एक झिझक
बनी रहती है
समाचार पढ़ लेंगे
कहीं चाय ठंडा न हो जाए
सड़क पर निकल पड़ेंगे
कहीं डंडा न पड़ जाए
पुलिस का
समर्थन में कुछ बोल देंगे
आसपड़ोस के लोग क्या कहेंगे
बगल वाला तो कहता है
मिनिस्टर का खास आदमी है
आन्दोलन से ही तो आये ये लोग
प्रवास से पैसा भेज देंगे
कहीं ट्रेस हो गया तो
मालुम पड़ गया तो
किसी को
उसी झिझक को तो गुलामी कहते हैं
उस गुलामी से मुक्ति के लिए खुद संकल्प न लो
तो खुद ईश्वर भी तुम्हें आजाद नहीं कर सकते
यहुदी चार सौ साल तक गुलामी करते रह गए
इजिप्ट में
चार सौ साल तक प्रार्थना की
हे ईश्वर मुक्त कर हमें इस गुलामी से
मुक्त किया तो रेगिस्तान में जा के कोसने लगे
हमें ये कहाँ ला के रख दिया
इजिप्ट में तो खाने को मांस मिलता था
आज तो आसान है
एक बटन दबाना है
हो जाओ शामिल
बस एक बटन भर दबा दो
फिर भी नहीं दबाते
एक हिचकिचाहट
एक झिझक
बनी रहती है
उसी झिझक को तो गुलामी कहते हैं
जो शहीद हो जाते हैं
उन्हें नहीं होती कोइ झिझक
उन्हें पता भी नहीं होता उनकी
कोइ शालिक बनेगी
उन्हें तो सिर्फ कुर्बानी
काफी होती है
वो गुलामी से आजाद हो चुके होते हैं
तब तो ख़ुशी ख़ुशी कुर्बान हो जाते हैं
आज तो आसान है
एक बटन दबाना है
हो जाओ शामिल
बस एक बटन भर दबा दो
उस झिझक को मिटा दो
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