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Tuesday, April 02, 2019

Nepal Investment Summit 2019



When it comes to Nepali entrepreneurs, looks like Binod Chaudhary is in a league of his own.

Saturday, December 26, 2015

मोदीका रावण लंका या पाकिस्तान में नहीं काठमाण्डु में है



लंका क्या था मिथिला के सामने? अभी भी छोटा है। उस वक्त भी छोटा ही था। मिथिला हिमाल से गंगा तक फैला हुवा था।  अभी के नेपाल से भी बिहार से भी बड़ा। अयोध्या भी बड़ा था। तो फिर रावण ने इतना घमंड क्यों किया? ओली को इतना घमंड क्यों? रावण भी सनातनी शैतान। ओली भी सनातनी शैतान। ओली लेकिन पढ़ालिखा नहीं है। वेद पुराण पढ़ा हो तो वो अलग बात है। पुष्पक विमान की बात तो करता है।

सीता जनकपुत्री होती तो मिथिला वाले चढ़ाई करते, लेकिन वो थी धरतीपुत्री। धरतीपुत्री को मिथिला की हिफाजत की जरुरत नहीं थी। यहाँ तक की राम की हिफाजत की जरुरत भी नहीं थी। लंका में अपना हिफाजत खुद किया। 



ये मैं rhetorical बात नहीं कर रहा। ये कोई हँसी हँसाने की बात नहीं। यहाँ पर सीता है मधेस। 

मोदी पहली बार नेपाल आए। बहुत उमंग से। एक बिलियन दिया देशको। (जिसको अभी तक छुवा नहीं गया है) दुसरी बार जब आना था वो जनकपुर जाना चाहते थे। इन सनातनी शैतानो ने जाने नहीं दिया। अजीब बात नहीं? चीन अमेरिका बेलायत सब जगह आम सभा सम्बोधित किया मोदी ने। कोई समस्या नहीं। लेकिन इन सनातनी शैतान ने कह दिया तुम जनकपुर में आम सभा सम्बोधित नहीं कर सकते। वो तो ऐसा हुवा कि जनकपुर आओ लेकिन जानकी मंदिर जाने नहीं देंगे। तो मोदी ने भ्रमण ही कैंसल कर दिया। भारत के प्रधान मंत्री का एक छोटा मोटा देश द्वारा इतना बड़ा अपमान? घमंड आँख छिन लेता है। सही गलत दिखता नहीं। 

बिलियन डॉलर न सुशील ने छुवा न ओली ने। ये छोटी बात नहीं है। ये कैसे लोग हैं जो नेपाली जनता और मोदी के बिलियन  डॉलर के बीच खड़ा होना अपना धर्म समझते हैं? 

मोदी ने उतने मेहनत से इमेज बनायी। दुनिया भर गए। अमेरिका और चीन को मात कर दिया FDI में। लेकिन वो देश जो कहता है जिसे भारत कहता है हमारा सबसे करीबी वो मोदी का इमेज ख़राब करने के लिए जीजान से लगा है। क्या वजह है? मोदी का इमेज ख़राब करने का इससे बड़ा प्रयास कहीं हुवा ही नहीं है। 

इन सनातनी शैतान ने बहुत प्रयास किया चीन के साथ भारत का टक्कर करवा देते हैं। चीन राजी नहीं हुवा। राजी होता तो? 

तो मैं रावण वैसे नहीं कह रहा हुँ। इन सनातनी शैतान को सिर्फ देखाई देता है कि मोदी क्या है, मोदी सिर्फ एक तेली है। उसके अलाबे उन्हें कुछ दिखता ही नहीं। दुनिया का सबसे व्यस्त आदमी। डेवलपमेंट मैन। भारत का दोस्त। भारत का प्रधान मंत्री। कुछ नहीं दिखता। 



Thursday, September 03, 2015

खोला र सुरक्षा बाहेक केही नदिने

जल विद्युत को कुरा। खोला र सुरक्षा बाहेक केही नदिने गर्नु सर्वोत्तम होला। पैसा त १००% तिमी हाल भन्ने विदेशी लाई। हामी सुरक्षा को भने गारंटी लिन्छौं भन्ने। हाम्रो सशस्त्र लाई त बामे ले shoot at sight order दिएर राखेको छ। भन्ने।

त्यो चाहिँ नभन्ने। विदेशी भागाभाग हुन्छ। विदेशी मधेसी होइन सशस्त्र को कैंप घेरदिने। 

खोला र सुरक्षा मात्र दिने गर्दा एउटा १००० मेगावाट को बन्यो ह रे। अनि नेपाल ले कति पाउने? ५०% त होइन होला। २५% हो कि? १५% हो कि? २०% घटि त के होला र? तिम्रो कंक्रीट र टरबाइन ले बिजुली आएको होइन पानी ले हो बिजुली आएको भन्ने। Hard bargaining गर्ने। 

पहिलो वर्ष २०% पाउने, १० वर्ष पछि त्यो २५% हुने, १५ वर्ष पछि ५०% हुने, अनि २५ वर्ष पछि १००% नेपाल को हुने। त्यस्तै केही होला। त्यो बिजुली आफुले खपत गर्ने जति गर्ने बाँकी केपी बाजे को युपी बिहार लाई बेचने। सउदी अरब ले पनि भारत लाई टैंकर का टैंकर तेल बेचेको छ। 



Bhutan hoping for happiness with hydropower
By the middle of 2014, the stately yellow, black and white Great Hornbills that live in the forest along the Dagachhu – a river in Bhutan’s Himalayan foothills – should get some peace after four years of drilling, blasting and construction around their rural haunts. ...... Some countries have oil and gas. Others have fertile plains on which to grow wheat or rice.

Bhutan has mountains and rivers – lots of them – and has staked its future on hydroelectricity.

