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Sunday, October 04, 2020

MAA और ANTA और महिला पुरुष असमानता

मैंने शायद पिछले साल एक विचार प्रकट किया। कि अमरीका के सभी मधेसी संगठनों के एकीकरणका अभियान चलाया जाए। प्रमुख रूप से MAA और ANTA लेकिन अभी तक छोटेमोटे ढेर सारे संगठन हो गए हैं देश भर में। नेपालमें मधेस आन्दोलन अभी अपने गन्तव्य पर पहुँच नहीं पाइ है और भारतके बिहारी अपने ही किस्मके मधेसी हैं। 

पढ़ लिखके लोग अमरीका आ जाते हैं। तो वो तो व्यवहार में दिखना पड़ेगा न। सिर्फ डिग्री ले लेने से नहीं होता है। 

मैंने वर्षो से मधेस आन्दोलनके भितर सिद्धान्त की बात की है। राजनीतिक रणनीति की बात की है। लेकिन संगठनके भी सिद्धांत होते हैं। आप संगठन के भितर रहके लोकतान्त्रिक आचरण नहीं दिखा सकते हैं तो फिर समानता के नाम पर उछलकुद करने से क्या होगा? 

आप महिला पुरुष समानता के नाम पर पत्थर युग में अगर हैं तो फिर मधेसी पहाड़ी समानताकी बात आप किस आधार पर करते हैं? भगवान कृष्ण ने गीता में स्पष्ट कहा है, सभी जात के लोगो से समान व्यवहार करो। तो वो समान व्यवहार संगठन के भितर दिखनी चाहिए। 

वहाँ नेपाल के दो प्रमुख पार्टियाँ एक हो गए लेकिन अमरिका के पढ़ेलिखे मधेसी एकीकरण के ए तक भी अभी नहीं पहुँच पाए हैं। और मैंने ANTA के अध्यक्ष का नाम ही लिया था। महिला थी। और संगठनकी निर्वाचित अध्यक्ष। कुछ महीनों पहले उलटे उनके विरुद्ध घिनौना गन्दा राजनीति देखना पड़ा। रिप्लाई आल पर रिप्लाई आल। 

हम जो समानताकी बात करते हैं, समानताकी चाह रखते हैं, संगठन के भितर सभ्य, आदरपुर्वक और लोकतान्त्रिक व्यवहार दिखा के समानताकी माँग करनेका अधिकार कमाना होगा। 

मधेस में, बिहार में महिला की सामाजिक स्थिति बहुत कमजोर है। अमरीका आके मधेसी और बिहारी उसीको कायम रखे वो शोभा नहीं देता। नेपालमें संगठन के भितर महिलाको एक तिहाई मिलता है। वो अमरीका के मधेसी संगठन के भितर क्युं न मिले? हम तो उन्हें सिखा न पाएँ, हम उनसे क्युँ न सिखे? 

आत्मालोचना करना होगा। आचरण सुधारना होगा। गलतियाँ महसुस करनी होगी। महिला पुरुष असमानता है ही कहाँ कहने वालो जरा उन पहाड़ियों की सुनो जो वही जवाब मधेस आन्दोलनको देते हैं। 



Monday, November 18, 2019

ANTA (Association of Nepali Teraian in America) और MAA (Madhesi Association in America) का एकीकरण का फोर्मुला क्या हो सकता है?



ANTA (Association of Nepali Teraian in America) और MAA (Madhesi Association in America) का एकीकरण



ANTA और MAA का एकीकरण करना क्यों जरुरी है? नेपालके मधेसी भारतके गुजराती के तरह नहीं हैं। अमेरिका में मधेसी संगठन का मकसद सिर्फ सांस्कृतिक पहचान नहीं है। नहीं हो सकता। एकीकरण का जरुरत इसलिए है क्यों कि नेपाल के भितर मधेसी को अभी तक समानता नहीं मिला है। तो प्रवासी मधेसीयों का कर्तव्य बनता है कि एक जुट हो जाएँ और जो संघर्ष चल रहा है उसमें साथ दें।

कभी सीधे कभी घुमा के लोग कास्टिज्म का बात करते हैं। कास्टिज्म क्या है? कास्टिज्म है क्या? कास्टिज्म हो या कोइ भी इज्म हो। सेक्सिज्म हो। जो मधेसी किसी भी किस्म के इज्म मे विश्वास करता है या व्यवहार में व्यक्त करता है वो तो मधेसी के समानता के लड़ाई में आखिर सहभागी हो ही कैसे सकता है?

कोइ साओजी किसी ब्राह्मण पर आरोप लगावे कास्टिज्म का लेकिन वही साओजी किसी दलित को मनुष्य न समझें उसे तो hypocrite कहना पड़ेगा।

ब्राह्मण आखिर ब्राह्मण होता कैसे है? पीढ़ी दर पीढ़ी ईश्वर को पुजा करने वाले ब्राह्मण हुवे। भारतवर्ष में ब्राह्मण और उधर पश्चिम में यहुदी। वो भी डिट्टो वैसे ही हैं। A nation of priests कहलाते हैं। तो जिस ईश्वर का पुजा कर के ही आप ब्राह्मण कहलाते हैं और होते हैं उस ईश्वर का कहा तो आपको मानना होगा। भगवन श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि चाहे मनुष्य किसी भी जात का हो उससे बराबर का व्यवहार करो। उससे पहले अपने राम भगवान अवतार में ईश्वर ने एक धोबी (अर्थात दलित) का बात गलत होते हुवे भी उसकी बात मानी और सीता जी को फिर से वनवास जाना पड़ा। सिर्फ ये देखाने के लिए कि देखो धोबी से भी समान व्यवहार करो।

जो ब्राह्मण कास्टिज्म को माने वो तो ब्राह्मण हुवा ही नहीं क्यों कि वो सरासर ईश्वर के कहे बात को नकार रहा है।

वो तो हुइ शास्त्र की बात। अब संगठन की बात करें।

समानता का अर्थ होता है एक व्यक्ति एक मत। अभी तो इंटरनेट का जमाना है। तो सदस्यता आप वेबसाइट पर ले सकें ऐसा होना चाहिए। मीटिंग आप भ्वाइस और वीडियो चैट से अटेंड कर सके ऐसा होना चाहिए। मतदान बिलकुल ऑनलाइन होना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपना मत दे सकें। वोटिंग एक हप्ता तक खोल दिजिए। और महिला को प्रत्येक तह पर एक तिहाई आरक्षण।

अभी अभी ANTA का चुनाव हुवा है। एक महिला अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हो के आइ हैं। मैं प्रोपोज़ करता हुँ उन्हें एकीकृत संगठन का पहला अध्यक्ष बनाया जाए।

संगठन का नाम हो सकता है Madhesi Association.

