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Sunday, February 13, 2022

सड़क क्रान्ति अन्तिम अस्त्र होती है

सड़क क्रान्ति अन्तिम अस्त्र होती है 

सघन छलफल, घनिभुत छलफल, निरन्तर संवाद, बराबर संवाद, हर संभव संवाद, प्रत्येक तह पर संवाद, संगठन विस्तार, तह तह पर प्रशिक्षण। सड़क क्रान्ति अन्तिम अस्त्र होती है। देश के गृह मंत्री तह पर बात शुरू हो गयी तो जनमत पार्टी ने अपना कार्यक्रम धीमा कर दिया। सही किया। संवाद से ही समाधान निकालना है। 

जनता कार्यकर्ता को विजय भी चाहिए। डेलिवरी भी चाहिए। 

किसान आन्दोलन की माँगे पुरी करना बहुत आसान है। जो अभी पुरा कर सकते अभी करो, जो नहीं कर सकते उसके लिए मिलजुल के एक रोडमैप तैयार करो। बस। उतना आसान। सरकार उतना कर ले आन्दोलन किनारा लग जाएगा। 

जनमत पार्टी को सिर्फ चुनाव लड़ना नहीं है कि चुनाव स्वीप करना है। सिर्फ स्वीप नहीं करना है काम कर के दिखाना है। जनमत का मोरंग से बर्दिया तक संगठन है। उस बेल्ट में काम कर के दिखाना है और उस काम के आधार पर देश के प्रत्येक जिले तक संगठन विस्तार करना है। केंद्रीय चुनाव से पहले वो करना है। 

चुनाव की सबसे ज्यादा जरूरत किसी पार्टी को अगर है तो वो जनमत पार्टी है।    

लेकिन कुछ माँगे हैं जो पुरे न हो तो चुनाव होने न देने किस्म से आन्दोलन करना है। जैसे अपने चुनाव चिन्ह का प्रयोग। मधेस में ५३% जनसंख्या है तो ५३% स्थानीय तह भी हो। ताकि विकास के लिए साधन स्रोत मिले। कोइ अस्पताल बनता है तो उसमें खेत पथार, गाछवृक्ष, पहाड़, नदी नाला भी जाते हैं कि सिर्फ जनता पहुँचती है उपचार कराने? नेपाल भारत बोर्डर से पहाड़ तक लम्बे आकार का स्थानीय तह क्यों बनाएंगे आप? सकभर गोलाकार बनाइए। सांस्कृतिक भाषिक एकरूपता का प्रयास हो। स्थानीय भाषा में सरकारी काम हो सके। ये सब माँगे पुरा किए बगैर चुनाव तो कर्मकांडी चुनाव हो गया। लेकिन वो दुसरा आन्दोलन। पहले किसान आन्दोलन को सफल बनाना है। सफलता करीब दिख रहा है। 

स्थानीय चुनाव सम्बन्धी माँगे पुरी हो जाए तब चुनाव लड़ना है, स्वीप करना है। स्वीप का मतलब स्वीप। अपने प्रभाव क्षेत्र में क्लीन स्वीप। ७०% सीट। ८०% सीट। ९०% सीट। तरिका है संगठन विस्तार। सात से १७ लाख पार्टी सदस्य। १७ से २७ लाख। प्रत्येक सदस्य लेभी में १०० रुपया दे तो २७ लाख का हो गया २७ करोड़। स्थानीय चुनाव स्वीप करने का मतलब मीडिया में उसके बाद छकाछक। सब जगह न्युज में आने लगेगी पार्टी। १० नेता फुल टाइम इंटरव्यु देने को राजी हो जाए तब भी सब अनुरोध स्वीकार नहीं कर सकेंगे। प्रवास से पैसा का गाछ हिलाने लग जाएंगे तब। प्रवास से सड़क नहीं दिखता लेकिन मीडिया दिखता है। सब ऑनलाइन है। 

