
Thursday, December 26, 2024
Why 100 Crores? A Vision to Usher in a New Era
Why 100 Crores? A Vision to Usher in a New Era
The Kalkiist Manifesto is a groundbreaking document—the first in 5,000 years to present a roadmap to end the Kali Yuga and usher in the Satya Yuga. This transformative vision offers humanity a chance to escape the endless cycle of inequality, suffering, and discord. And notably, it has gone unchallenged.
At the heart of this movement lies the Kalkiism Research Center, an ambitious think tank based in Kathmandu. With 50 top economists and 50 renowned medical professionals, the center is spearheading efforts to bring the Kalkiist economy to life. The chosen pilot project country? Nepal, referred to in ancient scriptures as Shambhala—a place of spiritual significance and the perfect starting ground for a new age of balance and prosperity.
Why Nepal? Why Now?
Nepal has been selected to host the Kalkiist experiment for several compelling reasons:
- Cultural and Spiritual Heritage: As Shambhala, Nepal is steeped in historical and spiritual symbolism, making it an ideal launchpad for this revolutionary model.
- Manageable Scale: As a smaller country with strong community ties, Nepal provides a conducive environment to pilot a transformative economic framework.
- The Promise of Universal Access: The first steps of this plan include free education and healthcare for all Nepalis—cornerstones of equity and progress.
To achieve this vision, however, the transition must be seamless. That demands rigorous research, precise planning, and extensive groundwork.
The Call for 100 Crores: Fueling the Mission
The Kalkiism Research Center urgently requires 100 crore rupees to fund its crucial research and campaigns. This funding will enable:
- In-depth Research: Developing strategies for transitioning Nepal’s existing economy into the Kalkiist framework without disruption.
- Public Awareness Campaigns: Educating citizens about the benefits of a society where everyone has equal access to education, healthcare, and economic opportunity.
- Policy Implementation: Designing and enacting policies to ensure the shift is not only smooth but enduring.
This isn’t just a call to Nepalis—it’s a call to all visionaries across the Indian subcontinent who believe in a brighter future. Together, we can make Nepal a beacon of hope for the world.
What is the Kalkiist Economy?
The Kalkiist Manifesto proposes an economy where:
- Equal Opportunity Prevails: Everyone has a job, including those managing households, and every individual earns the same hourly wage, measured in time units rather than money.
- No More Money: Traditional currency systems are replaced with a fair and equitable measure of human contribution.
- GDR Replaces GDP: Gross Domestic Requirement, rather than Gross Domestic Product, becomes the new measure of success, focusing on meeting human needs rather than unchecked growth.
This is more than an economic shift—it’s a moral and philosophical evolution. It envisions a society free from greed, competition, and exploitation.
A Movement for Humanity
The Kalkiist Manifesto is more than a book; it’s the last book of economics humanity will ever need. It offers a chance to transcend the limitations of the Kali Yuga and begin a new chapter in human history. But it all begins with this first step: the pilot project in Nepal.
The road ahead is challenging, but the potential rewards—a world of equity, justice, and harmony—are immeasurable. Let us come together to make this vision a reality.
Will you be part of this transformative journey? Join us in raising 100 crores to turn the dream of Kalkiism into a tangible, sustainable future.
क्यों 100 करोड़? एक नए युग की शुरुआत का दृष्टिकोण
क्यों 100 करोड़? एक नए युग की शुरुआत का दृष्टिकोण
कल्किवादी घोषणापत्र एक अद्वितीय दस्तावेज़ है—5,000 वर्षों में पहला ऐसा दस्तावेज़ जो कलियुग को समाप्त करने और सतयुग को आरंभ करने का मार्ग प्रस्तुत करता है। यह परिवर्तनकारी दृष्टि मानवता को असमानता, पीड़ा और अशांति के अंतहीन चक्र से मुक्ति पाने का अवसर प्रदान करती है। और खास बात यह है कि इसे अभी तक किसी ने चुनौती नहीं दी है।
इस आंदोलन के केंद्र में है कल्किवादी अनुसंधान केंद्र, जो काठमांडू में स्थित एक महत्वाकांक्षी विचार मंच है। 50 शीर्ष अर्थशास्त्रियों और 50 प्रख्यात चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ, यह केंद्र कल्किवादी अर्थव्यवस्था को साकार करने के प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया देश? नेपाल, जिसे प्राचीन शास्त्रों में शंभाला कहा गया है—एक आध्यात्मिक महत्व वाला स्थान और संतुलन व समृद्धि के नए युग के लिए आदर्श प्रारंभिक बिंदु।
क्यों नेपाल? क्यों अभी?
नेपाल को कल्किवादी प्रयोग के लिए कई ठोस कारणों से चुना गया है:
- सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत: शंभाला के रूप में, नेपाल ऐतिहासिक और आध्यात्मिक प्रतीकों में समृद्ध है, जो इस क्रांतिकारी मॉडल के लिए आदर्श प्रस्थान बिंदु है।
- सुव्यवस्थित पैमाना: एक छोटे देश के रूप में, जहां सामुदायिक संबंध मजबूत हैं, नेपाल एक परिवर्तनकारी आर्थिक ढांचे को आजमाने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
- सार्वभौमिक पहुंच का वादा: इस योजना के प्रारंभिक चरणों में सभी नेपाली नागरिकों के लिए मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल शामिल है—समानता और प्रगति के आधार स्तंभ।
लेकिन इस दृष्टि को साकार करने के लिए संक्रमण को सुगम बनाना होगा। इसके लिए कठोर अनुसंधान, सटीक योजना और व्यापक तैयारी की आवश्यकता है।
100 करोड़ की आवश्यकता: मिशन को ऊर्जा देना
कल्किवादी अनुसंधान केंद्र को अपने महत्वपूर्ण अनुसंधान और अभियानों के लिए 100 करोड़ रुपये की तत्काल आवश्यकता है। यह धनराशि निम्नलिखित को सक्षम बनाएगी:
- गहन अनुसंधान: नेपाल की मौजूदा अर्थव्यवस्था को कल्किवादी ढांचे में बिना किसी व्यवधान के स्थानांतरित करने के लिए रणनीतियों का विकास।
- जन जागरूकता अभियान: नागरिकों को ऐसी समाज व्यवस्था के लाभों के बारे में शिक्षित करना जहां हर किसी को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक समान पहुंच हो।
- नीति कार्यान्वयन: इस परिवर्तन को न केवल सुगम बल्कि स्थायी बनाने के लिए नीतियां बनाना और लागू करना।
यह केवल नेपालियों के लिए नहीं है—यह भारतीय उपमहाद्वीप के सभी दूरदर्शी लोगों के लिए एक आह्वान है जो एक उज्जवल भविष्य में विश्वास रखते हैं। मिलकर, हम नेपाल को दुनिया के लिए आशा का प्रतीक बना सकते हैं।
कल्किवादी अर्थव्यवस्था क्या है?