Book-Keeping या तो १००% पारदर्शी रखा जाए और ऑनलाइन वेबसाइट पर रख दिया जाए। या वो ज्यादा हो गया तो केन्द्रीय समिति तक १००% पारदर्शी रखा जाए।

एक Board Of Trustees हो सकता है। जिन लोगों ने संगठन बहुत योगदान दिया हो। जैसे कि अन्नपुर्ण देओ। She was active in Nepali organizations in the US before any other Madhesi. At least that is my knowledge. रतन झा। विनोद शाह। सुनील साह।  टर्म: ६ साल, ६ साल, ४ साल, ४ साल। चारो में से किसी का टर्म समाप्त होने के बाद उस वक्त जो निर्वाचित अध्यक्ष रहेंगे वो अपने केन्द्रीय समिति से परामर्श करके ४ साल के लिए किसी व्यक्ति को चुन सकते हैं। That is to say, the elected president is the top person in the organizaton.

एक एडवाइजरी बोर्ड बनाया जा सकता है। लगभग ११ लोगों का। निर्वाचित अध्यक्ष के साथ आएंगे और जाएंगे।

सभी पदाधिकारी निर्वाचित। सभी केन्द्रीय समिति के सदस्य निर्वाचित।

अमेरिका के भितर एकीकरण किया जाए। उसके बाद दुनिया भर में। सबका नाम Madhesi Association.

प्रेसिडेंट।
Two Vice Presidents, one of whom must be a woman.
One third of the officers must be women.
One third of the central committee, all elected, must be women. As in only women can be candidates.


अगले गर्मी तक एकीकरण महाधिवेशन करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ा जा सकता है। 

Sunday, September 29, 2019

Upendra Yadav In New York

ANTA (Association of Nepali Teraian in America) और MAA (Madhesi Association in America) का एकीकरण
Upendra Yadav In New York (Photo Album)





Janmat Party: CK Raut
बाबुराम भट्टराई को शिशा गिलास
Rajendra Mahto In New York



ANTA (Association of Nepali Teraian in America) और MAA (Madhesi Association in America) का एकीकरण



ANTA (Association of Nepali Teraian in America) और MAA (Madhesi Association in America) का एकीकरण आवश्यक है कि नहीं? होना चाहिए कि नहीं? होना चाहिए तो क्यों? संभव है कि नहीं? किया जाए तो कैसे? कल के बाद ये सब प्रश्न सामने आए है।

कल उपेन्द्र यादव कहने लगे आप लोग हम लोगो को कहते हैं एकीकरण करिए लेकिन खुद यहाँ दो बन के बैठे हुवे हैं। तो उनका कहना भी ठीक ही है। कल काफी अरसे के बाद मेरी रतन झा से मुलाकात हुवी। तो मैंने ये प्रश्न उनको डाला। उनका जवाव सकारात्मक रहा।

मैं न्यु यॉर्क में सन २००५ में आया। रतन झा के नेतृत्व में उधर कहीं ANTA का स्थापना हुवा। तो उन्होंने मुझे ईमेल किया। आप वहाँ चैप्टर गठन करिए अपने नेतृत्व में। मैं प्रेसिडेंट हुँ, आप वाइस प्रेसिडेंट बनिए। उन्होंने मुझे इसलिए कॉन्टैक्ट किया क्यों कि उस समय मेरे अलावा और किसी मधेसी को पहचानते ही नहीं थे न्यु यॉर्क में। वैसे भी मधेसी उस समय न्यु यॉर्क में थे ही बहुत कम। अभी तो संख्या में काफी बढ़ोतरी हो गयी है।

उस समय मैं सारे अमेरिका में अकेला नेपाली था जो नेपालके लोकतान्त्रिक आन्दोलन के लिए फुल टाइम काम कर रहा था। Basically days, nights, weekends. मैंने जवाब में कहा देखिए, संगठन के प्रस्तावना में लिखा है गैर राजनीतिक संगठन और मैं अभी हार्ड कोर पोलिटिकल काम कर रहा हुँ। मैं पद तो नहीं लुंगा लेकिन ANTA बहुत अच्छा आईडिया है। इसका न्यु यॉर्क में चैप्टर होना चाहिए। और उतना मैं कर दुँगा। पहले तो मैंने विनोद जी को एप्रोच किया। उन्होंने कहा ना। तब मैंने डॉ बिनय शाह के नेतृत्व में समिति गठन किया। पहला मीटिंग हुवा रिजवुड में सतेंद्रजी के अपार्टमेंट में। मैंने तभी के नेपाली मन्दिर में एक मधेसी मिटिंग किया। पाँच लोग आए। सत्य यादव कहने लगे "न्यु यॉर्क में मधेसी सब के ग्यादरिंग (gathering) कहियो भेले नै छलैय।" कुछ समय बाद बिनोदजी के कजन पबन मुझे और बिनयजी को विनोद जी के यहाँ ले गए अपने गाडी में बिठा के। अब विनोद जी इंटरेस्ट दिखाने लगे। मैंने कहा देखिए, अब बिनय को हटाया जाए वो तो अपमान होगा। पहले तो आप ही को कहा था। तो फिर? तो कहते हैं ईमेल से कहा था, ऐसे आमने सामने बैठ के थोड़े कहा था! तो मैंने कहा, आप केंद्रीय समिति में आइए। ANTA का न्यु यॉर्क में पहला बड़ा कार्यक्रम हुवा सन २००६ के ANA सम्मलेन के साथ साथ। उसके बाद वो केंद्रीय समिति में आए भी। संस्थापक अध्यक्ष रतनजी। और एक किसिमका संस्थापक मैं विनोदजी को भी मानता हुँ। कुछ साल बाद वो जब अध्यक्ष बने तो ANTA का बहुत ज्यादा संगठन विस्तार हुवा।