....... Dagachhu, a 126MW plant partly financed by the Asian Development Bank, is only the latest of a series of projects that are turning this previously isolated Buddhist kingdom into a modern hydropower nation. ....... Bhutan is famous for its philosophy of emphasising “gross national happiness” (GNH) over gross domestic product (GDP). The $240m project has some peculiar features suited to the country’s attempts to open its economy while seeking to preserve a largely pristine mountain environment........It is the first Bhutanese hydro project in which the private sector – in this case India’s Tata Power, with 26 per cent of the equity – has a direct stake.......... it is the world’s first example of cross-border use of the UN’s Clean Development Mechanism: although the power plant is in clean and green Bhutan, it is permitted to earn carbon credits because the electricity is exported to India and will reduce emissions there by some 500,000 tonnes of carbon dioxide per year....... Dagachhu, however, is part of a much broader drive by the Bhutanese royal family and the two governments elected since the introduction of full democracy in 2008 to accelerate economic growth and reduce poverty........Bhutanese ministers admit the target will slip, but

the country’s declared aim is to increase hydropower capacity to 10,000MW by 2020, most of it for export to its electricity-hungry neighbour India.

...... So far only 1,500MW, about 6 per cent of the country’s total potential, has been completed, and in winter when rivers are low Bhutan is still an electricity importer. Even at this low level, hydropower is Bhutan’s biggest export and accounts for one-fifth of GDP.......

Hydropower is the backbone of Bhutan,” says Tinley Dorji, Dagachhu chief executive.

.....Tshering Tobgay, the prime minister, is determined to make the most of Bhutan’s growing output of clean electricity. In the capital Thimphu, for example, he wants to use cheap hydropower to create an electric vehicle “hotspot” that would be an example to the rest of the world and attract investments in green vehicle technologies...... Yet relying on hydropower is not without risks, including environmental ones. Lam Dorji, finance secretary, says that climate change and reduced winter snowfall is already affecting the flow of Bhutan’s glacier-fed rivers (rain-fed Dagachhu is not one of them). “These are really hard facts that we are beginning to realise – that there’s a possibility that some day in the future it [the water flow] would be reduced to an extent that we may not be able to make use of it.” ....... Bhutan’s “run of the river” hydro projects are less invasive than the alternative of big dams and reservoirs. .....

perhaps the biggest risk for Bhutan is a “resource curse” of the type that affects countries dependent on the export of a single commodity and stunts other parts of their economies....... Bhutan plans to diversify farm production from its staples of rice, potatoes, corn and apples into hazelnuts, coffee and organic vegetables – but will certainly rely heavily on hydroelectricity exports to a single market, India, for decades to come. It is now struggling to pay for the imports of labour and equipment for the ambitious projects backed by India, some of them 10 times as large as Dagachhu. ...... Mr Tobgay, who has set his sights on maintaining annual economic growth of 10 per cent a year ...... “Hydropower is a gift, a boon. It’s not a curse,” he says in an interview. “Right now our economy is so weak and so small that all I can say is

‘Thank heavens for hydropower’.”


१ मत को ५० रुपया को अर्को पक्ष: जल बिद्युत

१ मत को ५० रुपया को अर्को पक्ष। १० मेगावाट माथि का सबै जल बिद्युत परियोजना केंद्र सरकार को मातहत मा हुन्छ, हुनुपर्छ। त्यसको पनि दुई पक्ष छ। पहिलो त यो हो कि परियोजना बनने मुख्यतः FDI (Foreign Direct Investment) ले हो। दोस्रो पक्ष नेपाल ले आफु लाई सउदी अरब सोँच्नु पर्यो। १०-२० हजार मेगावाट बिजली भकाभक निकालिहाल्ने अनि त्यस बाट आउने पैसा केंद्र लाई ३३%, प्रदेश सरकार हरुलाई ३३% जनसंख्या समानुपातिक, स्थानीय सरकार हरुलाई ३४% जनसंख्या समानुपातिक। नागरिकता खालि चुनाव मा वोट खसाल्न का लागि मात्र होइन। जल बिद्युत को सउदी अरब मा नागरिकता ले पैसा पनि दिने हुनुपर्छ। त्यसरी पाइने पैसा तीन तहका सरकारहरुले नंबर एक खर्च गर्नु पर्ने आइटम हो Universal, Lifelong Education. २०,००० मेगावाट बिजली पैदा गरेर देशको GDP तीन गुणा वृद्धि हुन्छ भने देशको प्रत्येक नेता र कर्मचारी को तलब तीन गुणा वृद्धि हुन्छ, हुनुपर्छ। १० गुणा वृद्धि हुन्छ भने १० गुणा। र २०,००० मेगावाट बिजली काम थाले को तीन/चार वर्ष भित्र हुन सक्छ। काम आजै थाले पनि हुन्छ। "खोला बेच्यो" भन्ने paranoia/राष्ट्रवाद/"राष्ट्रियता", कमिशनतंत्र र भरष्टाचार ले गाडी हिलोमा अड्किएको, पुर्ण रूपेण असक्षम प्रधान मंत्री, FDI का लागि सही सजिलो policy framework नभएको, स्थानीय स्तर मा सुरक्षा दिन नसक्नु आदिले गर्दा काम शुरू नभएको हो। आफुले खोला र सुरक्षा बाहेक केही नदिने गर्न सकिन्छ। त्यस बापत पाउने fair share कत्ति हो? त्यो दुनिया मा अरु ठाउँ मा कसरी गरिएको छ। सब इंटरनेट मा हेर्न सकिन्छ। Negotiation को प्रक्रिया हरेक कदम मा १००% पारदर्शी राख्ने। आजको जमाना मा त्यो भनेको इंटरनेट मा राख्ने भनेको। नेपाल ले के भन्दैछ? अर्को पक्षले के भन्दैछ? इंटरनेट मा राख्ने।


Monday, August 24, 2015

Salex Tax

१ मत को ५० रुपया
Power/Budget Devolution र भ्रष्टाचार नियंत्रण
३०-३०-३०-१०: केंद्र प्रदेश स्थानीय विशेष
Federalism, Centripetal Force, Centrifugal Force
संघीयता मा बजेट बाडफाड़: ३३-३३-३४: केन्द्र प्रदेश स्थानीय
१ देश, १६ प्रदेश, २०-३० विशेष क्षेत्र, १००० गाउँ/नगर = १२५ जातजाति
सही संविधान ले आर्थिक क्रांति गर्ने हो
भारतका २४० ट्रिलियन डॉलर वाला अर्थतंत्र बनने का फोर्मुला इजराइल के पास है
लोकतंत्र, संघीयता र आर्थिक क्रान्ति
प्रत्यक्ष निर्वाचित प्रधान मंत्री र १०% आर्थिक वृद्धि दर