कल्किवादी घोषणापत्र एक ऐसी अर्थव्यवस्था का प्रस्ताव करता है जहां:
- समान अवसरों का बोलबाला: हर किसी के पास रोजगार है, यहां तक कि गृहकार्य करने वाले भी, और हर व्यक्ति समान घंटे का वेतन कमाता है, जिसे पैसे के बजाय समय की इकाइयों में मापा जाता है।
- पैसे का अंत: पारंपरिक मुद्रा प्रणालियों को मानवीय योगदान के निष्पक्ष और न्यायसंगत माप से बदल दिया जाता है।
- जीडीआर, जीडीपी की जगह लेता है: सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के बजाय सकल घरेलू आवश्यकता (GDR) सफलता का नया माप बनता है, जो मानव आवश्यकताओं को पूरा करने पर केंद्रित है, न कि अनियंत्रित वृद्धि पर।
यह केवल एक आर्थिक परिवर्तन नहीं है—यह नैतिक और दार्शनिक विकास है। यह एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जो लालच, प्रतिस्पर्धा और शोषण से मुक्त हो।
मानवता के लिए एक आंदोलन
कल्किवादी घोषणापत्र सिर्फ एक किताब नहीं है; यह मानवता को हमेशा के लिए आवश्यक अर्थशास्त्र की अंतिम पुस्तक है। यह कलियुग की सीमाओं से परे जाने और मानव इतिहास में एक नया अध्याय शुरू करने का अवसर प्रदान करता है। लेकिन यह सब पहले कदम से शुरू होता है: नेपाल में पायलट प्रोजेक्ट।
आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण है, लेकिन संभावित पुरस्कार—समानता, न्याय और सामंजस्य की एक दुनिया—असीम हैं। आइए हम इस दृष्टि को वास्तविकता बनाने के लिए एकजुट हों।
क्या आप इस परिवर्तनकारी यात्रा का हिस्सा बनेंगे? कल्किवादी के सपने को एक ठोस, स्थायी भविष्य में बदलने के लिए 100 करोड़ जुटाने में हमारा साथ दें।
Sunday, October 13, 2024
मैंने एक पुस्तक पर काम शुरू किया है: आत्म जीवनी
मैंने एक पुस्तक पर काम शुरू किया है। मेरी अपनी जीवन कहानी। आत्म जीवनी। ऑटोबायोग्राफी। महिनों लगेंगे। कोइ जल्दबाजी भी नहीं। और मैंने सोंचा क्यों न किताब लिखने से पहले और किताब लिखते लिखते इसकी मार्केटिंग भी कर ही लेते हैं।
तो मैं किताब लिखुँगा भी और उसके बारे में वीडियो ब्लॉग्गिंग करता चला जाउँगा। किताब जब आएगी तब तक में शायद एक ऑडियंस बन जाए जो किताब खरिदे।
My Political Journey: An Autobiography
भुगोल का महत्व मैं देख रहा हुँ। मेरा गाओं जो जनकपुरधाम के पास ही है। उसके बाद मेरा गृहनगर: जनकपुरधाम। उसके बाद मेरा स्कुल। काठमाण्डु का बुढानीलकण्ठ स्कुल। उसके बाद काठमाण्डु। हाइ स्कुल और कॉलेज के बीच कुछ साल मैं काठमाण्डु रहा। न रहता तो उसके लगभग एक दशक बाद सारे अमेरिका का अकेला नेपाली न बनता जिसने सन २००५ और २००६ में नेपाल के लोकतान्त्रिक आन्दोलन के लिए फुल टाइम काम किया।
अमेरिका के केंटकी राज्य में कॉलेज किया। जब ९/११ हुवा उसके बाद ऑन एंड ऑफ दो साल १८ चक्का वाले ट्रक में अमेरिका के ४८ राज्य पहुँचे।
सन २००५ के मध्य में न्यु यॉर्क आ गया। पहले नेपाल का लोकतान्त्रिक आंदोलन। उसके बाद मधेसी क्रांति। न्यु यॉर्क शहर का बराक ओबामा का पहला फुल टाइम वालंटियर। न्यु यॉर्क शहर में १० साल रहा मैं।
सन २०१६ विशेष है। उसके बारे में विस्तार से बात करेंगे। डेढ़ साल कैलिफ़ोर्निया रहा। उसके बाद न्यु यॉर्क हडसन वैली।
भगवान कल्कि पर पहली बार नजर पड़ी सन २०१९ में। उसके कुछ साल बाद उन्होंने मुझे अपना परिचय दिया। फोन पर सिर्फ १० मिनट लगे मेरे को बात समझने में। पहले टेक्स्ट मेसेज पर लिख के कहा। तो मैंने तुरन्त उन्हें कहा: "देखिए, आपको ऐसे नहीं बोलना चाहिए। ये बहुत बड़ा पाप माना जाता है। ऐसी बात मजाक में भी मत बोलिए।" उन्होंने तुरन्त फोन उठाया और १० मिनट में दुध का दुध और पानी का पानी कर दिया।
मैं उनका पहला भक्त हुँ। उनके कलि युग समाप्ति के प्रोजेक्ट में मेरे को पुरा सहयोग करना है।
इंटरनेट पर दशकों से मैं ब्लॉग्गिंग कर रहा हुँ। १०,००० से ज्यादा ब्लॉग पोस्ट हैं मेरे। दुनिया भर के समस्यायों से मैं जुझता रहा हुँ। नेपाल का समस्या। भारत का समस्या। अमेरिका का समस्या। दुनिया भर का समस्या। राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक समस्या। बिजनेस का समस्या। छोटा समस्या, बड़ा समस्या।
और उन समस्त समस्यायों का समाधान मुझे मिल जाता है। कहाँ? तो भगवान कल्कि द्वारा लिखित पुस्तक कल्किवादी घोषणापत्र में। इस सारी जीवन में मैंने जिस चीज को कदम कदम पर ढूँढा है वो हमें मिल जाता है। कहाँ? तो कल्किवादी घोषणापत्र में।
उस कल्किवादी घोषणापत्र को पहले नेपाल में लागु करने होंगे। पायलट प्रोजेक्ट की तरह। ताकि सारी दुनिया देख सके। कि ये सिर्फ एक अच्छा आईडिया नहीं है, इसे लागु भी किया जा सकता है।
मेरे इस पुस्तक लेखन का मकसद है इस प्रोजेक्ट के लिए सहयोग और समर्थन जुटाना। कहानियों का बहुत महत्व होता है उसमें।
मैंने एक पुस्तक पर काम शुरू किया है: आत्म जीवनी https://t.co/2LS1Jm11rd via @YouTube
— Paramendra Kumar Bhagat (@paramendra) October 14, 2024
Monday, October 07, 2024
दुनिया भर से लोग नेपाल आएंगे कल्किवादी अर्थतंत्र को देखने
@paramendrakumarbhagat दुनिया भर से लोग नेपाल आएंगे कल्किवादी अर्थतंत्र को देखने #nepal #kalki #kalkiism #krishna #rama #buddha #shiva #kaliyuga #satyayuga #janakpurdham #ramayana #janaki
♬ original sound Paramendra Kumar Bhagat
@paramendrakumarbhagat भगवान कल्कि आ चुके #nepal #kalki #kalki2898ad #krishna #rama #buddha #shiva #ramayana #janakpurdham #janaki ♬ original sound Paramendra Kumar Bhagat
Wednesday, October 02, 2024
डा. उमाशंकर प्रसाद: नेपालका युनुस
@paramendrakumarbhagat कल्किवादी घोषणापत्र को बाटो नेपाल विश्व गुरु बन्ने #kaliyuga #rama #krishna #kalkistan #kalki #nepal #nepali #nepalitiktok ♬ original sound - Paramendra Kumar Bhagat
@paramendrakumarbhagat नेपाल को नया पीढ़ि ले बंगलादेश बाट सिक्ने डा. उमाशंकर प्रसाद: नेपालका युनुस #nepalitiktok #nepali #nepal #kalki #kalkistan #krishna #rama ♬ original sound - Paramendra Kumar Bhagat
Wednesday, July 10, 2024
Nepal: The Vishwa Guru of a New Economic Era
Nepal stands on the cusp of a monumental transformation, poised to become the Vishwa Guru, or teacher to the world. The catalyst for this change is the revolutionary economic system proposed in the Kalkiist Manifesto. This groundbreaking proposal marks the first attempt in 5,000 years to end the Kali Yuga, the age of darkness, and usher in a new era of prosperity and balance.