सुनील मेरा भान्जा है। उसको मैंने बचपन में देखा है। महोत्तरी जिला बनचौरि गाओं में। उसका ममहरा। मेरे दादाजी के सहोदर भाई (जो कि पहलवान थे) की एकलौती बेटी सुनील जी की नानी हुइ। बनचौरि गाओं में बचपन में देखने के बाद मैंने लम्बे गैप के बाद उनको देखा जैक्सन हाइट्स में जब उपेन्द्र यादव का कार्यक्रम हुवा जैक्सन हाइट्स में याक में। मैंने एक ही बार में पहचान लिया। सुनील जी की नानी की माँ, यानि की मेरी दादी मेरे को अक्सर कहा करती थी: "तोहर हम गैरतर खिचने छियौ!"

मेरे काठमाण्डु के हाई स्कुल के अंतिम साल के रूम मेट का भाई अमन मल्ल। कुछ महिने पहले मैंने देखा सुनील और अमन साथ में बैठे हैं। फेसबुक पर फोटो देखा। पता चला दोनों बंगलादेश में साथ पढ़े।

तो सुनील ने तो मिशाल कायम कर दिया। एक मधेसी आज सारे अमेरिका के NRN संगठन का निर्वाचित अध्यक्ष है। जब कि इस देश के नेपाली जनसंख्या में मधेसी शायद १% भी है कि नहीं। सुनील ने अमेरिका के NRN संगठन का निर्वाचित अध्यक्ष बन के नेपाल में भी अब मधेसी प्रधान मंत्री कोइ बने वो मार्ग प्रशस्त किया है।

मैं कुछ साल पहले कुछ साल के लिए कैलिफ़ोर्निया गया। वापस लौटा तो ANTA संगठन फुट चुकी थी और MAA संगठन पैदा हो गयी थी।

मैंने पिछले साल पहली बार किसी नेपाली संगठन का सदस्यता लिया। ताकि सुनील को वोट दे सकुं। नहीं तो मैंने ANTA का कभी सदस्यता नहीं लिया और MAA का भी औपचारिक रूप से सदस्य नहीं हुँ। मेरा जो डिजिटल एक्टिविज्म था उसके लिए वो तटस्थता जरुरी था। हॉन्ग कॉन्ग में देखिए। काठमाण्डु में जो २००६ में १९ दिन हुवा वो हॉन्ग कॉन्ग में चार महिना से हो रहा है। लेकिन वहाँ कोइ डिजिटल एक्टिविस्ट नहीं है जो कि कदम कदम पर forceful calls for action जारी करता रहे। मुवमेंट अपना पाँच लक्ष्य पुरा करता नहीं दिखती।

कभी कभी संगठन फुटना भी संगठन विस्तार के लिए अच्छा हो जाता है। जब चीन में माओ ने पार्टी शुरू किया तो पहली बार न चाहते हुवे उसने अपने पार्टी के केन्द्रीय समिति से ५०% लोगों को निष्काषित किया। लेकिन उसके बाद उसको आश्चर्य हुवा कि बजाय पार्टी का साइज़ आधा होने के दोगुणा हो गया। तो उसके बाद वो कुछ कुछ साल बाद बराबर पार्टी केन्द्रीय समिति से ५०% लोगों को निष्काषित करने लगा। जब भी संगठन को बड़ा बनाना हो।

सुनील नेविसंघ पृष्ठभुमि से हैं। उनके वर्तमान निर्वाचित पद के लिए उस पृष्ठभुमि ने बड़ा काम किया है। अमेरिका के नेपाली अधिकांश काँग्रेस पृष्ठभुमि से हैं। कमसेकम थे १०-१५ साल पहले। लेकिन नेविसंघ पृष्ठभुमि से तो बहुत हैं। सुनील की अपनी प्रतिभा है।

जभी ANTA में कोइ टेंशन न था तब भी मैं कहता था, इतने सारे पहाड़ी संगठन हैं, मधेसी संगठन भी दो चार हो जाए तो क्या फर्क पड़ता है?

अंतरिम संविधान के बाद पहली संविधान सभा से जो उम्मीद थी ---- सब कुछ मिल गया था सिर्फ एक मधेस दो प्रदेश मिलना बाँकी था। वो हो जाता तो, सच्चा संघीयता आ जाता तो फिर १०-२० मधेसी संगठन हो अमेरिका में उससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। लेकिन मधेस आंदोलन जनकपुर जयनगर रेलवे है तो वो अभी जयनगर नहीं पहुँच पायी है। परवाहा या खजुरी तक ही पहुँची है।

इसिलिए मेरा मानना है कि ANTA (Association of Nepali Teraian in America) और MAA (Madhesi Association in America) का एकीकरण होना बहुत जरुरी है। क्यों कि ट्रेन को जयनगर पहुँचाना अभी बाँकी है।

संगठन एक होने का तरिका है लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को कस के संस्थागत किजिए।

