जनकारवाही से जनक्रांति तक
देउबा का भ्रष्टाचार और प्रतिगमन का रिकॉर्ड ओली ने तोडा। फिर ओली का रिकॉर्ड देउबा ने फिर से आ के तोड़ दिया है। सब चोर हैं। देश में कोइ राजनीतिक गठबंधन का शासन नहीं। ये तो एक सिंडिकेट बना लिए हैं। एक ही रूट के १० बस संचालक जिस तरह सिंडिकेट बना लेते हैं और भाड़ा बढ़ा देते हैं। चुनाव में टिकट बाँटने के लिए दर बढ़ाने का तरिका ढूँढ निकाला इन काबिलो ने।
आखिर कब तक?
जनता को जागना होगा।
भ्रष्टाचार सिर्फ जनकपुर में नहीं हो रहा। जनकपुर को नाम मात्र का बजट और शक्ति प्रदान किया गया है। भ्रष्टाचार तो सिंह दरबार में हो रहा है। भ्रष्टाचार तो बालुवाटार में हो रहा है।
एक तिहाइ बजट जो खर्चा नहीं कर पाते हो सीधा जनता को कॅश ट्रांसफर कर दो। जनता का पैसा है जनता को दे दो।
प्रत्येक उस गाओं और शहर जहाँ एक भी कोइ सरकारी ऑफिस हो वहाँ जनकारवाही करो। एक प्रतिनिधि कर्मचारी, एक प्रतिनिधि निर्वाचित नेता को नगर परिक्रमा करवाओ। हाथ लगाना जरूरी नहीं, गलत होगा। लेकिन नगर परिक्रमा तो अवश्य करवाओ।
गाओं गाओं से उठो। बस्ती बस्ती से उठो।
गाँधी का इनोवेशन (innovation) था सत्याग्रह। जनकारवाही वैसा ही एक राजनीतिक इनोवेशन (innovation) है। हिंसा का प्रयोग बिल्कुल न हो। कपडा किसी का मत उतारो। हाथ तो लगाना ही नहीं। लेकिन नगर परिक्रमा जरूर करवाओ।
क्रांति करो। भ्रष्टाचार के विरुद्ध क्रांति करो। शोषक शासक वर्ग जो पैदा हो गया है उसका अंत करो।
नेता राज मुर्दाबाद। जनता राज जिन्दाबाद। आर्थिक क्रांति चाहिए तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध क्रांति करो।
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