अहिले को केंद्र को बजेट लाई १६ प्रदेश मा र स्थानीय निकाय का १,००० इकाई मा जनसंख्या समानुपातिक बांड दिए पछि कुरा त्यहाँ सकिँदैन। त्यस पछि १६ प्रदेश बीच होड़बाजी शुरू गर्नु पर्छ। शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, business friendly policy environment सरकार को काम हो। त्यस का आधारमा आ-आफ्नो प्रदेश मा आर्थिक गतिविधि सकेसम्म बढाउने पहल प्रदेश हरुले गर्नु पर्छ। अनि फाइदा के भन्दा ५ देखि १०% सम्म सेल्स टैक्स उठाउन पाउने भन्ने हुन्छ। त्यस बाट प्रदेश हरु लाई थप आय हुन्छ।

रोजगार निर्माण निजी क्षेत्र को काम हो। ९०% जनता ले जीविकोपार्जन गर्ने भनेको निजी क्षेत्रमा जागीर खाएर। त्यस कारण आरक्षण को संघर्ष भन्दा २० गुणा बढ़ी महत्वपुर्ण जिम्मेवारी सुशासन कायम गरेर निजी क्षेत्र लाई सकेसम्म फस्टाउने किसिमको वातावरण बनाउने।

त्यहाँ सम्म छलफल पुगेकै छैन। संघीयता पछि को छलफल त्यही नै हो।

आखिर मलेशिया कतार जाने नेपाली ले पनि १०-१५ हजार मासिक खाएको देखिन्छ। त्यति मासिक तलब पाउने काम नेपाल मैं उपलब्ध हुन सक्छ। त्यस का लागि FDI (Foreign Direct Investment) सकेसम्म भित्र्याउने हुनुपर्छ। चीन सँग सिक्नुपर्छ।






Saturday, August 15, 2015

कर्णाली को जनसंख्या ४ लाख

Feeling Sorry For Province Two?
Why Does Karnali Want To Be Its Own State?
कञ्चनपुरदेखि चितवनसम्म थरुहट प्रदेश
मगरात को जायज माग: पहिचान बिनाको संघीयता नागरिक बिनाको लोकतंत्र जस्तो
लिम्बुवान नाम
ओली को नवराजा बोली
१ देश, १६ प्रदेश, २०-३० विशेष क्षेत्र, १००० गाउँ/नगर = १२५ जातजाति

कर्णाली को जनसंख्या ४ लाख। देश को जनसंख्या को १%? लगभग। मेरो फोर्मुला मा जहाँ प्रत्येक प्रदेश ले प्रतिनिधि सभा र राज्य सभा मा जनसंख्या समानुपातिक सीट पाउने छ, राज्य सभा मा कर्णाली ले १ सीट पाउने भो, प्रतिनिधि सभा मा २ सीट। लगभग। प्रदेश सभा त उसले आफै निर्धारण गर्ने हो। अथवा अन्य समानुपातिक फोर्मुला तानतुन पारेर ५ सीट पनि हुन सक्छ।

अनि प्रति व्यक्ति आय का हिसाबले देश को सबै भन्दा पछाडि रहेका २५% प्रदेश मध्ये एक पर्ने भएको ले प्रत्येक वर्ष केंद्र बाट स्पेशल पैकेज पाउने भो।

अहिले को प्रहरी केंद्र ले फिर्ता लिनुपर्ने भो। स्थानीय ले प्रहरी मा जागीर पाउने भए। कर्णाली मा ५०% बढ़ी मत पाएको प्रत्यक्ष निर्वाचित मुख्य मंत्री कर्णाली प्रहरी को डायरेक्ट बॉस हुने भो।

केंद्र सरकार मा सबै तहमा १% पाउनु पर्ने भो। सेना देखि लिएर प्रशासन आदि। निजामती सेवा मा। राजदुत नियुक्ति मा।

यार्चागुम्बा मा प्रदेश को प्रमुख भाग रहने भो। स्थानीय पर्यटन मा त्यस्तै।

स्थानीय सरकार मा स्थानीय को सहभागिता ले गर्दा व्यापक विकास हुने भो।

प्रदेश सरकार ले FDI मा देश कै सबै भन्दा प्रगतिशील कानुन बनाएर यार्चागुम्बा processing गर्ने स्थानीय स्तर मा हुन थाल्यो। पर्यटन क्षेत्र मा व्यापक विदेशी लगानी भयो। रोजगारी का लागि अरु प्रदेश का मानिस को ओइरो लाग्यो।

कर्णाली का ५ सांसद ले केंद्र मा तर्क को आधारमा केंद्र को संसद मा बहुमत बटुलेर देश ले १०,००० मेगावाट बिजली उत्पादन गरेर कमाएको पैसा ले एउटा कर्णाली राजमार्ग बनाए र तिब्बत र सुर्खेत लाई जोड़े र मानसरोवर जाने थुप्रै भारतीय पर्यटक कर्णाली को बाटो जान थाले।

यस्तो हुन सक्छ।

यस्तो पनि हुन सक्छ कर्णाली को एक जना सांसद सारा देश को प्रधान मंत्री बन्यो। लोकतंत्र मा त्यस्तो हुने संभावना हुन्छ। उस्तै काबिल मान्छे हो भने बन्छ। अनि त्यो मान्छे ले कर्णाली मा आफ्नो ड्रीम प्रोजेक्ट एउटा बायोटेक इंडस्ट्री स्थापना गर्यो। अनि त्यसका आधारमा कर्णाली ले प्रति व्यक्ति आयमा सारा देश लाई उछिनयो।

यस्तो हुन सक्छ।



पहाडबाट अलग गरिएकोमा मधेसी समुदाय चिन्तित
पहाडविनाको प्रदेश विहारीकरणको संकेत : शत्रुघ्न महतो
आन्दोलनलाई साम्प्रदायिक बनाएर दमन गर्ने षडयन्त्र : यादव
‘कुनै समूदायविरुद्धको लडाई होइन, अधिकारको हो’