रतन झा ANTA के संस्थापक अध्यक्ष, विनोद साह ANTA के प्रमुख संगठन विस्तारक (वल्लभ भाइ पटेल), और MAA के संस्थापक अध्यक्ष सुनील साह। ये तीनों Board Of Trustees के सदस्य रहेंगे। ये मेरा सुझाव है। कल अगर सुनील को NRN का ग्लोबल अध्यक्ष बनना है तो उसमें रतनजी बहुत अच्छा रोल अदा करने के स्थिति में हैं। NRN मुवमेंट के संस्थापक अध्यक्ष उपेन्द्र महतो (जो कि मेरे बहुत दुर के रिश्ते में भी पड़ते हैं, मेरे पड़ते हैं तो स्वाभाविक सुनील के भी पड़ते हैं) के अमेरिका में रतनजी  शुरू से ही खास आदमी रहे हैं।

अमेरिका में सिर्फ ANTA (Association of Nepali Teraian in America) और MAA (Madhesi Association in America) नहीं हैं। छोटेमोटे कर के १० होंगे संगठन। सभी का एकीकरण किया जाए। तीन लोगों का Board Of Trustees, नाम शायद AMA हो जाए। Association of Madhesi in America. दोनों के अध्यक्ष महाधिवेशन तक सह अध्यक्ष हो जायें। एकीकरण कोइ ऐसे शहर में किया जाए जहाँ मधेसीयों का संख्या सब से ज्यादा हो। शायद न्यु यॉर्क।

और ऑनलाइन वोटिंग का व्यवस्था हो।

कुछ ऐसा पहलकदमी किया जाए ये मेरा सुझाव है।

कल उपेन्द्र यादव जी का एक कार्यक्रम MAA के साथ रहा और एक ANTA के साथ। मैं दोनों में गया।







Tuesday, November 11, 2014

ANTA: Democratization, Digitization: Diwali, Chhath, Holi



Photo 1: Chhath In New York
Photo 2: Chhath In Texas
Photo 3: Chhath in Washington DC
Photo 4: Chhath in Denton, Texas

छठ के मामले में टेक्सस और DC दोनो NYC से आगे दिखाइ दिए। ANTA NYC Executive Committee इस बात पर विचार करें। Cc Arbind Singh. न्यु यर्क में सब से अच्छा जगह होगा Long Island City में UN Headquarters के सामने। NYC Parks से परमिट बगैरह क्या लेना होगा। UN Headquarters के सामने का तस्वीर जब दुनिया भर जाएगा तो मधेसीयोका आत्म विश्वास कितना बढेगा उसका अनुमान लगाइए। ANTA NYC Executive Committee (Cc Arbind Singh) BAJANA के साथ coordinate करें। एक बिहारी crowd मेरेको लगता है New Jersey में है, एक crowd Richmond Hill में होगा, Caribbean crowd, जो North America का नम्बर एक होली मनाती है। South Street Seaport में दिवाली, Long Island City में छठ, Richmond Hill में होली। अच्छा रहेगा।

https://www.facebook.com/paramendra/posts/10152819960394485
http://demrepubnepal.blogspot.com/2014/10/chhath-in-america.html

Celebrating Chhath in Scarsdale a few weeks back was a wonderful experience. The crowd keeps getting larger by the year, and oh so many kids.

I almost did not go. Logistical issues. Transportation नहीं मिल रहा था। Last minute में मिल गया। नहीं तो मैं अर्बिन्दजीको कह रहा था, हम Eastern Time zone में हैं, विनोदजी Central Time zone में हैं।

I have shared some thoughts on ANTA's democratization and digitization before on the organization's Facebook page.

Two words (1) Democratization (2) Digitization

Democractization
  • Eliminate the Founding Member provision in the ANTA constitution, otherwise it feels like ANTA belongs to the founding members, and when a new team gets elected for leadership, उनको ANTA १-२ सालके लिए बटैया पर दिया जाता है। That is hugely undemocratic and, frankly, offensive. Each new Ex Comm should be in full control.
  • Online membership --- the ANTA website should be sufficient for acquiring membership.
  • Holding actual elections, and holding them online. Election procedure को short circuit नहीं किया जाना चाहिए। Small group discussion के आधार पर leadership चयन करने से समुदाय आगे नहीं बढ़ता है। Online voting किजिए। 
Digitization
  • This video is a good example of digitization. 
  • Executive Committee के meetings के minutes को उसी तरह online रखा जाए, ANTA फेसबुक पेज पर। 
  • दो सालमें ३०,००० डॉलर आम्दानी खर्चाका हिसाब दिखा रही है ANTA --- ये कोइ cottage industry संगठन नहीं रह गया अब। 


Also, some thoughts on events by the ANTA NYC Chapter that I shared a few weeks ago in a private Facebook email with about half a dozen people.

अरबिंदजिको बधाई है, लगता है ANTA के न्यु यॉर्क चैप्टर के नए नए अध्यक्ष बने हैं। ANTA को मैंने पैदा किया इस शहरमें। कभी सदस्यता नहीं लिया। कभी कोइ पदका ख्वाइश नहीं रहा। शुरूमे सदस्यता न लेनेका कारण था फुल टाइम हार्ड कोर पोलिटिकल काम कर रहा था। मेम्बरशिप से डिस्टर्ब होता उस काम में।

एक मधेसी संगठनकी जरुरत है। ANTA के events में बहुतो events में जानेवालों में से एक मै भी रहा। संगठन लोकतान्त्रिक ढंग से आगे बढ़ता रहे। नए नए नेतृत्व पैदा करते रहे। यही ख्वाइश है।

न्यु यार्क के स्थानीय बिनोदजीने ANTA सम्हाला तो साइज दोगुना कर दिया। वो योगदान रहा। ANTA का विधान लेकिन लोकतान्त्रिक नहीं है पुर्ण रूपसे। फौन्डिंग मेंबर वाला provision संगठनको रोबस्ट बनाने में आड़े आ जाती है। Feudal provision है वो। यानि कि ANTA हम founding members का है और तुम लोग बटइया में चलाओ एक दो साल, ऐसी arrangement है, और वो गलत है।

इस देशमें २०० पहाड़ी संगठन हो सकते हैं तो दो मधेसी संगठन क्युं नहीं हो सकते? इस बात पर भी विचार किया है, नहीं किया है ऐसी बात नहीं है। But I have given plenty of time since 2005 to the Nepali and the Madhesi cause. I am in mood to focus now on my ambitious tech startup like a laser beam.