The Failure of Traditional Economies
For centuries, the world has experimented with various economic systems—communism, socialism, and capitalism. Despite their differences, these systems share a common flaw: they are all money economies. Each has been likened to different flavors of the same ice cream, ultimately leading to similar problems. Capitalism, in particular, has brought us to the brink with global warming, a stark reminder of Einstein's definition of insanity: doing the same thing over and over again and expecting different results. Clearly, capitalism cannot solve the crisis it helped create.
A Radical Rethink: The Kalkiist Manifesto
The Kalkiist Manifesto offers a fresh perspective on economic systems, proposing a radical rethink of how our economies should function. Its vision is simple yet profound: everyone will have a job, and every job will pay the same. This egalitarian approach extends to all forms of work, including domestic duties traditionally undertaken by women. In this new system, payment is not made in money but in time units.
The Mechanics of the New Economy
Under the Kalkiist system, if you work for eight hours, you earn eight hours in your account, digitally managed by the government. All goods and services are priced in hours, minutes, and seconds, creating a direct correlation between the time you spend working and your purchasing power. This innovative approach eliminates the anxieties surrounding AI and automation, promising a Cambrian explosion of productivity and universal prosperity.
The Dawn of a New Age
Implementing the Kalkiist Manifesto in Nepal positions the nation as a global leader in economic innovation. By pioneering this system, Nepal will not only transform its own society but also provide a model for the rest of the world to follow. The promise of a fair, time-based economy heralds a new age where prosperity is accessible to all, and the lessons learned from Nepal's experience will guide other nations in their own journeys toward economic harmony.
In conclusion, Nepal's adoption of the Kalkiist Manifesto represents a bold step towards ending the Kali Yuga and establishing a new economic order. As the Vishwa Guru, Nepal will teach the world that a fair and just economic system is possible, setting the stage for a future where everyone can thrive.
नेपाल: एक नए आर्थिक युग का विश्व गुरु
नेपाल एक महान परिवर्तन के मुहाने पर खड़ा है, और वह विश्व गुरु बनने के लिए तैयार है। इस परिवर्तन का उत्प्रेरक है कल्किईस्ट मैनिफेस्टो में प्रस्तावित क्रांतिकारी आर्थिक प्रणाली। यह ऐतिहासिक प्रस्ताव 5,000 वर्षों में पहली बार है जिसने कलियुग को समाप्त करने का प्रयास किया है और समृद्धि और संतुलन के एक नए युग की शुरुआत की है।
पारंपरिक अर्थव्यवस्थाओं की विफलता
सदियों से, दुनिया ने विभिन्न आर्थिक प्रणालियों का प्रयोग किया है—कम्युनिज्म, समाजवाद, और पूंजीवाद। अपनी विविधताओं के बावजूद, इन प्रणालियों में एक सामान्य दोष है: वे सभी धन की अर्थव्यवस्थाएं हैं। इन सभी को एक ही आइसक्रीम के विभिन्न फ्लेवरों की तरह बताया गया है, जो अंततः समान समस्याओं की ओर ले जाती हैं। विशेष रूप से पूंजीवाद ने हमें ग्लोबल वार्मिंग की कगार पर ला दिया है, आइंस्टीन की पागलपन की परिभाषा का एक स्पष्ट अनुस्मारक: बार-बार एक ही काम करना और अलग परिणाम की उम्मीद करना। स्पष्ट रूप से, पूंजीवाद उस संकट को हल नहीं कर सकता जो उसने खुद पैदा किया है।
एक मौलिक पुनर्विचार: कल्किईस्ट मैनिफेस्टो
कल्किईस्ट मैनिफेस्टो आर्थिक प्रणालियों पर एक नई दृष्टि प्रदान करता है, जिसमें हमारी अर्थव्यवस्थाओं के कार्य करने के तरीके का एक मौलिक पुनर्विचार प्रस्तावित है। इसकी दृष्टि सरल लेकिन गहरी है: हर किसी के पास नौकरी होगी, और हर नौकरी का वेतन समान होगा। यह समानतावादी दृष्टिकोण उन सभी प्रकार के कार्यों तक विस्तारित होता है, जिनमें महिलाओं द्वारा पारंपरिक रूप से किए गए घरेलू कार्य भी शामिल हैं। इस नई प्रणाली में, भुगतान धन में नहीं बल्कि समय इकाइयों में किया जाएगा।
नई अर्थव्यवस्था की यांत्रिकी
कल्किईस्ट प्रणाली के तहत, यदि आप आठ घंटे काम करते हैं, तो आपके खाते में आठ घंटे अर्जित होते हैं, जिसे सरकार द्वारा डिजिटल रूप से प्रबंधित किया जाता है। सभी वस्तुओं और सेवाओं की कीमत घंटे, मिनट और सेकंड में निर्धारित की जाती है, जिससे आपके काम में बिताए समय और आपकी क्रय शक्ति के बीच एक सीधा संबंध बनता है। यह अभिनव दृष्टिकोण एआई और स्वचालन से संबंधित चिंताओं को समाप्त करता है, उत्पादकता और सार्वभौमिक समृद्धि के एक कैम्ब्रियन विस्फोट का वादा करता है।
एक नए युग का आगमन
नेपाल में कल्किईस्ट मैनिफेस्टो का कार्यान्वयन राष्ट्र को आर्थिक नवाचार में वैश्विक नेता के रूप में स्थान देता है। इस प्रणाली को अपनाकर, नेपाल न केवल अपने समाज को बदल देगा बल्कि अन्य देशों के लिए एक मॉडल भी प्रदान करेगा। एक न्यायसंगत, समय-आधारित अर्थव्यवस्था का वादा एक नए युग की शुरुआत करता है जहां समृद्धि सभी के लिए सुलभ है, और नेपाल के अनुभव से सीखे गए सबक अन्य राष्ट्रों को आर्थिक समरसता की अपनी यात्राओं में मार्गदर्शन करेंगे।
निष्कर्षतः, नेपाल का कल्किईस्ट मैनिफेस्टो को अपनाना कलियुग को समाप्त करने और एक नए आर्थिक क्रम की स्थापना की दिशा में एक साहसी कदम का प्रतिनिधित्व करता है। विश्व गुरु के रूप में, नेपाल दुनिया को सिखाएगा कि एक न्यायसंगत और सही आर्थिक प्रणाली संभव है, और एक ऐसे भविष्य की स्थापना करेगा जिसमें हर कोई सफल हो सके।
