क्रान्ति एक मात्र उपलब्ध रास्ता है
रास्ता कठिन है। बहुत कठिन। अत्यधिक कठिन। लेकिन क्रान्ति एक मात्र उपलब्ध रास्ता है। जनमत पार्टी के नेतृत्व में जो हो रहा है वो एक जुलुस नहीं है। कोइ कोण सभा नहीं। अभी तक जो हो चुका है वो गणेशमान के नेतृत्व में जो हुवा २०४६ साल में उससे १०० गुणा ज्यादा हो चुका है। कोइ छोटा आन्दोलन नहीं है।
देउबा नीरो साबित हो रहे हैं। लाज की बात है। गणेशमान की धीमी आवाज वीरेन्द्र ने सुन ली। देउबा कान में तेल धर के बैठे हैं। बड़े लाज की बात है। गणेशमान धीमी आवाज में व्यवस्था परिवर्तन की बात कर रहे थे। वीरेन्द्र तानाशाह ने सुन ली। किसान आन्दोलन व्यवस्था परिवर्तन की बात नहीं कर रही। फिर भी नहीं सुन रहे।
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