‘टिकापुरको आमसभा आमसञ्चारमाध्यमले ब्लाक आउट गरे ।

फेसबुकमा केही उरन्ठेउलाहरुले उपेन्द्र यादवलाई जनताले लखेटे भनेर गलत प्रचर गरे । यसरी साम्प्रदायिक बिद्धैष फैलाउने काम दुखद छ ।’ ......... ‘दलको हैकमको आडमा संविधानसभामा छलफल नै नगरी प्रतिवेदन संविधानसभामा बुझाईयो । यस्ले प्राप्त उपलब्धि उल्टाउने काम गरेको छ । समानुपातिक समावेशी, नागरिकता, राज्यपुर्नसंरचना समितिको प्रतिवेदन उल्टाउने काम भएको छ । संविधानसभाले स्वामित्व ग्रहण गरेको कुरा चार दलले स्विकार गरेनन ।’ ...... एक भाषे नीति लागु गर्दै ..... केपी ओलीले साम्प्रदायिक र विखण्डनकारी भनेको प्रति लक्षित गर्दै यादवले हिजोको आन्दोलनमा दुई चार जनाले आन्दोलन हुँदैन, राजसस्था हटाउनु भनेको बयल गाढा चढेर अमेरिका जानु जस्तो भनि अभिब्यक्ति दिने ओलीले अहिले प्रतिगमनको नेतृत्व गरिरहेको दावी गरे ।
काठमाडौंमै आएर भारतीय पूर्वजनरल अशोक मेहताले भने, लिपुलेक नेपालको भूभाग होइन (अन्तर्वार्ता)
चीनले पाकिस्तानलाई सहयोग गरिरहेको छ, जब कि पाकिस्तान भारतको दुश्मन हो । यसरी पाकिस्तान, चीन र भारतबीच त्रिकोणीय सम्बन्ध छ । भारतका लागि जुन सुरक्षा चासोको कुरा छ, यसमा नेपाल पनि जोडिएर आएको बुझिन्छ । चीनले नेपालमा गरेका गतिविधिबाट भारत असन्तुष्ट आउँछ । चीनसँग सीमा जोडिएकाले पनि भारतले नेपाललाई विशेष नजरले हेरेको पाइन्छ । यता, नेपालमा चीनको चासो बढ्दै गएको छ । नयाँ–नयाँ कुराको प्रवेश नेपालमा गराउँदै छ । खासगरी दशवर्षे जनयुद्ध ताकादेखि नै चीनले नेपालमा आर्थिक गतिविधि बढाएको छ । ३० भन्दा बढी चिनियाँ सेन्टर, ठमेलमा चिनियाँ रेस्टुरेन्टलगायत थुप्रै सञ्जाल नेपालमा रहेका छन् । यस्ता गतिविधिका कारण भारत नेपालप्रति सशंकित देखिएको छ । ........... नेपालले यो कुराको ख्याल गर्नुपर्छ कि चीनको गतविधिका कारण भारत असुरक्षित नहोस् । नेपालमा चीनको गतिविधिले भारतको सुरक्षामा असर नपरोस् ।

भारतमा जति पनि आतंककारी गतिविधि हुनेका गरेका छन्, यस्तोमा नेपाललाई नै माध्यम बनाएका हुन्छन् । चाहे कास्मिरी आतंकवादी होस्, पाकिस्तानी आतंकवादी होस्, या भारतीय जालीनोटको कारोबार होस्, सबैमा नेपाललाई सेन्टर प्वाइन्ट बनाइएको हुन्छ । पाकिस्तानी आतंकवादीले नेपालबाट भारतको प्लेन हाइज्याक (अपहरण) गरेकै हो नि । चीनले नेपालमा डेभलपमेन्टको नाममा आफ्नो ठाउँ बनाउँदै छ । ठाउँ बनाइसकेपछि उसले के गर्छ, सबैलाई थाह छ ।

चीनले पटकपटक नेपाललाई भन्दै आएको छ कि नेपालको पोलिटिक्समा हाम्रो केही इन्ट्रेस्ट छैन । तर हेर्नुस्, नेपालको पोलिटिक्समा चीनको कस्तो प्रभाव छ, छर्लंग देखिन्छ । राजा महेन्द्रको समयमा चीनले तराई मधेसमा कुनै पनि प्रोजेक्ट तथा अन्य कुनै पनि गतिविधि गर्न नपाउने भनी नेपाल र भारतको बीचमा सम्झौता भएको थियो । तर, अहिले हेर्नुस्, उनीहरू तराईमा छिरेर त्यहाँ एयरपोर्टहरू बनाउन थालेका छन्, बाटो बनाउन थालेका छन् । चाइना सेन्टर खुलेका छन् । ........... उसको मान्छे तराईमा आयो भने त्यो त भारत पसेजस्तो भयो नि । ....... चीनले काठमाडौंसम्म रेल ल्याउने कुरा गर्दै छ । .... विकासको नाममा सुरक्षा गर्ने भनी चीनका सुरक्षाकर्मी नेपाल आउँछन् । त्यसपछि सेना आउँछ । सेनालाई सुरक्षा दिन इन्टलिजेन्स आउँछ, सादा पोसाकका सुरक्षाकर्मी आउँछन् । यसरी विभिन्न किसिमका सुरक्षाकर्मीहरू नेपालमा आउँछन्, पछि यसले भारतलाई च्यालेन्ज गर्छ । .......... भारतले मात्र यो चाहन्छ कि अरु कुनै देशले नेपाललाई प्रयोग गरेर गलत गतिविधि नगरोस् । नेपाल त्यसमा सचेत रहोस् । .......

पहिला नेपाल आइएसआईको जड थियो । कर्णाली होटलमा आइएसआईको अखडा नै थियो ।

अप्रेसन टोफेल यहीँबाट खेलिरहेको थियो । हवाईजहाज यहीँबाट हाइज्याक भएको हो । जालीनोटको कारोबार यहीबाट हुन्थ्यो । अहिले आएर पाकिस्तानलाई लिएर नेपालले भारतसँग राम्रो सहकार्य गरेको छ । चीनका लागि पनि त्यस्तै होस् भन्ने चाहन्छ । ........ चीनले तिब्बतको कुरा गर्दाखेरी नेपाल एकदम एलर्ट हुन्छ । दलाई लामाका अफिसहरू बन्द गराउँछ । दलाई लामाका मान्छेलाई समाउँछ । उसको गतिविधिमा रोक लगाउँछ । तर, भारतले चीनबारे पटकपटक भन्दा पनि कुनै वास्ता गर्दैन । यसो किन हुन्छ ? हाम्रो चासो यति हो ।