Democracy For Nepal: Nepal: The Vishwa Guru of a New Economic Era https://t.co/IuBAOZERaE
— Paramendra Kumar Bhagat (@paramendra) July 10, 2024
Thursday, December 14, 2023
100 Top Economists In Kathmandu Have Endorsed The Kalkiist Manifesto
कल्किवादी मेनिफेस्टो समझनेका सबसे आसान तरिका भगवान कल्कि के परिचयको समझना
Will Clean Sweep The Next Election
नमस्ते बोलु आ चाहे बोलु नमशैतान
Jay Sah On Rishi Dhamala's TV Program
कलियुग के अंत का शंखनाद जनकपुरधाम से
Moving From GDP To Gross Domestic Requirement (GDR) As Per Kalkiism
An Omnipotent, Omniscient, Omnipresent God
Ravan Babhan
It Is Going To Be Easy For Modi To Identify Lord Kalki
NamaShaitan MahaAbhiyan
Can't Harvest AI Without The Knowledge Of Geeta
मानव इतिहास के सबसे अधिक प्रतिक्षित व्यक्ति अभी धरती पर हैं
One Nation, One Employer
30 September Event: Kalkiism
It Will Start In Nepal: Shankaracharya
नया जातीय व्यवस्था
Kathmandu Talk Program: Moneyless Society: 22 September
प्रत्येक धर्म को भगवान कल्कि का इंतजार
अधर्म से धर्म की ओर: हिन्दु राष्ट्र
Kali Yug Ke Ant Ka Shankhnaad Janakpur Se
Kalkiist Manifesto: The Book Is Out In India
हमेशा के लिए समाधान की जरूरत
All My Blog Posts Lead To The Kalkiist Manifesto
हरे कल्कि
"तुम मुझे सच्चा ब्राह्मण दो, मैं तुम्हें हिंदु राष्ट्र दुंगा।" - जय साह
Benefits Of Cashless/Moneyless Economy
धर्म निरपेक्षता का इतिहास और वर्तमान
हम नगर जगाने आए हैं
Arrow In Belly
Sudhanshu Trivedi: When Lord Ramas' Birth Chart Was Inserted Into NASA Software (राम भगवान की जन्म कुंडली)
प्रश्न: क्या आप मांस खाने वाले पुजारी को पुजा करने की अनुमति देते हैं?
50 Implications Of The Kalkiist Manifesto
"तुम मुझे असली ब्राह्मण दो, मैं तुम्हें वैदिक अखंड भारत दूुंगा।"
The End Of The Kali Yuga Is Near
The Four Ages
भविष्य पुराण ५,००० साल पुरानी ग्रन्थ
सत्य युग समाज पार्टी नेपाल की अगली चुनाव क्लीन स्वीप करेगी
जय साह उवाच
नमशैतान महाअभियान
Madhesi Picnic, Philadelphia
The Karma Manifesto
Friday, September 29, 2023
Thursday, September 21, 2023
नया जातीय व्यवस्था
Special session: Modi introduces women's bill in new India parliament The Indian government has introduced a bill guaranteeing a third of seats for women in the lower house of parliament and state assemblies........ The contentious bill, first proposed in 1996, has been pending for decades ........ Its revival is expected to boost the governing Bharatiya Janata Party's fortunes in general elections next May. .........
Tuesday, September 12, 2023
Monday, September 11, 2023
Friday, September 08, 2023
Kalkiist Manifesto: The Book Is Out In India
"Millions have been raising their voices of frustration, anger, and hate against the caste system for the last thousands of years, asking for change. However, all of them have only voiced their concerns without providing any concrete solutions. In response to this, I have planned a manifesto, blueprint, and substitute. Additionally, I have proposed the establishment of a research team, a movement, and votes in support of or against the new caste system and amendments to the constitution.What I have done and proposed is the only legitimate way to address the problem that exists throughout the country. This sets me apart from millions of daydreamers, as I possess a revolutionary mindset. I am not just a daydreamer; I have a roadmap for a revolution—a roadmap to eliminate all those who oppose the Hindu Vedas, just like Ravan.The struggle we face in our minds for existence, survival, income, livelihood, finance, and work manifests itself daily through anger, screaming, and hatred towards our family members and neighbours. The collective outpouring of anger, screams, and hate from each household creates a massive network that affects many people, leading some, especially women, kind-hearted individuals, and those with a simple mindset, to consider suicide. However, before it reaches that point for many, it engenders ongoing conflicts among millions.The scale of this issue is massive, and the solution lies in a financial and economic revolution called "Kalkiism."If any government can solve the problems of the rich and poor, dowry, caste, and religious conflicts, that's the only way to end Kaliyuga. If you think there is another process to end Kaliyuga, then you are still looking for some kind of magical rain from the sky to end Kaliyuga. Stop dreaming of such stupidity; there won't be any magic. We, humans, are not allowed to witness any magic. Kaliyuga has to end through political change. That's the only legitimate process to end Kaliyuga in today's modern and democratic world.After reading this post, if you are still expecting any magic from God to end Kaliyuga, then you need some perspective and understanding.
If anyone can prove the roadmap in the book wrong or propose another roadmap to end Kaliyuga, the author will reward them with 1 lakh.
