Why 100 Crores? A Vision to Usher in a New Era
The Kalkiist Manifesto is a groundbreaking document—the first in 5,000 years to present a roadmap to end the Kali Yuga and usher in the Satya Yuga. This transformative vision offers humanity a chance to escape the endless cycle of inequality, suffering, and discord. And notably, it has gone unchallenged.
At the heart of this movement lies the Kalkiism Research Center, an ambitious think tank based in Kathmandu. With 50 top economists and 50 renowned medical professionals, the center is spearheading efforts to bring the Kalkiist economy to life. The chosen pilot project country? Nepal, referred to in ancient scriptures as Shambhala—a place of spiritual significance and the perfect starting ground for a new age of balance and prosperity.
Why Nepal? Why Now?
Nepal has been selected to host the Kalkiist experiment for several compelling reasons:
- Cultural and Spiritual Heritage: As Shambhala, Nepal is steeped in historical and spiritual symbolism, making it an ideal launchpad for this revolutionary model.
- Manageable Scale: As a smaller country with strong community ties, Nepal provides a conducive environment to pilot a transformative economic framework.
- The Promise of Universal Access: The first steps of this plan include free education and healthcare for all Nepalis—cornerstones of equity and progress.
To achieve this vision, however, the transition must be seamless. That demands rigorous research, precise planning, and extensive groundwork.
The Call for 100 Crores: Fueling the Mission
The Kalkiism Research Center urgently requires 100 crore rupees to fund its crucial research and campaigns. This funding will enable:
- In-depth Research: Developing strategies for transitioning Nepal’s existing economy into the Kalkiist framework without disruption.
- Public Awareness Campaigns: Educating citizens about the benefits of a society where everyone has equal access to education, healthcare, and economic opportunity.
- Policy Implementation: Designing and enacting policies to ensure the shift is not only smooth but enduring.
This isn’t just a call to Nepalis—it’s a call to all visionaries across the Indian subcontinent who believe in a brighter future. Together, we can make Nepal a beacon of hope for the world.
What is the Kalkiist Economy?
The Kalkiist Manifesto proposes an economy where:
- Equal Opportunity Prevails: Everyone has a job, including those managing households, and every individual earns the same hourly wage, measured in time units rather than money.
- No More Money: Traditional currency systems are replaced with a fair and equitable measure of human contribution.
- GDR Replaces GDP: Gross Domestic Requirement, rather than Gross Domestic Product, becomes the new measure of success, focusing on meeting human needs rather than unchecked growth.
This is more than an economic shift—it’s a moral and philosophical evolution. It envisions a society free from greed, competition, and exploitation.
A Movement for Humanity
The Kalkiist Manifesto is more than a book; it’s the last book of economics humanity will ever need. It offers a chance to transcend the limitations of the Kali Yuga and begin a new chapter in human history. But it all begins with this first step: the pilot project in Nepal.
The road ahead is challenging, but the potential rewards—a world of equity, justice, and harmony—are immeasurable. Let us come together to make this vision a reality.
Will you be part of this transformative journey? Join us in raising 100 crores to turn the dream of Kalkiism into a tangible, sustainable future.
क्यों 100 करोड़? एक नए युग की शुरुआत का दृष्टिकोण
क्यों 100 करोड़? एक नए युग की शुरुआत का दृष्टिकोण
कल्किवादी घोषणापत्र एक अद्वितीय दस्तावेज़ है—5,000 वर्षों में पहला ऐसा दस्तावेज़ जो कलियुग को समाप्त करने और सतयुग को आरंभ करने का मार्ग प्रस्तुत करता है। यह परिवर्तनकारी दृष्टि मानवता को असमानता, पीड़ा और अशांति के अंतहीन चक्र से मुक्ति पाने का अवसर प्रदान करती है। और खास बात यह है कि इसे अभी तक किसी ने चुनौती नहीं दी है।
इस आंदोलन के केंद्र में है कल्किवादी अनुसंधान केंद्र, जो काठमांडू में स्थित एक महत्वाकांक्षी विचार मंच है। 50 शीर्ष अर्थशास्त्रियों और 50 प्रख्यात चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ, यह केंद्र कल्किवादी अर्थव्यवस्था को साकार करने के प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया देश? नेपाल, जिसे प्राचीन शास्त्रों में शंभाला कहा गया है—एक आध्यात्मिक महत्व वाला स्थान और संतुलन व समृद्धि के नए युग के लिए आदर्श प्रारंभिक बिंदु।
क्यों नेपाल? क्यों अभी?