उसके बाद केंद्रीय चुनाव से पहले एक और आन्दोलन बाँकी रह जाएगा। संविधान संसोधन का आन्दोलन। लेकिन सकभर आन्दोलन न करना पड़े। वार्ता से ही समाधान निकल जाए। केंद्रीय चुनाव तक में इतना संगठन विस्तार कर लेना है कि प्रत्येक सीट पर उम्मेदवारी। अर्थात गठबन्धन नहीं संगठन विस्तार। सड़क क्रान्ति अन्तिम अस्त्र होती है। सड़क क्रान्ति की धमकी के बल पर वार्ता करिए और काम करबाइए। ताकि सड़क क्रांति करना न पड़े। सड़क क्रांति करना पड़े तो फ्रांस। देश बन्द मधेस बंद। 



९० करोड पटक हेरियो ७ वर्षकी बालिकाको भिडियो, कमाईन् साढे ३ अर्ब रुपैयाँ (Nastya)
जसपाको शीर्ष नेताको बैठकमा मिलेन कुरा
महाअभियोगबारे सत्तारुढ दल जसपाले पत्तै पाएन !



मधेशमा कस्तो बन्दैछ स्थानीय तह निर्वाचनको महोल अहिले मधेश प्रदेशमा १ सय ३६ वटा स्थानीय तह छन् ।
जसपा फुट्ने कुनै आधार नै छैन : प्रकाश अधिकारी
लोसपाको भित्रको ताण्डव पार्टीका नेताहरुकाअनुसार अहिले ठाकुर र महतोबीच यस्तो विवाद छ कि यी दुई नेताबीच बोलचालको अवस्थासमेत छैन ।

Tuesday, September 22, 2015

सफल आंदोलन लाई असफल बनाउने मधेसी नेताहरु को षड्यंत्र के हुन सक्छ?

भारतले नाकाबंदी गरे पछि कुरा सकियो। अब विजय प्राप्ति को बाटो मा गैसक्यो यो आंदोलन। माग पुरा हुन्छ। चार वटा छ भने चार वटा, पाँच वटा छ भने पाँच वटा। सब पुरा हुन्छ। तर आंदोलन को सफलता त्यति मा सीमित राख्नु हुँदैन।

मधेसी मोर्चा बन्यो, संघीय गठबंधन बन्यो। त्यसलाई ठोस बनाउनु पर्छ। किनभने संघीय संविधान आउनु घर को नक्शा पास हुनु मात्र हो। त्यसपछि संघीयता घर बनाउने काम बाँकी नै हुन्छ। जुन शक्ति हरुलाई घर को नक्शा कोर्ने बेला मा विश्वास गर्न सकिएन, तिनलाई घर बनाउने जिम्मा दिने किसिमको व्यवहार मधेसी नेता हरुले गर्छन भने त्यो १९ + ५६ + ५० शहीद को अपमान हुनेछ।

संघीय गठबंधन लाई ठोस बनाउने। त्यसको स्पष्ट संरचना चाहियो। सदस्य पार्टी का सांसद हरु रहेको एउटा निर्वाचक मंडली हुन्छ। त्यहाँ ५०% बढ़ी मत बटुल्ने सांसद संघीय गठबंधन को राष्ट्रिय अध्यक्ष हुन्छ। एक त्यो। अर्को, केंद्र प्रदेश र स्थानीय मा एक पद एक उम्मेदवार। यति गर्नै पर्छ। सत्ता मा पुग्नै पर्छ। होइन भने अहिले सम्म का बेइमानी का प्रयास केही पनि होइन। अनि त्यहाँ त आंदोलन गर्ने बाटो पनि हुँदैन। वक्तव्य सम्म निकाल्न सकिन्छ।

सफल आंदोलन लाई असफल बनाउने मधेसी नेताहरु को षड्यंत्र के हुन सक्छ? संघीय गठबंधन को राष्ट्रिय अध्यक्ष नचुन्ने। एक पद एक उम्मेदवार मा नजाने।

यो नाकाबंदी यति बलियो हुरी बतास हो केपी ओली को कुरा हुन छोडिसक्यो। बरु बाबुराम को कुरा हुन थालेको छ। बाबुराम + काँग्रेस + संघीय गठबंधन को सरकार बन्न सक्छ। त्यो मौका पाए जानुपर्छ। भुकम्प पीड़ित लाई मद्दत जुन गर्नु पर्नेछ।

राजनीति गर्ने भनेकै सत्ता मा जान का लागि हो। जनता लाई गरेका वाचा पुरा गर्ने उपाय के छ अर्को? वक्तव्य निकाल्ने?





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