"Happy to have welcomed @POTUS @JoeBiden to 7, Lok Kalyan Marg. Our meeting was very productive. We were able to discuss numerous topics which will further economic and people-to-people linkages between India and USA. The friendship between our nations will continue to play a… pic.twitter.com/Yg1tz9kGwQ
— Narendra Modi (@narendramodi) September 8, 2023
Monday, September 04, 2023
Tuesday, August 22, 2023
प्रश्न: क्या आप मांस खाने वाले पुजारी को पुजा करने की अनुमति देते हैं?
प्रश्न: क्या आप मांस खाने वाले पुजारी को पुजा करने की अनुमति देते हैं?
त्रेता युग में भारत के एक मात्र रावण का ब्राह्मण परिवार मांस खाता था, शराब पिता था और तम्बाकु खाता था। लेकिन आज के घोर कलियुग में 99% ब्राह्मण परिवार मांस खाते हैं, शराब पिते हैं और तम्बाकु का सेवन करते हैं। त्रेता युग में 100% ब्राह्मण वेदों की पद्धति का पालन करने वाले थे, लेकिन अब घोर कलियुग में एक भी ब्राह्मण वेदों की पद्धति का पालन करने वाला नहीं है।एक धार्मिक परंपरा है कि यदि ब्राह्मण वेदों के नियमों में विश्वास करते हैं तो वे मछली, मांस, शराब, सिगरेट आदि का सेवन नहीं कर सकते। आज हमारे हिन्दु धर्म के पतन का सबसे बड़ा कारण यह नकली ब्राह्मण है जो मछली और मांस खाता है। हमारे समाज में हिंदु धर्म की पुनर्स्थापना के लिए हमें वास्तविक ब्राह्मणों की आवश्यकता है जो वेदों की प्रणाली में वर्तमान से कहीं अधिक विश्वास रखते हों।
इस नकली, वेदों को न मानने वाले ब्राह्मण के रहते हमारा देश नेपाल कभी भी हिन्दु राष्ट्र नहीं बन सकता। जिस दिन नेपाल का समाज और सरकार सभी ब्राह्मणों को ब्रह्मचर्य का पालन करायेगी, वह दिन न केवल हिन्दु राष्ट्र, बल्कि हिन्दु जगत की भी नींव स्थापित करेगा। और नेपाल विश्व गुरु बनेगा।
अब समाज में दो तरह के लोग हैं। जिसके हृदय में ईश्वर है वह हिंदु धार्मिक वेदों का सम्मान करेगा। उनका स्वागत नमस्ते से करें। जो लोग वेदों का पालन करते हैं उन्हें कलियुग के अंत में कल्कि सेना के नाम से जाना जाएगा। जिनके हृदय में शैतान है वे हिंदु धार्मिक वेदों के नियमों का विरोध करेंगे। उनका स्वागत नमशैतान के रूप में किया जाना चाहिए, नमस्ते के रूप में नहीं। जो लोग वेदों का पालन नहीं करते उन्हें कलियुग के अंत में रावण की सेना के रूप में जाना जाएगा। अब वह दिन आ गया है जब समाज में वेदों को न मानने वाले रावणों को नमशैतान कह के अभिवादन किया जाएगा।
मैं जनकपुरधाम में नमशैतान आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए जनकपुरधाम के प्रत्येक वार्ड में कुछ स्वयंसेवकों की तलाश कर रहा हुँ। इस आंदोलन का उद्देश्य हिंदुओं की सुप्त भावना को जागृत करना है और नेपाल सरकार से वास्तविक ब्राह्मणों की मांग की जाएगी। आज 99% से अधिक ब्राह्मण मांस खाते और शराब पीते हैं जो वेदों के विपरीत है। हमें वेदों का समर्थक ब्राह्मण चाहिए, वेदों का विरोधी ब्राह्मण नहीं। यह आंदोलन समाज को दो गुटों में बांट देगा: एक जो कहता है कि ब्राह्मण परिवार के किसी भी व्यक्ति को मांस खाने और शराब पीने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। वे लोग कल्कि सेना कहलायेंगे। दुसरे गुट को रावण सेना कहा जाएगा, जो कहते हैं कि ब्राह्मणों और उनके परिवार के सदस्यों को रावण की तरह मांस खाने और शराब पीने, सिगरेट पीने की अनुमति दी जानी चाहिए, जैसा कि त्रेता युग में रावण ने किया था।
जनकपुरधाम से शुरू होकर यह आंदोलन पुरे देश में फैल जाएगा और फिर नेपाल के आंदोलन के समर्थन से पुरे भारत में यह "नमशैतान महाअभियान" तैयार किया गया है, जो अन्ना हजारे के जन लोकपाल आंदोलन से हजारों गुना बड़ा है। जब जनकपुर के लोगों और शेष नेपालियों की आत्मा पुरी तरह जागृत हो जायेगी, जब यह निश्चित हो जायेगा कि वे कल्कि सेना हैं या रावण सेना, तब हम आंदोलन के अगले चरण में प्रवेश करने का निर्णय लेंगे।
यदि कल्कि सेना बहुमत में है तो हम सरकार से कलियुग के अंत के लिए एक शोध दल बनाने की मांग करेंगे। यदि रावण की सेना बहुमत में है, तो हम मांग करेंगे कि मंदिर में फलों और मिठाइयों के बदले मुर्गे की टांगें चढ़ाना शुरू करें। अंत में कल्कि सेना रावण सेना से युद्ध करेगी। लेकिन यह लड़ाई गोलियों से नहीं बल्कि मतपत्रों से लड़ी जाएगी। यदि आगामी चुनाव में कल्कि सेना की सरकार बनी तो नेपाल विश्व गुरु बन जायेगा, यदि रावण सेना जीत गयी तो नेपाल को भयानक कलियुग में धकेल दिया जायेगा। हमेशा के लिए।
प्राचीन जाति व्यवस्था का निर्माण व्यवसाय के आधार पर किया गया था। भले ही आज जीवन जीने का निर्णायक पहलु बदल गया है, लेकिन जातीय रीति-रिवाज और पहचान वही हैं। हर कोई चाहता है कि समाज से जाति व्यवस्था खत्म हो, उसका प्रभाव और असर खत्म हो। केवल इसका विरोध करने से यह संभव नहीं है. जातिगत रीति-रिवाजों को पुरी तरह से हटाया नहीं जा सकता, लेकिन पुराने रीति-रिवाजों को हटाकर नए रीति-रिवाजों को लागु किया जा सकता है। चुंकि जातिगत पहलु भी कुछ हद तक हर किसी की पहचान है, इसलिए क्रांतिकारी सुधारों से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