सन् १९७७ मा खम्पा विद्रोह हुँदा चीनले त्यसलाई रोक भन्दा नेपालले रोकेको हो नि । तिमीले रोकेनौ भने हामी आएर रोक्छौं भनेर चीनले भनेकै हो ।

तपाईं नै भन्नुस्, भारतले त्यस्तो भन्न पाउँछ कि पाउँदैन ? ........... भारत यही चाहन्छ । तर, चीनले यहाँ के गरिरहेको छ ? पाकिस्तानले के गरिरहेको छ ? त्यो भारतको हितअनुकूल छ कि छैन ? भारतको चासो यसैमा हो । ........ लिपुलेक पनि नेपालको भूभाग होइन । .... यो क्षेत्र अहिले नेपालका लागि मात्र विवादित हो । यो विवाद त धेरै पहिले समाधान भइसकेको हो । यस विषयलाई

‘राजनीतिक भकुन्डो’ मात्र बनाउन खोजिएको हो ।

नत्र तपाईं आफैँ भन्नुस्, किन लिपुलेकको विषयमा नेपालका कम्युनिस्ट पार्टीले मात्र कुरा उठाउँछन् र नेपाली कांग्रेसले यसलाई उठाउँदैन । किन नेकपा (एमाले) वा नेकपा (माओवादी) मात्र लिपुलेक पहाड चढ्न खोज्छ ? पहिले वामदेव गौतमहरूले यो कुरा उठाए, अहिले आएर फेरि मोहन वैद्यको पार्टी त्यहाँ जान खोजिरहेको छ । ............. दुई पूर्वप्रधानमन्त्री पुष्पकमल दाहाल र शेरबहादुर देउवाको भारत भ्रमण र ६ प्रदेशमा भएको सहमतिबीच कुनै सम्बन्ध छैन । ......... अहिले ६ प्रदेशको विरोध सुरु भइसकेको छ । दलहरूले गरेको संघीय सीमांकनबारे विभिन्न सुझाव आइरहेका छन् । यसमा परिवर्तन पनि हुन सक्छ .......... अहिले नै नेपालमै ६ प्रदेशको विरोध सुरु भएको छ । .... संविधानका लागि २० वर्ष गुमाइसक्यो नेपालले, १० वर्ष सशस्त्र विद्रोह र झन्डै १० वर्ष संविधान लेखनमा । ..... ‘रअ’को काम भनेकै त्यस्ता गतिविधिमाथि नजर राख्नु हो । उसले त्यहाँ बसेर नियालिरहेको होला । तर, यत्तिमै भारतले हिन्दू राज्यको वकालत गर्छ भन्ने प्रमाणित हुँदैन । ...... मैले अहिलेसम्म कुनै पनि केन्द्रीय तहका नेताले नेपाल हिन्दू राष्ट्र हुनुपर्छ भनेको सुनेको छैन । .......

अहिले नेपालमा मात्र होइन, श्रीलंकामा पनि यस्ता धेरै नेता छन्, जो आफूलाई मोदीको विशेष दूत भन्दै घुम्छन् ।

....... नेपाललाई बाह्य सुरक्षा थ्रेट त्यति छैन । किनभने भारत वा चीनले नेपाललाई कहिल्यै आक्रमण गर्दैनन् । नेपालको प्रमुख चुनौती भनेको आन्तरिक सुरक्षा नै हो । अझै पनि एमाओवादीबाट टुक्रिएर रहेका मोहन वैद्य र नेत्र विक्रम चन्द राजनीतिक प्रक्रियाबाट बाहिर रहेका छन् । यो चुनौतीको विषय हो । .......

मधेसी जनताको जनसंख्याका आधारमा सेनामा प्रवेश पाएको राम्रो ।



शीतल निवासमा रात्रीभोजसहित शीर्ष नेताको छलफल हुँदै
चार राजनीतिक दलहरुबीच गत जेठ २५ गते भएको १६ बुँदे सहमति प्रति राष्ट्रपति यादवले सार्वजनिक रुपमै असन्तिुष्टि जनाउँदै आएका थिए । उनले मधेशी दलको चासो सम्बोधन गर्न समेत प्रमुख दलका नेताहरुलाई आग्रह गरेका छन् ।


नेपाली समाज बाहुनवादका कारण पछाडि परेको हो : डोरबहादुर विष्ट

‘अहिलेका राजाका पुर्खा मगर हुन्’

....... त्यो अन्तर्वार्तामा उनले व्यक्त गरेका धारणा आफैंमा विस्फोटक छन् । ..... अन्तर्वार्ता दिएको केही दिनमै बेपत्ता भए वा पारिए । ....... ‘हामीलाई बाहुनहरूको भाग्यवादले पौरखशून्य बनायो’ ...... नेपालका दुई जाति खस र किराँतमध्ये खस बढी बसाइँ सरेको जाति हो । खस-आर्यहरू पशुपालन गर्ने घुमन्ते हुन् । उनीहरूले छिटो हिँड्ने गाई, घोडा, भेडाबाख्रा, कुकुरजस्ता जनावरहरू लिएर हिँड्दा घाँसेमैदानमा धेरै चाँडो हिँडे । ...... किराँत जातिहरू चाहिँ हाम्रो हिमालको पुछार, दक्षिण चीन, बर्मा, थाइल्यान्डजस्तो बढी पानी पर्ने, घनाजंगल भएको ठाउँमा बस्ने भएकाले उनीहरूको जीवनशैली छिटो नहिँडेर ढिलो भयो । त्यही भएर उनीहरूले भैंसी, सुँगुरजस्ता छिटो नहिँड्ने जनावर पाले । किराँत वर्गको पश्चिमतिर बढ्ने प्रवृत्ति ढिलो हुँदै गएको देखिन्छ । खस पूर्वतिर लाग्दा छिटो हिँड्ने हुनाले बाटामा भेटिएका सानातिना समूहलाई पेल्दै मिच्दै आफ्नो आधिपत्य कायम गर्दै अगाडि बढ्ने वर्ग पर्‍यो । .........