रही न्यु यॉर्क की मधेसी कम्युनिटी की बात तो मेरी ख्वाइश है, (१) नए नए नेतृत्व पैदा होता रहे प्रत्येक एक दो साल (२) एक पिकनिक हो जाए summer में फ्लशिंग मीडोज कोरोना पार्क में (३) एक होली हो जाए ढाका क्लब में (४) स्कार्सडेल में छठ होना अच्छी बात है।

और क्या?



Monday, September 27, 2010

ANTA Convention: Emotional Bath


Venue: World's Fair Marina (Wikipedia article)

The venue was gorgeous, and the convention lasted for long enough. I got to meet Madhesis I had not met in a while, I got to meet Madhesis I had heard of but had not met yet, number one on that list was Professor JP Sah from Florida, also a Janakpur person like me, one of his daughters is doing a PhD in "aerospace engineering" at Purdue - "I have been to the Purdue campus," I said - I got to meet Madhesis I had not heard of, had never met. It was a good gathering.

When the Chairperson of the convention, Dr. Sukhdev Shah - who worked at the IMF for three decades, was a few years back nominated Nepali ambassador to the US - said that after almost four decades in the US, half a century later seeing people in his homevillage still not having shoes to their feet, he felt like he was from "nowhere." That is when I knew we Madhesis have gone global. Rootlessness is a necessary accompaniment.

There were some surprise moments. The final panel on Saturday was really something. Mukesh Singh said he had only one leg, one leg lost to a motorbike accident - his second leg is prosthetic - and he came to America with 60 dollars in his pocket and now he lives in a million dollar home. Mukesh Singh is a-l-w-a-y-s in a good mood.

In a brief remark Saturday during the cultural program Binod Shah, the ANTA President, thanked his elder brother. He took me to school by my finger, and that is how I became a doctor, he said.

Aditya Jha stayed the entire time. He sold his company to Sun Microsystems for $100 million over a decade back. His homevillage is not far from mine in Nepal. Jha is based out of Toronto. He flew in.

About a dozen people, all of whom had climbed Mount Everest, many several times, had been invited and were felicitated. These were Sherpas, not Madhesis, but what the heck. At lunch on Saturday I found myself sitting next to Adityaji. We were having lunch with these Sherpas. And Adityaji said he was genuinely interested in climbing Mount Everest.

"Can someone like me do it with the help of four Sherpas?" he asked. "How many months of training will it take?"

Ends up Adityaji had raised money for a school one of the Sherpas had gone to high in the Himalayas in his homevillage.

Answer: it can be done. If you have four Sherpas with you, you will not have to worry about oxygen at any point, and that is the primary worry.

By the end of the day Nepal's Home Minister Bhim Rawal had showed up. Former UN Under Secretary General Kul Chandra Gautam - a Nepali - had showed up. He is now retired and lives in Nepal. Famous Nepali movie star/actress Gauri Malla performed.

The missing Madhesi was Upendra Mahato, the richest Nepali in the world. He had some event in London he could not skip. Otherwise.

Upendra Mahato showed up in the Soviet Union as a scholarship student right before it collapsed. The rest, as they say, is history. Mahato owns the building that houses the largest electronics shop in Moscow, for one.

Someone once gave me the simplistic version of how Mahato made it. He became good friends with locals at college who came to power after the Soviet Union collapsed. This was in Belorussia. Spelling? He used those contacts to borrow money from their banks to buy property for cheap. And that is how the vicious cycle began. But there had to have been more than that. He was named Russia's Manager Of The Year in 2008, the year of my Obama 08 personal mess.

"I heard you are rich," someone once said to him.

"You heard it wrong," he said. "I am not rich. I am very rich."

The guy's net worth is in the hundreds of millions. He is the founder of the NRN - Non Resident Nepali - movement. It is global. For the longest time the Nepalis in America resisted. Ends up resistance is futile.

The event was to start at the Himalayan Yak Restaurant in Jackson Heights Friday. My email said 7PM. I showed up at 7PM. True Nepalis don't show up on time. They know. They simply know. They know not to show on time. You don't have to be a VIP. You simply have to be a Nepali. Different cultures understand time differently. Nepalis who don't struggle with showing up for their American jobs on time switch back when it comes to Nepali events. It is a body clock thing.

People started showing up. Divita Mehta - author of the idea that I move to NYC from the Midwest where I was five years ago, Mt. Holyoke star student, a Goldman Sachs Director assistant fresh out of college, investment banker - showed up a little after.

Divita said people handed her Reshma Saujani flyers near her apartment on the Upper East Side.

And then people started percolating in. Jay Mandal - my "friend" within ANTA, San Diego guy - had flown in. Ratan Jha - founding president of ANTA, now NRN global General Secretary - had flown in from Texas. Lalit Jha - my hometown Jankapur guy, best friend to Ratan Jha - had flown in from Nebraska where he is at.

Jay said he also applied for Budhanilkantha but was rejected. I said they also took into account good looks. He gave me a high five on that one.

"You have matured much in four years, become much wiser," Lalitji told me when he first met me Friday evening and again Saturday evening when it was time to say goodbye.

I learned Saturday during a presentation by a Chicago Kharel - a Pahadi - that Ratanji had managed to get a whole bunch of Nepalis to invest in his construction company promising them an annual 12% return. I am like, heck, I was trying to raise money from Nepalis a few years back, I did raise some, but most of my round one came from a local NYC friend, business partner like Adityaji kept telling me needed to happen.

"The money you need you can raise right there in New York!"

Abhi to main Mr. No Green Card hoon. We will cross that bridge when we get there.

By the time the dinner winded down Friday, Binodji is like let's go to my place. The guy's house is in Scarsdale. I call that out of state. So Satendra Shah, Biplav Yadav and I hopped into his van. We - minus Biplav - were up until four in the morning, printing stuff, working on his speech.