यदि सभी परिवार और रिश्तेदार चाहें या अनुमोदन करें, तो लोगों को उनके आहार, भोजन, व्यवसाय और वर्तमान जीवन शैली के आधार पर अपनी जाति बदलने की अनुमति दी जानी चाहिए। जाति व्यवस्था अतीत में दी गई पारंपरिक एवं पारिवारिक पहचान पर आधारित न होकर वर्तमान जीवनशैली पर आधारित होनी चाहिए। चुंकि मानव जीवन अपने आप में स्वतंत्र है इसलिए उसके स्तर या स्थिति का मुल्यांकन जाति के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए। नाम की तरह जाति भी केवल पहचान का आधार होना चाहिए। जिस प्रकार किसी व्यक्ति के साथ नाम के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता, वह नाम नहीं छिपाता और नाम बताने में संकोच नहीं करता - उसी प्रकार जाति बताने में भी किसी को संकोच नहीं करना चाहिए। यदि जाति के आधार पर भेदभाव न हो तो ऐसी स्थिति में स्वतः ही एक उच्च सहिष्णु समाज बन जायेगा।
जाति प्रथा के कारण सबसे अधिक प्रभाव विवाह पर पड़ता है। शाकाहारी माता-पिता अपने बच्चों की शादी मांस खाने वाले परिवारों में करना पसंद नहीं करते। भले ही वे मांसाहारी हों, उनमें से कुछ लोग अपने समुदाय की भावनाओं और रीति-रिवाजों के अनुसार गाय, सुअर या अन्य जानवरों का मांस खाना पसंद नहीं करते हैं। इसके समाधान हेतु जाति व्यवस्था की एक सर्वथा नवीन प्रथा का स्वरूप होगा।
1. ब्राह्मण: जिस परिवार में कोई मछली, मांस, तम्बाकु नहीं खाता तथा शराब नहीं पीता।
इस जाति व्यवस्था की निगरानी एक आईडी प्रणाली से की जाएगी ताकि लोगों को उनकी वास्तविक जाति के अलावा अन्य जातियों से भोजन चुराने से रोका जा सके। सभी मांस, शराब, सिगरेट को शहर के बाहर एकत्र किया जाएगा और केवल आईडी के साथ ही अनुरोध के साथ घर-घर पहुंचाया जाएगा। जो व्यक्ति जीवन भर दुसरों के धार्मिक कार्यों के लिए मांस और मछली का त्याग करता है, वह हमारे समाज के लिए सदैव सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इसीलिए ब्राह्मण सदैव हिंदु धर्म में सर्वोत्तम जाति रही है और रहेगी। हालाँकि, मछली, मांस, शराब और सिगरेट का सेवन करने वाले परिवार को हम कभी ब्राह्मण नहीं मान सकते। मछली और मांस खाने वाला ब्राह्मण कोई मुर्ख ही सर्वोत्तम जाति का माना जा सकता है। एक बुद्धिमान हिंदु इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता। मछली-मांस, शराब, सिगरेट का सेवन करने वाले परिवार को हम कभी ब्राह्मण नहीं मान सकते। मछली, मांस, शराब और सिगरेट का सेवन करने वाले परिवारों को ब्राह्मण जाति से निकाल कर दलित वर्ग में रखा जाना चाहिए और वैष्णवों को ब्राह्मण वर्ण में आने का मौका दिया जाना चाहिए। नई जाति व्यवस्था काम पर आधारित होनी चाहिए, जन्म के आधार पर नहीं। दलितों और मुसलमानों को भी ब्राह्मण बनने का मौका मिलना चाहिए।
इस व्यवस्था के आने के बाद ही सभी का हिंदू धर्म के प्रति सम्मान बढ़ेगा। जिस दिन धर्म की पुनर्स्थापना होती है, उसके अगले दिन से अधर्म और अधर्म का विनाश प्रारम्भ हो जाता है। जब तक सभी हिंदु ब्राह्मणों को श्रेष्ठ जाति के रूप में स्वीकार नहीं करते, तब तक हिंदु धर्म की बहाली नहीं हो सकती। भारत ने चार हजार साल पहले जाति व्यवस्था की प्रथा शुरू करके समाज को संघर्ष में धकेल दिया था। अब समय आ गया है कि नेपाल इस प्रथा को दुर करे और नई समयबद्ध व्यवस्था लागु कर विश्वगुरु बने।
नई जाति व्यवस्था के उद्भव से धनहीन समाज का निर्माण, म्लेच्छ और दहेज प्रथा को समाप्त करने और कलियुग को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। जिस प्रकार राम को रामसेना की आवश्यकता थी और कृष्ण को नारायणीसेना की, उसी प्रकार कलियुग को समाप्त करने के लिए कल्कि को कल्किसेना की आवश्यकता होगी। नई जाति व्यवस्था का दुसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि हर लड़की सरकार के साथ यह डेटा (रिकॉर्ड) निकालकर तय कर सकती है कि एक लड़का प्रतिदिन कितनी शराब, गुटखा, सिगरेट पीता है कि उसे उस लड़के से शादी करनी है या नहीं। और फिर कल्किवाद के सहयोग से दहेज प्रथा भी दूर हो जायेगी।
कल्कि सेना कोई सामाजिक या धार्मिक संगठन नहीं है। भविष्य में कोई यह कहने का साहस नहीं करेगा कि मैं कल्कि सेना का सदस्य हूुँ। कल्कि सेना के नाम से कोई भी संगठन पंजीकृत नहीं किया जाएगा। कल्कि सेना एक प्रबुद्ध चिंतनशील आत्मा का प्रतीक है। किसी से भी ज्यादा मैं कल्कि सेना नहीं कह सकता। मेरी आत्मा कल्कि सेना है। किसी भी कल्कि सेना को किसी अन्य कल्कि सेना के साथ किसी भी धार्मिक, सामाजिक कार्य या आंदोलन के लिए कोई भी टीम बैठक आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रत्येक परिवार एक कल्कि सेना हो सकता है, लेकिन वे एक कल्कि सेना संगठन नहीं बना सकते। हम कल्कि सेना को हिंदु सेना, बजरंग दल, आरएसएस जैसे हिंदू संगठन नहीं बनाना चाहते।
