वार्ता के लिए देउबा, ओली, प्रचण्ड, माधव, उपेन्द्र।
क्रान्ति अपना माँग नहीं पुरा करबाती। क्रान्ति सत्ता में जाती है। अपना काम सत्ता में जा के खुद करती है।
सीके राउत के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनेगी। अंतरिम सरकार बनने का मतलब ये संविधान ख़तम और फिर से अंतरिम संविधान का जिन्दा हो जाना। और अंतरिम सरकार बनने के एक वर्ष के अन्दर देश का पहला संविधान सभा का निर्वाचन। हटो सत्ता से। तुम से नहीं हो रहा है कोइ काम।
सीके राउत के प्रधान मंत्री बनते ही पहले दिन ही देश से ५०% भ्रष्टाचार ख़तम। क्यों कि न वो खुद भ्रष्टाचार करेंगे न अपने कैबिनेट को करने देंगे।
सन २००५ और २००६ में गिरिजा का असंभव माँग था: संसद पुनर्स्थापना। लोग कह रहे थे संसद तो गया। नया संसद के लिए चुनाव हो सकता है। लेकिन मृत संसद फिर से जिन्दा कैसे हो सकता है? उस असंभव माँग के कारण पुरी व्यवस्था गयी, एक संविधान गया। जिस संविधान में वही कांग्रेस और कम्युनिस्ट एक कॉमा फुल स्टॉप भी बदलने को तैयार नहीं थे।
तो अभी का जो किसान आन्दोलन का संविधान संसोधन का माँग है वो पुरा करना संभव ही नहीं है। तो सरकार गिरेगी। संविधान गिरेगा। अंतरिम सरकार बनेगी।
आन्दोलन का intensity बढ़ाइए ताकि आन्दोलन लम्बे समय तक न चले। १९ दिन से ज्यादा चला तो ये लोग ज्ञानेन्द्र से भी ज्यादा क्रुर साबित होंगे। पुरा देश बन्द और अनुशासित जुलुस प्रदर्शन प्रत्येक कसबे कसबे में। रोज। रोज बैठक। रोज सभा।
पार्टी अध्यक्ष के सुरक्षा के लिए टीम तैनात रहे। औपचारिक सुरक्षा घेरा के न मिलने तक।
सीके किसी रानी के कोख से पैदा नहीं हुवे। लेकिन सीके के कर्म के कारण सीके की माँ रानी बनेगी। गणतंत्र की रानी। राजमाता। अंशुवर्मा किसी राजा के घर पैदा नहीं हुवे थे। गणतंत्र मधेस के लिए कोइ नई बात नहीं है।
सीके के सत्ता में आने का दिन नेपाल में आर्थिक क्रान्ति का पहला दिन है और वो क्रान्ति लम्बा चलेगा। देश से गरीबी समाप्त होगा।
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