The ANTA President is going to show up late for the first ever ANTA Convention, I thought to myself. There is a term for that: Nepali time. The event started late. People just knew not to show up on time. No one seemed to be complaining.

Saturday was panel after panel after panel after panel. What saved the day was food. There was a ton of food. When it was not lunch time yet, it was appetizer time. There was dessert time. Indian dessert is s-w-e-e-t. I don't got no sweet tooth, chocolate does not excite me, but Indian sweets are different. Soon enough it was appetizer time again. Then dinner time. Then dessert time.

Roshan Chaudhary had a name for the icecream served at dessert.

"They got kulfi," he said.

Jackson Heights is Jay Kishan Heights.

Panels are all good, and I attended all of them, listened to all speakers unfailingly. But these Madhesi panels were one way traffic. There were no Q&A sessions. They just were not there.

My brother-in-law Bisundev Mahato was in town for the day. He is in Boston, the first Madhesi ever at Harvard Medical School. He spoke on health care. He also was on the final panel of the day, the best one. Bisun spoke as frankly and boldly as Mukesh Singh. Divita Mehta was on that same panel.

By the time I got home it was Sunday two in the morning. I needed the sleep. I slept like a log. And I needed that shave and that shower when I finally got up.

The ANTA Convention had been an emotional bath.
New York Times: Nice Way To Shea: the new ferry service inaugurated earlier this month between Manhattan and Shea Stadium in Queens offers gentle river breezes and spectacular sunsets denied car or subway travelers. .... In all, the trip to the World's Fair Marina takes less than an hour. Then it's an easy five-minute walk to the stadium.
One nagging question ANTA has for me is as to why I will not become a member, why I will not become an office holder, why will I not possibly even lead the organization? Jay Mandal approached me all over again. He said he had a presentation that will convince me to finally sign up.

I launched ANTA in New York Metro, but never joined although I doubt I have missed any major ANTA event in the city over the years.

Becoming a member of ANTA would be like joining the NRN movement. Until the NRN movement achieves the goal of dual citizenship for the NRNs, it is a failure. The NRN movement is Upendra Mahato's thing. It is his space. I support the NRN movement wholeheartedly, but I can't join it any more than I can go work for one of Upendra Mahato's companies.

If I am going to be an entrepreneur, I am going to be a bigger entrepreneur than Upendra Mahato. That is why I can't join ANTA.

For me the question is as to why the Nepalis in New York City don't want voting rights in this city based on residency - not citizenship - like the Irish had in Boston 150 years ago? That entails coalition building with South Asians at large, the Hispanics in the city perhaps.

Internet access is the voting right for this 21st century. Every human being deserves to have big screen broadband. Gandhi and MLK might have been tech entrepreneurs today.

Also, it is not like Mahatma Gandhi needed a political office. I am no Gandhi, never will be, but I don't need an office to do the political work I do.

Rajesh Shah wanted to know why I was now putting some time into Iran's democracy movement.

"I am going to win the Nobel Peace Prize," I said to him. If I can do for Iran what I did for Nepal, that is a Nobel.

Rajesh Shah and Biplav Yadav are both in the Columbus, Ohio, area. Yadav is a doctor, Shah is what I call a tourist. He has a fancy degree in hotel management. Mukesh Singh is in Columbus.

Shah, Yadav, Bisundev Mahato and I, we all went to Budhanilkantha School, as did Sanju Mahato.

Biplav Yadav gave me $100 from a lost bet. In 2007 - "before the primaries," like he likes to say - I bet Barack Obama was going to become president. I am not a betting kind, but this was different.
New York Times: A Manhattan-to-Queens Ferry Is Planned for Mets Fans: New York Waterway, said the company was awaiting final approval to operate the ferry service between the South Street Seaport and the city-owned World's Fair Marina, a quarter of a mile from Shea Stadium..... ''But we think that two years from now, the Shea Stadium ferry will be just as successful as the Yankee Stadium ferry.''
"I am not a journalist, I am not a writer, and the word blogger does not even begin to describe me. I am a political activist who uses digital tools," I said in my eight minute presentation. "I was one of Barack Obama's top 20, top 30, perhaps top 10 volunteers in the city. When it was time for the British to finally leave, they said, okay, you can have your independence, but you are going to have to give us Subhash Chandra Bose, dead or alive. When the Mahabharata was over, the Pandavas won, Yudhistir went to see his uncle Dhritarashtra. Come near me, let me embrace you, the old man said. Krishna sensed something was wrong. He made a wax replica of Yudhistir. The blind, old man crushed that statue. Democratic primary khatam huwi 2008 mein aur ye log mere ko under kar diye. Barack Obama jita. Uske chaar deen baad mere ko phir se bahar kiya."

2007 mein Upendra Yadav ko Amrika aane ke liye visa nahin mil raha tha. Ratanji se meri gupp hui phone par. Wo kahe ki sab kism ka prayas kiya gaya, kuchh phi kaam nahin kiya. Aap kuchh kariye hai to. Main apne ek DC ke dost ko contact kiya. Wo State ke South Asia desk officer ko janta tha.
New York Times: Free Ferry to U.S. Open: The 35-minute ferry ride, which can accommodate up to 149 passengers, will connect the East 35th Street and the World’s Fair marinas. .... Just to be clear, the fastest way to get to the tournament site from Manhattan is still the Long Island Railroad from Penn Station to the Mets-Willets Point station.
Polarization Is Complete: Nepali Congress No Longer A Terai Party
ANTA Convention Program Details
1st ANTA Convention: September 24-25
Securing Federalism And Beyond For The Madhesi Cause