कल्कि की सेना नेपाल में रावण की सेना के साथ एकमात्र युद्ध लड़ेगी - यानी चुनाव के दिन। गोली से नहीं, मतपत्र से। कल्कि सेना के युद्ध जीतने का एकमात्र तरीका वोट गिराना है। रावण सेना से युद्ध करने के लिए समस्त कल्कि सेना को केवल चुनाव के दिन ही आमंत्रित किया जायेगा। सामाजिक परिवर्तन का बाकी काम कल्कि सेना के प्रतिनिधि राजनेता, नेपाल पुलिस और नेपाल सेना द्वारा किया जाएगा। हां, अगर कल्कि सेना चुनाव जीतती है, तो नेपाल पुलिस और नेपाल सेना कल्कि सेना के लिए सभी युद्ध लड़ेगी।
यदि आप मानते हैं कि आपकी आत्मा जागृत हो गई है, यदि आप मानते हैं कि मंदिर में फल और मिठाइयाँ चढ़ाना बेहतर है न कि मुर्गे की टांगें, यदि आप चाहते हैं कि कलियुग का अंत हो, तो अपने घर के सामने एक नेपाली झंडा लगाएँ। जिस घर के सामने नेपाल का झंडा नहीं होता उसे रावण सेना का घर कहा जाता है। उन दानदाताओं को खोजने का प्रयास किया जाएगा जो उन गरीबों के लिए नेपाली झंडे खरीदेंगे जिनके पास पैसे नहीं हैं और वे अपने घरों में नेपाली झंडे लगाना चाहते हैं।
एक बार नारदजी ने लक्ष्मी माता से पूछा, पृथ्वी पर ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि कलियुग की आयु पांच हजार, पचास हजार, पांच लाख और पचास लाख है। इस दुविधा से उबरने के लिए मनुष्य अपनी बुद्धि से कैसे जान सकता है कि कलियुग के अंत का समय आ गया है? और लक्ष्मीजी ने कहा कि जब सभी मंदिरों पर ताले लगे हैं और सभी शराब की दुकानों पर कतार लगी हुई है, तो भगवान हमें यह समझने का संकेत दे रहे हैं कि कलियुग के अंत का समय आ गया है।
मौजुदा कोरोना महामारी के दौरान यही हुआ है। सभी मंदिरों पर ताला लगा दिया गया और सभी शराब की दुकानों पर हफ्तों तक कतारें लगी रहीं। वह स्थिति भगवान द्वारा हम मानव जाति को यह संकेत देने के लिए बनाई गई थी कि कलियुग के अंत का समय आ गया है। मटिहानी के जय साह ने उसी लॉकडाउन के दौरान अमेरिका में रहकर बिना पैसे और सोने के समाज का निर्माण करके कलियुग को कैसे समाप्त किया जाए, इस पर एक किताब लिखी। जिसकी पढ़ाई जल्द ही दुनिया के सभी विश्वविद्यालयों में होगी।
कुछ लोग कहते हैं कि परमाणु युद्ध के बाद कल्कि घोड़े पर सवार होकर हमारे समाज में बचे हुए पापियों को मारने के लिए आकाश से आएंगे। एक बार कल्कि पापियों का संहार करना शुरू कर दे तो उसे कोई नहीं रोक सकता।
यह कोई स्थाई उम्र नहीं है। कलियुग में कल्कि को भी समाज के नियम और अनुशासन का पालन करना होगा। और वर्तमान कानुन के अनुसार, केवल अदालतें और पुलिस ही मौत की सज़ा दे सकती हैं। अगर कोई व्यक्ति अचानक घोड़े पर चढ़कर लोगों को तलवार से काटने की कोशिश करता है तो मौजुदा कानुन के मुताबिक उसे जेल जाना होगा। और दुसरी बात यह है कि इस कलियुग में कल्कि कोई जादुई शक्ति लेकर नहीं आने वाला है। वह बिल्कुल सामान्य इंसान के रूप में आएंगे। आज के समाज में अगर कोई कल्कि जैसा बनना चाहता है तो बस इतना ही।
रावण धन है। समाज के इस प्रावधान को सभी को पुरा करना होगा। वह 100% सामान्य व्यक्ति होगा जो कलियुग को समाप्त करने के लिए सबसे पहले अपने विचार लाएगा। उन्हें एक घोषणापत्र पेश करना होगा। अनुयायियों का एक बड़ा आधार बनाना होगा। लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता हासिल करनी होगी। चुनाव में अन्य ताकतवर पार्टियों को चुनौती देनी होगी। चुनाव जीतना होगा और संविधान में संशोधन करना होगा। फिर वैदिक नियम लागु करने होंगे। और तभी कानून और अनुशासन अंततः वेदों के कानुन का उल्लंघन करने वाले पापियों को दंडित करेंगे।
एक शिक्षित व्यक्ति के रूप में, मुझे नहीं लगता कि कल्कि अवतार कानुन तोड़ेंगे, अलौकिक जादु दिखाएंगे और सड़क पर घोड़े पर चढ़कर कार में बैठने वाले पापी का सिर काट देंगे। कानुन के माध्यम से पापियों को नष्ट करने का एकमात्र तरीका राजनीतिक है, राजनीति के माध्यम से समाज की व्यवस्था को बदलना है। इसलिए कल्कि को एक राजनीतिक नेता के तौर पर ही खोजा जा सकता है। कोई अन्य रास्ता खोजना असंभव है।
'अगर नेपाली जनता चाहेगी तो अगले चुनाव में कल्कि सेना और रावण सेना के बीच युद्ध होगा। यदि जनकपुर के लोग नमशैतान अभियान शुरू करेंगे तो आने वाले चुनाव में कल्कि सेना और रावण सेना के बीच युद्ध का नेतृत्व मैं करूंगा। और आगामी चुनाव में रावण सेना के नेता शेर बहादुर देउबा, केपी शर्मा ओली, प्रचंड, रवि लामिछाने, चंद्रा राउत, उपेंद्र यादव, महंत ठाकुर होंगे.''
------ जय साह
यह अभियान कब शुरू होगा? जिस दिन जनकपुर के लोगों के घरों में कल्कि सेना के टैग के साथ आधे से ज्यादा नेपाल का झंडा होगा, उस दिन जय साहजी अमेरिका से आएंगे और इस महान अभियान की शुरुआत करेंगे। तब तक नई जाति व्यवस्था के सारे नियम उनकी लिखी किताब से पढ़े जा सकते हैं. आप उनके बनाए वीडियो देखकर सारी व्यवस्थाएं जान सकते हैं.