युवा बाहुनहरूले बाहुनवादबारे बुझ्न थालेकाले म अहिले असाध्यै खुसी छु । मैले ‘बाहुनवाद’ भनेपछि बाहुनलाई गाली गर्‍यो भन्ने अर्थ लगाए । अनि बाहुनलाई गाली गरेपछि हिन्दू धर्म पनि बच्दैन, हिन्दूहरू नबाँचे हामी बाँच्दैनौं भन्ने सोचाइ पुरानो वर्गमा रह्यो ।

...... ब्राम्हणवाद भनेको यस्तो कुरा हो जसले निरन्तर भाग्यवादको प्रचार गरिरहन्छ । अहिले जे जति भएको छ अघिल्लो जन्मको कमाइले भएको हो, अहिले तिम्रो पौरखले केही गर्दैन । ...... सबै कुरा ईश्वरले गरिसकेको छ भनेर जबसम्म भाग्यवादी सिद्धान्तलाई विश्वासमा लिन्छौं, हामी पौरखहीन हुन्छौं । पौरख नगर्ने हामी कहिले खुसी हौंला तर अर्काले कहिले दिन्छ र खाउँला भनेर सहायताको ठूलो थैलो लिएर संसारभरि घुम्ने चलन जुनसुकै सरकार आए पनि त्यो गरिरहेको छ, त्यो लाजमर्दो कुरो हो, पौरखशून्य नेपाली भएकाले त्यसो भएको हो । ..... हामीलाई बाहुनहरूको भाग्यवादले पौरखशून्य बनायो । त्यसैले त्यसको नाम मैले ‘बाहुनवाद’ भनेको हुँ । ‘बाहुनवाद’ नफालेसम्म देशले पौरख गर्दैन । पौरख गर्ने जनता नहुञ्जेल देशले उन्नति गर्दैन । ..... संस्कृतमा समाचार दिनुपर्ने बिल्कुलै आवश्यकता थिएन । गलत परम्परा तोड्ने मार्क्सवादी सरकार आएको बेलामा पनि संस्कृतको प्रतिरक्षा गर्ने काम भयो । केही अदूरदर्शी पण्डितहरूले संस्कृतलाई कतै न कतै झुन्ड्याइदिए बाहुन वर्गको कल्याण र हिन्दू धर्मको रक्षा हुन्छ कि भन्ने सोचाइ राखे र त्यो गलत सोचाइको कारण संस्कृतमा समाचार दिन थाले । संस्कृत भाषा आज विकास गर्न बाँकी भाषा होइन । .......

खस सबैभन्दा ठूलो समूह भएको जनजाति हो ।

आजको नेपाली भाषा (खस कुरा) धेरै भाषाको सम्मिश्रणले आदिकालको ‘खस’ कुरासँग मिल्दैन। त्यसकारण

आफ्नै भाषा भएको, आफ्नै भौगोलिक क्षेत्र भएको, आफ्नै चालचलन भएको, देवीदेवता कुनै पनि पूजा नगर्ने, बाहुन पुरोहित हुँदै नभएको ‘खस’ लाई जनजाति नभने कसलाई भन्ने ?

....... अहिले मैले जुम्लामा बसेर गरिरहेको काममध्ये एउटा खसहरूलाई जनजाति हौ भनेर चिनाउनु पनि हो । अहिले पूर्वतिर धमाधम जनै लगाएर किराँतीलाई बाहुन बनाउने काम डा. प्रपन्नाचार्य र पं. छविलाल पोख्रेलजस्ता विद्वानहरूले गरिरहनुभएको छ । जनजातिलाई कसरी भविष्यमुखी बनाउने भन्ने आजको समस्या हो । तर मान्छेहरू दुई सयको जनै लगाउन हुरुरु कुँदेका छन् । आज त यो स्थिति छ भने आजभन्दा ६ सय वर्षअघिका बाहुनहरूलाई कस्तो भयो होला ? ........ पहिले विशाल साम्राज्यका शक्तिशाली खसहरूलाई तिमी ठकुरी हौ भन्दै जनै लगाइदिँदा तिनै खस बडा सम्मानित भए । पछि बाँकी खसलाई शुद्र हौं भनिरहे । जनै लाउनेले आफ्नै खस दाजुभाइलाई तल्लो जातको ठान्न थाल्यो । ........ बाहुनहरूले कहिल्यै परिस्कृत कुरा गरेनन् । सधैं मलाई दान देऊ, तिमी बैकुण्ठ जान्छौ भन्ने मिथ्या प्रचार गरिरहे ।

बैकुण्ठ छ भन्ने विश्वास भएको भए ती बाहुनहरू आफैं जान्थे ।

भाग्यवादले गर्दा हामी पौरखशून्य भयौं । बाहुनवादले मानिसको प्रतिभालाई कुण्ठित बनाइदियो । त्यो कुण्ठित पारिएको वर्गमा खसभन्दा बढी कसैलाई नोक्सान भएन । त्यसकारण खसहरूलाई उठ्न असाध्यै गाह्रो पर्योब । ‘फेटलिज्म एन्ड डेभलपमेन्ट’ लेखिसकेपछि पूर्वतिर जाउँ कि भन्ने सोचें । तर पूर्वतिर एउटा सकसकी आइसकेको छ, किराँत वर्गमा । त्यसैले म खसान क्षेत्रतिर गएँ । मैले सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक ढंगले किन खसलाई लात्ती हानियो भनेर हेरेको छु । जबसम्म खसभित्र हामी पनि उठ्नुपर्छ भन्ने चेतना हुन्न, त्यतिन्जेल नेपाल ज्यान गए पनि बन्ने छैन । बरु नेपाललाई जनजातिको राजनीतिले जर्जर बनाइरहनेछ । मेरो उद्देश्य साम्प्रदायिक होइन । खसहरूलाई जनजाति बनाउनु हो । ............

नेपाल आदिकालदेखि गाईखाने देश पनि हो ।

अहिलेसम्म पनि हामीले गाई खाइरहेको देखिरहेका छौं, खान्छन् । नेपालभित्र गाई काटेर खाने परम्परा नभएको होइन । नेपाल हिन्दू अधिराज्य बन्यो र कानुनका हिसाबले गाई काट्नु हुन्न, काटे सजाय हुने भन्ने कानुन बनेपछि त्यो कामले अन्डरग्राउन्ड हुनुपर्‍यो । ......... राणाशासनमा राजनीतिले अन्डरग्राउन्ड जानुपर्थ्यो, पञ्चायती व्यवस्थामा दलीय कुरामा विश्वास गर्नेले अन्डरग्राउन्ड जानुपरेजस्तो गाई काटेर खानेकुरा अन्डरग्राउन्ड भएको थियो । .....

