Tuesday, January 18, 2022

क्रान्ति अपना माँग खुद पुरा करती है

दो मिनट बन्दुक थमा दिया 
हवलदार बन गए? 

कहीँ गलतफहमी न हो जाए 
जनता के नौकरो को 
कि उनसे कुछ माँगा जा रहा है 
किसान आन्दोलन के माँगो को पढ़ के 
कहीँ गलतफहमी न हो जाए

नौकर को आदेश दिया जाता है 
जनता आदेश दे रही है 
पद पर बैठे नेता लोग 
जो भुल गए हैं कि 
आखिर उनका मालिक है कौन 

दिमाग चकरिया रहा है 
पेन्शन? किसान को भी पेंशन मिलता है कहीं?
दिमाग चकरिया रहा है
किसान आन्दोलन के माँगो को पढ़ के
दिमाग चकरिया रहा है

सिंचाइ के लिए पानी?
राणा काल में, राजा काल में 
वर्षात से काम चल जाता था 
वर्षात में वैसी क्या कमी आ गइ? 

मल? खाद? 
बीउ? बिजन?
दिमाग चकरिया रहा है

सड़क क्रान्ति 
सभा क्रान्ति 
सदन क्रान्ति 

क्रान्ति तो अपना माँग खुद पुरा करती है 
सड़क क्रान्ति नया अवतार ले लेती है 
सभा क्रान्ति नया अवतार ले लेती है 
सड़क क्रान्ति सदन क्रान्ति बन जाती है 
क्रान्ति तो अपना माँग खुद पुरा करती है

किसान आन्दोलन के माँगो को पढ़ के 
कहीँ गलतफहमी न हो जाए









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