नेपाल विश्व गुरु है, जनकपुरधाम सम्पुर्ण नेपालका मार्गदर्शक है माता सीता की जन्मस्थली अब पुरे विश्व में महान होगी।
नमशैतान महाभियान के शुभारंभ के तुरंत बाद, दुनिया की सबसे शिक्षित, अनुभवी, उद्यमशील राजनीतिक पार्टी - सत्य युग समाज पार्टी - का गठन किया जाएगा। हर नगर पालिका मेयर बलेन शाह और डिप्टी मेयर जैसे कॉरपोरेट जगत की जानकारी रखनेवाले एमबीए डिग्रीधारी युवाओं को जगह देगी।
मेरे प्यारे जनकपुर के मुल निवासियों, पुरा नेपाल आपके साथ इस आंदोलन की शुरुआत करेगा। इस आंदोलन के समर्थन में पुरे नेपाल ही नहीं बल्कि भारत के कोने-कोने से यहां तक कि भारत के लाल किले से भी नेपाल का झंडा फहराया जाएगा। आप आगे बढ़ें। कलियुगको समाप्त करने के लिए आगे बढ़ने के लिए पुरी दुनिया हम जनकपुरवासीयों को नमन करेगी। केवल जाति व्यवस्था बदलने से कलियुग का अंत नहीं होगा। इसके तुरंत बाद दहेज प्रथा को हमेशा के लिए ख़त्म करने का पुरा रोडमैप मेरे किताब में लिखा है। फिर नई आर्थिक नीति लाएंगे ताकि मुकेश अंबानी, अमिताभ बच्चन, रिक्शा चालक, शिक्षक, डॉक्टर सभी की आय एक समान हो जाए। कोई गरीब नहीं है। कोई भी अमीर नहीं है। यह सत्ययुग समाज पार्टी धन विहीन समाज की स्थापना करेगी क्योंकि धन ही कलियुगका घर है। हर सामान की कीमत रुपये में नहीं बल्कि घंटे, मिनट और सेकेंड में होगी।
50 Implications Of The Kalkiist Manifesto
The Kalkiist Manifesto is the first time in 5,000 years anyone has proposed a roadmap to end the Kali Yuga. It is essential to note this is not specific to a country, culture, or religion. But it starts in Nepal and goes to India before going elsewhere in the world.
- Communism does not work. Capitalism does not work. Socialism does not work.
- And they don't work because none of them thought in terms of a moneyless society.
- To end this age of the Kali Yuga you have to understand how it started in the first place.
- It is important to first present this idea in book form to allow for robust debates and discussions.
- Then pick one small country for a pilot project to show the world not only it works, but that the transition can be smooth. That country is Nepal.
- Then it would make sense for India and China to join forces and adopt the new economic system.
- By then many countries on all continents will choose to also adopt until every country has and the world has entered the new age of the Satya Yuga, expected to last thousands of years.
- Instead of discussing ideas presented in the book, vested interests might choose to engage in personal attacks and irrational logic. Ignorance might also get in the way.
- There might even be war. Tensions have been rising in global politics even before this book came along.
- This book The Kalkiist Manifesto is the only way to prevent World War III, but it might not get accepted fast enough.
The Economic System
An economy where everyone makes the same hourly wage measured in time units will create prosperity in every country, city, town, and village. Economic migration will become unnecessary. Supply chains will be vastly more efficient compared to what we have today. Production will go up by leaps and bounds because many unproductive sectors of the economy and job functions will go out the window. My favorite part of the proposed economic system is that women working at home and caring for children and families will also be recognized and rewarded. They will also be working and earning eight hours per day. Women holding corporate jobs will have the same hourly wage as their CEOs.
- This is the Age Of Abundance that was promised thousands of years ago to the Jews and Christians. Today a middle-class person in the United States is not prosperous. For the majority of Americans, a sudden need for 500 dollars creates a crisis.
- This takes prosperity to every corner of the earth. Small villages will be as prosperous as big cities.
- Production will go up dramatically.
- Innovation will go up dramatically.
- Prices will come down drastically.
- In this new system, there is no inflation.
- Gross Domestic Requirement (GDR) is a paradigm shift from the current Gross Domestic Product (GDP). We are measuring the wrong thing right now.
- The talk of a stagnant economy is like saying my tummy is full. It is not a lack of innovation and growth. Once everyone's physical needs are met, people can strive towards higher callings.
- This ends the social isolation of the rich and the super-rich.
- This is the only way to end global warming and cure climate change and prevent the worst from happening. In the current system, the incentives have been to destroy the planet.
- Just like a family needs its own space to grow as a family, a community also needs space to grow as a community. When economic migration becomes unnecessary, communities seeking and getting their own space will no longer be thought of in negative terms.
- When production and consumption are directly connected with robust, smart, smooth, and efficient supply chains, the merchant castes also become unnecessary.
- Today on your smartphone you do for free what used to cost a million dollars in equipment in 1980. Such demonetizations will happen in many sectors. A moneyless society is not a less prosperous society but the opposite.
- In the new economic system, there is no room for theft, robbery, corruption, inflation, or banking.
- This will encourage multiple generations to live under one roof.
A New Caste System
The caste system as it exists today feels like a castle ruin. In the new caste system, those who do not eat meat, or smoke or drink will be Brahmins. Two billion Brahmins are needed to take the world into the new age, the Satya Yuga, or the Age Of Truth.
- The new caste system will open the floodgates of the Sanatana Dharma to all humanity. Right now there is no way to get in. The spiritual content of the teachings of the previous ages, the Satya Yuga, the Treta Yuga, and the Dwapar Yuga, is greater. Religions born in this Kali Yuga, by definition, will have lesser spiritual content.
- It was never about religion. It was always about God. In heaven there is no religion, only God.
- There is no other way to renew Bharatvarsha.
- The caste system is like the social operating system. Without reengineering the caste system, there is no way to take Bharatvarsha to new heights in any field like education and health.
- There is no way to reestablish Dharma without establishing true Brahmins at the helm of society.
- People on all continents can aspire to become Brahmins.
- When war has been made obsolete, there is no need for Kshatriyas.
- When production and consumption are directly connected with robust, smart, smooth, and efficient supply chains, the merchant castes also become unnecessary.
- The caste system as we know it today was birthed in this Kali Yuga. It did not exist in this form in the previous ages. There is a Vedic standard Brahmins must follow if they are to be Brahmins. Today hardly any Brahmin does. And they can be expected to offer some resistance.
- People who are used to thinking that being Brahmin is a birthright might create frictions to the idea that any human being on any continent can aspire to become one.
Ending Dowry
Creating a moneyless society ends dowry.
- People will focus on the good qualities of a partner. People will focus on character and chemistry.
- Marriages will be vastly happier.
- Families will be stronger.
- Women will play greater roles.
- Domestic violence will come down.
- Inter-generational relationships will be better.
- Women will achieve dignity.
- Women can aspire to higher education.
- This brings gender equality.
- Much happier families, and hence much greater social harmony.
- There is a prophecy that Narendra Modi or the PM after that is going to be the last Prime Minister of India or Bharat. Bharat has been named after King Bharat. Now it will be renamed Kalkistan after Lord Kalki.
- Several religions that were born in this Kali Yuga will come to an end. That is like saying the rivers Koshi, Gandaki, and Sharada come to an end. That is not bad news. They become Ganga when that happens. That is like saying your 12th grade ended and now you are going to college.
- There is going to be a major war because the forces of evil will not respond to logic. It will be bigger than the war in the Ramayana, it will be bigger than the war in the Mahabharata, it will be bigger than World War I and World War II.
- There are only two sides. Either you are a member of the Ram Sena or the Ravan Sena. No middle ground in available.
- Kalkistan will be much larger than Bharatvarsha ever was. But Lord Kalki is set to be king of all earth. He is the long-awaited messiah of the Jews, one king for all earth. He is the answer to the Christian prayer Thy Kingdom Come.