पुरोहितका छोराहरूलाई भन्ने गरेको छु- तिमीहरूको पुरानो पुस्ता बदलिन सक्दैन । त्यसैले सिदा बटुलेर खानुभन्दा पौरख गरेर खान सिक । पुराण भनेर र फटाहा कुरा गरेर ‘दान देऊ, तिमी भुरुर्र उडेर स्वर्ग जान्छौ’ भन्नुभन्दा उत्पादनशील काममा लाग्नुपर्छ ।



जुम्लामा आइतबारदेखि स्थानीय सरकार सञ्चालन गर्ने चेतावनी
कर्णाली आन्दोलनको आज सातौ दिन जुम्लाका नेताहरुले आइतबारेखि आफ्नो अनुकुलनको कर्णाली स्वायत्त प्रदेश सञ्चालन गर्ने चेतावनी दिएका छन । उनीहरुले स्थानीय स्तरबाट सञ्चालन हुने स्वायत्त सरकार माथि हस्तक्षेप भए राज्यका निकायालाई लखेट्ने चेतावनी दिएका छन्। ...... कर्णाली स्वायत्त प्रदेशका लागि सञ्चालन भएको आन्दोलनको सातौ दिन आयोजनामा गरिएको कोणसभामा यहाँका राजनैतिक दल, नागरिक समाज, युवा, महिला, विद्यार्थीहरुले आन्दोलन प्रति एक्यैवद्धता जनाउदै भोलि देखि आफ्नै प्रकारको स्थानीय शाससन सत्ता सञ्चालन गर्ने चेतावनी दिएका हुन् । ..... एकीकृत नेकपा माओवादीका केन्द्रीय सदस्य गजेन्द्र बहादुर महत कार्माले भोलिदेखि कर्णालीले आफ्नै प्रकारको सरकार सञ्चालन गर्ने चेतावनी दिँदै पुरानो सत्ताका कागजात जलाउन निजामती कर्मचारीहरुलाई आग्रह गरेका छन । उनले प्रमुख जिल्ला अधिकारी, प्रहरी नायव उपरिक्षकलाई भोलिदेखि स्थानीय सरकार स्वीकारेर आन्दोलनमा उत्रन आग्रह गरेका छन ।'त्यो गर्न सक्नुहुन्न भने आफ्नो कुम्लो कुटीरो वोकेर शिर्ष नेताको शरणमा जानु होस,' उनले भने, ' नत्र कर्णालीसंगै तपाईहरु पनि जल्नु होला ।' ....... एकीकृत नेकपा माओवादीका जिल्ला अध्यक्ष वीरबहादुर कुँवरले कर्णाली जहिले पनि केन्द्रिकृत राज्यसत्तावाट उत्पीडित बनेको बताउदै संघीयतामा केही अधिकार पाउने आशा बोकेका कर्णालीवासी माथि फेरि केन्द्रका शीर्ष नेताले कुठाराघात गरेको आरोप लगाए । ......

नेकपा एमालेका सचिव आदी प्रसाद न्यौपानेले कर्णालीबासी अधिकारको लागि टाउकोमा कफन बाधेर आएको भन्दै यति गर्दा पनि कर्णाली संवोधन नभएमा सिंहदवार घेरेर आगो लगाउने चेतावनी दिए । अध्यक्ष केपी ओलीले कर्णाली आन्दोलन दवाउन हरियो घासमा लुकेका सर्प फयाक्ने भनेको प्रति आपत्ती जनाउदै दुध खाएर पालेका शीर्ष चार काला सर्पलाई सदाका लागि निकालेर फयाक्ने चेतावनी दिए ।

......... अधिकारका लागि कर्णालीमा चलेको आन्दोलन तुहाउन गृहको आडमा जुम्लामा शसस्त्र ओरालिएको तर्फ संकेत गर्दै उनले भने शसस्त्र आउँदैमा सुरक्षित महशुस गरेका सिडियो, डिएसपीलाई गलहत्याएर पठाउने चेतावनी दिए ।

Wednesday, July 15, 2015

संघीय नेपालमा बजेट बाँडफाँड को फोर्मुला: एक प्रस्ताव


  • केन्द्र सरकार सँग ४०%
  • प्रदेश सरकार सँग जनसंख्या समानुपातिक ३०%
  • जिल्ला सरकार सँग जनसंख्या समानुपातिक १०%
  • स्थानीय सरकार (गाउँ/नगर/महानगर) सँग जनसंख्या समानुपातिक २०% 
गाउँ लाई ५ लाख या ५० लाख भन्नु भन्दा प्रतिशत तोक्ने। जनसंख्या समानुपातिक हुनु त लोकतन्त्र को दस्तुर हो। 

यो फोर्मुला मा जाने र हाइड्रो सेक्टर मा विदेशी लगानी का लागि पारदर्शी र द्रुत गतिको policy framework तयार पार्ने अनि भकाभक FDI भित्राउन थाल्ने। १० वर्ष मा देश कहाँ बाट कहाँ पुग्छ। २० वर्ष मा कतार बन्छ। रोटी सेक्ने। भएको एउटा रोटी का लागि झगड़ा गर्न सबै समय न खर्चिने। 


Friday, June 26, 2015

दिल्लीमा सम्मेलन गरेको भए ६ बिलियन आउँथ्यो

३ बिलियन आयो, मोदीले भने जस्तो दिल्लीमा सम्मेलन गरेको भए ६ बिलियन आउँथ्यो। यो  बाँकी ३ बिलियन को हिसाब किताब नेपाली जनताले सुशील सँग माग्ने कि न माग्ने?