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Tuesday, September 21, 2010

ANTA Convention Program Details

gonarpuraImage by paramendra via Flickr
Be there by 9 AM Saturday.
1 World's Fair Marina, Flushing, NY 11368
+ Take 7 train to 111th St
+ Head east on Roosevelt Ave toward 112th St
+ Turn left at 114th St
+ Turn right at 34th Ave
+ Turn left at Shea Rd
+ Slight left
+ Destination will be on the right
Give yourself 20 minutes for the full trip.
Short Route: Walk on 112th St towards Northern Blvd, Astoria Blvd. Go straight to convention center.
Or call someone with a car.
Presentation rules ..... ANTA is non-profit, non political organisation, please be sure not to bring or present any controversial matter during your presentation.
ANTA 1st New York Convention : Conference Agenda
Start Date 9/24/10
Friday, September 24, 2010
  • 4:00 pm to 6:00 pm Registration and Reception
  • 7:00 pm to 9:00 pm Dinner : Local Restaurant See Dr. Binod Shah for Detail
  • 8:45 pm to 9:00 pm Welcome Speech by Convention Committee Chair Dr. Binod Shah
  • 9:00 pm to 10:00 pm ANTA Excom By_laws Amendment EXCOM Meeting
  • Group Discussion Moderated by Jay Mandal, Mukesh Singh and Lalit Jha
Saturday, September 25, 2010
Moderator: Dr Binod Shah
Morning Session 9:00 AM - 12:00 Noon
OPENING CEROMONY
  • 9:00 to 9:15 am Opening Speech by Dr, Binod Shah, ANTA President
  • 9:15 to 9:30 am NRN Prosective and Roles of Terians: Mr. Ratan Jha, NRNA General Sectratary
  • 9:30 to 9:45 am ANTA, Madhesh and Nepal Dr Haribansh Jha
  • 9:45 to 10:00 am Guest from UK
  • 10:00 to 10:15 am Guest from India
  • 10:00 to 10:30 am Special Guest : Mr. Ganesh Shah- Former Minister Environment, Science & Tech, Govt. of Nepal
  • 10:30 am to 10:45 am Chief guest- H.E. Mr. Gyan Chandra Acharya, PR of Nepal at United Nations
  • 10: 45 am to 11:00 am Aditya Jha : CEO of Karma Candy, Canada ANTA Honarary Member
  • Moderator: Mukesh Singh
    Pannel Discussion: ANTA – In retrospect and Prospect
    ANTA Spokesperson
    11:05 am to 11:55 am

    Participents: Suman Timilsina
    Dr Jay P Shah
    Surendra Chaudhary
    UK and India Participents, Guest particepents
11: am 45 am to 12:45 PM Lunch Break
AFTERNOON Session 1:00 to 5:00 PM
Moderator: Jay P Mandal ANTA YOUTH FORUM 1:00 pm to 2:00 pm
  • 1:00 pm to 1:10 pm How much money you need to retire in USA in coming 30 yrs : Divita Mehta, Wall ST
  • 1:10 pm to 1:20 pm A path and tips to become Doctor in USA Health Care System : Dr Biplav Yadav
  • 1:20 pm to 1:30 pm Clean Energy and its uses to eliminate Proverty in Nepal: Lalit Mandal, PHD Student UNC
  • 1:30 pm to 1:40 pm How to land Job in Wall ST: By Sunny Kantha , Morgan Stanly
  • 1:40 pm to 1:50 pm Role of Social Media in business, life in Global and Terai Nepal : Paramendra Bagat
  • 1:50 pm to 2:00 pm How USA Health Care System : Bisun Dev Mahto
  • 2:00 pm to 2:15 pm Tea / Coffee Break
Moderator :Bindu Chaudhary ANTA Woman FORUM 2:15 pm to 3:15 pm Enrich
  • 2:15 pm to 2:30 pm Ms Rekha Kantha
  • 2:30 pm to 2:45 pm Mrs Sarala Singh
  • 2:45 pm to 3:00 pm Mrs Seema Sah
  • 3:00 pm to 3:15 pm Bishnu Pariyar
  • 3:15 pm to 3:30 pm Rekha Karn
Moderated By Dr Pramod Kantha ANTA Expert Forum Prefessor of Political Science Wright University, Dayton, OH Terai development, Challenges and opportunities 3:00 pm to 5:00 PM
  • 3:30 pm to 3:45 pm ANTA's roles in Empowerment, Development of Madhesh and Nepal: Lalit Jha ANTA Sr. VP
  • 3:30 pm to 3:45 pm Collective investment an overview : RamKant Kharel, EntreprenuerLife Member ANTA
  • 3:45 pm to 4:00 pm Natural Resources of Terai: Dr JP Shah, Professor Maimi International University
  • 4:00 pm to 4:15 pm Federal Government - Promoting Finance, Tranperancy and Accountibility: Nawal Yadav
  • 4:15 pm to 4:30 pm Why Tax Treaty is important with USA and Nepal for FDI in Nepal : Mukesh Singh
  • 4:30 pm to 4:45 pm Terai Overview : Ram Manohar Sah
  • 4:45 pm to 5:00 pm How Madhesh Can be Developed: Dr Sukhdev Shav, Economist
5:30 pm to 6:30 pm HAPPY HOUR & NETWORKING
7:00 pm to 10:30 pm CLOSING & GALA Dinner CEROMONY
Evening Session
7:00 pm to 8 pm Dinner 8:00 pm to 8:15 pm Closing Speech & Award Ceromony by Dr. Binod Shah 8:15 pm to 8:30 pm New ANTA EXCOM 2010-2012 Announcement by Jay P Mandal 8:30 pm to 8:45 pm Thank you Notes by Amit Shah, NY Chapter President 8:45 to 10:30 pm Cultural Program
Competing With Hillary Now The First Time I Heard The Obama Name Claiming A Netroots/Grassroots Leadership Role With Iran Democracy Movement
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Monday, March 05, 2007