नेपाल को कल्किवादी प्रयोग के लिए कई ठोस कारणों से चुना गया है:
- सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत: शंभाला के रूप में, नेपाल ऐतिहासिक और आध्यात्मिक प्रतीकों में समृद्ध है, जो इस क्रांतिकारी मॉडल के लिए आदर्श प्रस्थान बिंदु है।
- सुव्यवस्थित पैमाना: एक छोटे देश के रूप में, जहां सामुदायिक संबंध मजबूत हैं, नेपाल एक परिवर्तनकारी आर्थिक ढांचे को आजमाने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है।
- सार्वभौमिक पहुंच का वादा: इस योजना के प्रारंभिक चरणों में सभी नेपाली नागरिकों के लिए मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल शामिल है—समानता और प्रगति के आधार स्तंभ।
लेकिन इस दृष्टि को साकार करने के लिए संक्रमण को सुगम बनाना होगा। इसके लिए कठोर अनुसंधान, सटीक योजना और व्यापक तैयारी की आवश्यकता है।
100 करोड़ की आवश्यकता: मिशन को ऊर्जा देना
कल्किवादी अनुसंधान केंद्र को अपने महत्वपूर्ण अनुसंधान और अभियानों के लिए 100 करोड़ रुपये की तत्काल आवश्यकता है। यह धनराशि निम्नलिखित को सक्षम बनाएगी:
- गहन अनुसंधान: नेपाल की मौजूदा अर्थव्यवस्था को कल्किवादी ढांचे में बिना किसी व्यवधान के स्थानांतरित करने के लिए रणनीतियों का विकास।
- जन जागरूकता अभियान: नागरिकों को ऐसी समाज व्यवस्था के लाभों के बारे में शिक्षित करना जहां हर किसी को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक समान पहुंच हो।
- नीति कार्यान्वयन: इस परिवर्तन को न केवल सुगम बल्कि स्थायी बनाने के लिए नीतियां बनाना और लागू करना।
यह केवल नेपालियों के लिए नहीं है—यह भारतीय उपमहाद्वीप के सभी दूरदर्शी लोगों के लिए एक आह्वान है जो एक उज्जवल भविष्य में विश्वास रखते हैं। मिलकर, हम नेपाल को दुनिया के लिए आशा का प्रतीक बना सकते हैं।
कल्किवादी अर्थव्यवस्था क्या है?
कल्किवादी घोषणापत्र एक ऐसी अर्थव्यवस्था का प्रस्ताव करता है जहां:
- समान अवसरों का बोलबाला: हर किसी के पास रोजगार है, यहां तक कि गृहकार्य करने वाले भी, और हर व्यक्ति समान घंटे का वेतन कमाता है, जिसे पैसे के बजाय समय की इकाइयों में मापा जाता है।
- पैसे का अंत: पारंपरिक मुद्रा प्रणालियों को मानवीय योगदान के निष्पक्ष और न्यायसंगत माप से बदल दिया जाता है।
- जीडीआर, जीडीपी की जगह लेता है: सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के बजाय सकल घरेलू आवश्यकता (GDR) सफलता का नया माप बनता है, जो मानव आवश्यकताओं को पूरा करने पर केंद्रित है, न कि अनियंत्रित वृद्धि पर।
यह केवल एक आर्थिक परिवर्तन नहीं है—यह नैतिक और दार्शनिक विकास है। यह एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जो लालच, प्रतिस्पर्धा और शोषण से मुक्त हो।
मानवता के लिए एक आंदोलन
कल्किवादी घोषणापत्र सिर्फ एक किताब नहीं है; यह मानवता को हमेशा के लिए आवश्यक अर्थशास्त्र की अंतिम पुस्तक है। यह कलियुग की सीमाओं से परे जाने और मानव इतिहास में एक नया अध्याय शुरू करने का अवसर प्रदान करता है। लेकिन यह सब पहले कदम से शुरू होता है: नेपाल में पायलट प्रोजेक्ट।
आगे का रास्ता चुनौतीपूर्ण है, लेकिन संभावित पुरस्कार—समानता, न्याय और सामंजस्य की एक दुनिया—असीम हैं। आइए हम इस दृष्टि को वास्तविकता बनाने के लिए एकजुट हों।
क्या आप इस परिवर्तनकारी यात्रा का हिस्सा बनेंगे? कल्किवादी के सपने को एक ठोस, स्थायी भविष्य में बदलने के लिए 100 करोड़ जुटाने में हमारा साथ दें।