जहाँ जहाँ झुक के छु लिया सीके ने
वहाँ पावर पैसा लठैत सब लगा दो फिर भी
भ्रष्ट निकम्मा नेता कार्यकर्ता कम है
पैसा के बल पर अगर क्रान्ति होती
तो क्रांति होती ही नहीं
क्रान्ति लेकिन होती आयी है
एक बार क्रान्ति प्रयाप्त होती है
अगर उस क्रान्ति के मैंडेट का आदर हो
लेकिन अनादर हुवा है
बार बार हुवा है
इस चुनाव को क्रान्ति बना दो
विजय तुम्हारा है
बहुदल प्रयाप्त था
अगर नेता इमान्दार होते
गणतंत्र प्रयाप्त था
अगर नेता इमान्दार होते
संघीयता प्रयाप्त था
अगर नेता इमान्दार होते
लेकिन नेता कार्यकर्ता गद्दार हैं
बहुदल से आर्थिक क्रांति तक का सीधा रास्ता उपलब्ध था
गणतंत्र से आर्थिक क्रांति तक का सीधा रास्ता उपलब्ध था
संघीयता से आर्थिक क्रांति तक का सीधा रास्ता उपलब्ध था
लेकिन चोरी में मस्त थे, रास्ता तय हुवा नहीं
इसिलिए बार बार क्रान्ति
हजार बार क्रान्ति
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