देश के पिछले १०० साल का इतिहास बताता है बिगुल पहले मधेस में ही फुँकी जाती है। चाहे वो राणा शासन ख़तम करने की बात हो या फिर पंचायत या फिर ज्ञानेन्द्र का पंचायत भाग दो, या फिर संघीय शासन शुरू करना। अब नए पीढ़ि के लिए मुद्दा है भ्रष्टाचार, सुशासन और तीव्र गति वाले विकास का। मधेस ने बिगुल फुंक दिया है। अब तो जागो ये काठमाण्डु वालों। फेंक दो इन बुड्ढ़ो के गुलामी के जंजीरो को। एक से एक सब सठिया गए हैं। नहीं तो गरीबी अभी पीढ़ि दर पीढ़ि कायम रहेगी।
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