(१) मोदी बीजेपी को नेहरू हो ---- यो मान्छे ले १५-२० वर्ष पड्काउँछ। भारत ले आफ्नै डेंग स्याउ पिंग, आफ्नै ली कुऑन यु पाए जस्तो। यस्ता मान्छे प्रत्येक चुनाव ले पैदा गर्दैन। एक जुनीमा एक पटक आउने मान्छे।

(२) मोदीको नेपाल प्रति soft feeling छ ----- भारत पछिको उसको सबै भन्दा प्रिय देश नेपाल।

(३) संसारको अहिले उ टॉप पॉलिटिशियन ---- उ जति पॉपुलर दुनिया मा अर्को छैन।

उ आफै दुनिया भरि कूदे को छ FDI का लागि। उसलाई बेइज्जत भा जस्तो लागेको छैन। राष्ट्रियता गुमे जस्तो लागेको छैन। माग्ने मान्छे जानु पर्छ भन्ने business attitude छ।

सुशील ले चिनुक फर्कायो। सुशील ले मोदी लाई नाइ भन्यो। सुशील impeach हुने कहिले हो?

ऑक्टोबर मा अफ्रीका भरिका राष्ट्राध्यक्ष हरु दिल्ली मा भेला हुन लागेका छन। तर सुशील र बामे को भाइ रामे लाई दिल्ली पुग्न धौ धौ भो।

नेपालको गरीबी नै नेपालको राष्ट्रियता हो भन्ने हरु लाई म भन्छु बरु नेपाल लाई सिक्किम बनाई दिएको राम्रो। जनमत संग्रह गर्ने अनि भारतको राज्य बन्ने। होइन भने भारत अमेरिका जस्तो बन्ने, नेपाल चाहिं हेटी भएर बस्ने जुनी जुनी सम्म। अहिले नेपाल त्यो बाटो मा हिंडेको छ।

आज देखि मेरो यो नया अडान हो ---- नेपाल लाई सिक्किम जस्तै भारतको एक राज्य बनाउनु पर्छ, जनमत संग्रहको मार्फ़त। मेरो यो अडान मानने पार्टी हरुको नेपालको संसदमा बहुमत पुगे पछि जनमत संग्रह हुन्छ।

नेपालमा भन्दा खस हरु भारतमा बढ़ी छन --- नेपालमा भन्दा तिबती हरु भारतमा बढ़ी छन --- नेपालमा भन्दा नेपाली हरु भारतमा बढ़ी छन। अलग देशको नौटंकी को समय समाप्त भएको छ। नेपाली साहित्य नेपालमा भन्दा भारत मा बढ़ी धनी छ।

नेपाल हेटी बनेर बस्ने अझै एक दुई जुनी कि नेपाल सिंगापुर बनने, सिक्किम बन्ने, स्विट्ज़रलैंड बन्ने? नेपाली जनताले सोँच्नु पर्छ।
 

Monday, June 15, 2015

Foreign Aid कि Foreign Direct Investment (FDI)

राम शरण महत र सुशील कोइराला लाई एक ठाउँ मा राखदिने हो भने उनीहरूले एक पछि अर्को गल्ती गर्दै जान्छन् -- जस्तो कि अहिले गरेका छन। चीनले मलाई पेल्यो, गुहार गुहार भन्दै मोदी को मा जापान आउने जमाना मा राम शरणले दिल्ली होइन टोक्यो मा सम्मेलन गर्ने भन्दै छ। यी बाहुन हरुको racism को ओर अन्त छैन। मोदी ले जे गर्न सक्छ त्यो जापानले गर्न सक्दैन।

भ्रष्टाचार गल्ती हो भने राम शरण ले समाचारपत्र हरु छताछुल्ल पारेको छ। तर भ्रष्टाचार गल्ती होइन, भ्रष्टाचार त संस्कार हो। अर्को गल्ती बामे को भाइ रामे ले गर्दैछ --- अर्को दुई वटा गल्ती। के भने (१) विदेशी सहयोग सकेसम्म Foreign Aid को रुपमा माग्ने अनि (२) एक एक गर्दै जे जे भत्किएको छ त्यो बनाउँदै जाने। He wants to go back to the same old, same old. Whereas this earthquake should be seen as an opportunity to give a new departure to the country.

तर उसको फोर्मुला नबुझ्नेले नबुझला, मैले त बुझ्छु: small budget, small corruption, big budget, big corruption. त्यहाँ कुनै कन्फ्यूजन छैन।

मैले propose गरेको
नेपाल सरकारले आफुले केही मैनेज गर्नै परेन। त्यसले भ्रष्टाचार को संभावना न्युन बनाउँछ अनि पैसा पनि बढ़ी आउँछ। नत्र भने नेपालको जुन इमेज छ जुन सारा दुनिया लाई थाहा छ, त्यो इमेज मेकओवर अहिले भइ हाल्ने भन्ने हुँदैन ----- especially when the actors are the same. 

Every big crisis is an opportunity भनिन्छ ------- नेपालमा त्यो lost opportunity बन्ने क्रममा छ। 



Saturday, December 06, 2014

मोदीलाई नेपालले रेड कारपेट ट्रीटमेंट दिने हो

English: Image of Narendra Modi at the World E...
English: Image of Narendra Modi at the World Economic Forum in India (Photo credit: Wikipedia)
मोदी जनकपुर आउन चाहन्छन् भने जनकपुर र चार अरु ठाउँ घुमाउने हो। मोदीले जनकपुरको बारह बिघा मैदानमा आम जनतालाई सम्बोधन गर्ने इच्छा प्रकट गर्छन भने त्यो त गर्ने गर्ने टुंडीखेलमा पनि सभाको आयोजना गर्ने। विश्वको नंबर एक सबैभन्दा exciting पॉलिटिशियन बन्न पुगेका मोदीलाई त्यस किसिमको रेड कारपेट ट्रीटमेंट दिने जुन कि मोदीले गुजरातमा FDI (Foreign Direct Investment) लाई दिएका थिए। आफुले देश विकास गर्न नसक्ने नेपालका नालायक नेताहरुले मोदीको बाटोमा रोड़ा नअड्काउने।

Modi is country's first pro-business PM; economic growth may cross 10%: Prem Watsa, Fairfax CEO
India's manufacturing, services growth outpaced China in November: HSBC
India can build $10 trillion economy by 2034: PwC
Narendra Modi's popularity sees invites waiting from all over the world
US President Barack Obama praises PM Modi for shaking India's 'bureaucratic inertia'
Obama administration to focus next 2 yrs on India-US trade ties: US official
Busy second half in 2015, China pushes for a visit by Narendra Modi in first half of February
India Is The Fastest Growing Startup Ecosystem In The World: NASSCOM