Photos From Ratan's Trip To Nepal













Ratan Jha: Trip To Nepal

Ratan Jha: Trip To Nepal




Dear ANTA Members, Fellow Teraians, Friends of Terai, ND Members and Proud Donors for the Recent Terai Victims:
I just got back from my hastily planned 6-day trip to Nepal (Kathmandu). As most of you may know, my trip was solely for the purpose of meeting the victims of the recent Terai Movement and making sure that the funds that we raised here reached to the real victims in a timely and effective manner. Due to my time constraints and frequent Madhesh band, I was confined within Kathmandu only.
The Victims Undergoing Treatment in Kathmandu
On my first day, I visited Minister Mahanth Thakur, also the Head the Government Peace Talk Team, at his bed-side at Maharajganj Hospital where he was being treated for jaundice. He supplied me with the list of victims of Terai movement undergoing treatment in various hospitals in Kathmandu, and updated about the Government's efforts in helping these victims. He confirmed that the Government will give NRs. 10 lakhs to all those who lost their lives. As of Feb. 25, 38 people had lost their lives - the last one at Dharan Hospital while undergoing treatment.
I also conveyed to Mr. Thakur that ANTA as well as NRNA stands ready to help facilitate the peace process provided a formal invitation is sent to us by the Government.
The list contained names of 27 victims at Bir Hospital alone, mostly from Lahan, Kalaiya and Malangwa incidents. ALL the victims had bullet injuries. I learnt that there were 4 more at Army Hospital and 3 at Maharajganj.
Some 7 victims were sheltered at a nearby lodge after initial treatment at Bir Hospital. The government assistance was not reaching to these victims regularly, and they complained to be stranded in the lodge. As our token of support, I paid the lodge directly (NRs. 14,040) and helped send these 7 victims to their villages.
On Day 2, I met the victims at Bir, Chhauni and Maharajganj Hospitals. Bir Hospital housed the maximum number of victims. The pictures inside were not very pretty. Please visit our web-site ( www.terai.org) to see some of the victims. I met each and every patients (total 16) at the hospital. They were satisfied with the treatment and medicines provided by the Government and some private donors. However, they humbly expressed need for additional assistance for: buying supplemental foods, fruits, meat, etc. and supporting care-takers. I still carry a vivid picture of one of the victims in Neuro-surgical ward who was shot at the lower jaw (close range) and the bullet came out of his mouth.
Army Hospital, Chhauni: Most of the victims had left the hospital after few days of treatment. There were 4 still undergoing treatment - all from Lahan incident. Two had their legs amputated, while one had his right hand amputated. The fourth one had a severe bullet injury - but about to be released. The victims here were relatively happier with the foods (got meat more frequently). The need was replacement of their legs and arm, and their long-term rehabilitation. One of the victims, a 26-yr rickshaw-puller from Lahan with 3 small kids, didn't know how he'd support his family.
Maharajganj Hospital: 3 victims with severe bullet injuries, one got his leg amputated.
Based on my assessment of these victims, I concluded that, in short term, these victims needed some sort of cash assistance, and in long-term, the major task would be to replace their legs/arms which were amputated. We pledged (and shortly disbursed) a direct cash support of NRs. 5,000 to 10,000, depending upon the individual's medical condition, to each victim undergoing treatment in Kathmandu. The list shall soon be posted at our web-site.
Future Management & Disbursement of Funds:
I formed a 3-Member Committee to monitor the use of funds in future. Dr. Surendra Mahato, Mr. Prashant Jha (both Life Members of ANTA) and Mr. Dhirendra Premarshi have agreed to serve in the committee. On my request, Mr. Premarshi left for Biratnagar, Lahan and Janakpur to assess the situation there. The government didn't have exact number or status of the victims undergoing treatment at hospitals outside Kathmandu.
During my meeting with Mr. Upendra Yadav, leader of MPRF, he indicated that there are several victims undergoing treatment at hospitals in Silliguri, Darbhanga, Sitamarhi, Raxaul, and other bordering cities of India. I promised to help these victims also - contingent upon verification by the Committee.
Use of NAC's Authorized Funds held by NMA:
Dr. Sudha Sharma, President of NMA, informed me about the NMA's support to the victims of Terai victims using NAC's funds. NMA gave NRs. 3,000 to 25 victims undergoing treatment at Bir hospital. NMA has also dispatched monies to their branches in Biratnagar, Janakpur, etc. to help the victims of Terai Aandolan.
NMA Board was hesitant in writing a check to ANTA as directed by NAC. However, per Dr. Sharma, NMA would be willing to work with ANTA to disburse the NAC's funds (approx. NRs. 4 lakhs remaining) to help the victims of Terai Movement. The 3-member ANTA Committee established in Kathmandu will work with NMA to disburse the funds to the victims.
Madheshi Movement: Challenge & Opportunities
I organized an Interaction program in Kathmandu consisting of some 100 people representing intellectuals, politicians, MPs, students, Dalits, journalists, Civic Society, and Think Tanks from Madhesh. The scheduled 3-hr program got extended to 41/2 hr. with almost 100% audiences intact. This program was covered by all major media.
The Highlights & Outcomes of the Program are:
1. The Terai Aandolan is NOT over yet.
2. The Government is NOT serious and/or sincere about the Madheshi people demand. The implementation of some of the promises was lacking.
3. The Media as well Human Rights Activists were biased during the Terai Movement (Mr. C.K. Lal).
4.There was a strong demand to establish an independent Media devoted to Terai cause. They sought help from NRN.
5. The jungle-raj of Maoist has been wiped out in Terai region.
6. The ordinary people are leading the movement. The politicians and political party need to catch up with them, else they will miss the boat.
7. Majority of the participants wanted the Home Minister to resign immediately so that the peace talk can start (a demand posed by MPRF).
7.NSP was NOT adamant about the resignation of Home minister as a pre-condition to the Talk.
It has already been a long e-mail. I'll keep on updating about the ANTA's role in helping the victims of Terai Movement. While in Kathmandu, I got an opportunity to write an article in the Kantipur Daily (attached herewith) and gave interviews in 3 FM radios.
They all wanted to know how we (Nepali diaspora) saw the recent Terai movement from seven seas across.... They appreciate your support from the bottom of their heart. So do I.
With Kindest regards,
Ratan Jha
President - ANTA