Saturday, August 14, 2021

जनमत पार्टी: एक विवेचना

जनमत पार्टी को राष्ट्रिय पार्टी बनना है। सामने एक के बाद एक कर के तीन चुनाव खड़े हैं। राष्ट्रिय पार्टी तो बनेगी। उसमें दोमत नहीं है। लेकिन छोटी पार्टी बनेगी कि बड़ी पार्टी बनेगी कि देश की सबसे बड़ी पार्टी बन सकेगी वह प्रश्न खड़ा है। 

आज अगर चुनाव होती है तो राष्ट्रिय पार्टी बनेगी और छोटी पार्टी बनेगी। १०-२० सांसद ले के काठमाण्डु जाएगी और जनता ने तो हमें भोट ही नहीं दिया हम क्या काम करें कहने के स्थिति में रहेगी। उस स्थिति में न सत्ता पक्ष में अकेले रह सकेगी और न विपक्ष में। उसके बाद का रास्ता कठिन बन जाता है। 

समस्या क्या है? मुद्दा को न पकड़ना। तीन मुद्दा स्पष्ट रूप से सामने है। लेकिन उस में से एक मुद्दा को भी जनमत पार्टी कसके नहीं पकड़ी हुइ है। 

पहला मुद्दा तो है मधेस आंदोलन का। संविधान संसोधन के बारे में कुछ खास बोलती नहीं है जनमत पार्टी। संविधान के किस धारा किस उपधारा से आप को समस्या है और बदले में आप क्या लिखना चाहते हैं कुछ कहती नहीं है। संसोधन करवाएंगे तो कैसे कोइ रणनीति दिखाइ नहीं देता। जबकि होना चाहिए कि जनता से मैंडेट ले के देश को संविधान सभा में ले जाएंगे और ऐसा व्यवस्था करेंगे कि प्रत्येक ५० साल में फिर से संविधान सभा का चुनाव हो। 

संविधान संसोधन के बारे में जनमत पार्टी के न बोलने का प्रमुख कारण शायद ये है कि बोले तो जसपा के समर्थन में बोलना पड़ सकता है क्यों कि अभी संविधान संसोधन के लिए संघर्ष करते दिखती वही एक शक्ति है। 

दुसरा मुद्दा है भ्रष्टाचार का और ये बड़ा मुद्दा है। आज का बहुदल, आज का गणतंत्र, आज का संघीयता यही है। लेकिन जिस तरह पंच लोग बहुदल के पक्ष में बोलने के स्थिति में नहीं थे, कांग्रेस गणतंत्र के पक्ष में बोलने के स्थिति में नहीं थी, कांग्रेस एमाले संघीयता के पक्ष में बोलने के स्थिति में नही थे उसी तरह अभी के चार पार्टी भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने के स्थिति में नहीं हैं। 

बाँकी पार्टी में पुस्ता हस्तांतरण की बात तक होती है। बगावत तो कोइ कर सकते नहीं। लेकिन जनमत पार्टी के अध्यक्ष ही पार्टी के भितर बुड्ढ़े दिखते हैं जब कि वो ५० के भी नहीं हुवे। पहाड़ में थोड़ा बहुत स्पेस बन रहा था विवेकशील साझा के लिए लेकिन जिस पार्टी का अध्यक्ष ही राप्रपा का युथ विंग बन जाए उसका तो रास्ता ही बंद हो गया। जनमत के लिए पहाड़ में भी जगह है। 

आज चुनाव होती है तो जनमत पार्टी १०-२० सीट जितेगी। लेकिन अन्ना केजरी की तरह अगर जनमत पार्टी कस के भ्रष्टाचार के मुद्दे को पकड़ती है तो जनमत पार्टी १२० से उपर सीट जितेगी।  १५० सीट जित सकती है। 

लेकिन सबसे प्रमुख मुद्दा है आर्थिक क्रांति का मुद्दा। चीन के लिए आज १०% आर्थिक वृद्धि दर अब संभव नहीं है। लेकिन नेपाल २०% आर्थिक वृद्धि दर दे सकती है। मजबुरी से दशों लाख के संख्या में लोग जो विदेश जाते हैं उनके लिए रोजगारी सृजना करना जरूरी है और संभव है। 

राष्ट्रिय राजनीति को नए पुस्ते की जरूरत है। कांग्रेस कम्युनिस्ट में वैसे हिम्मत वाले लोग दिख नहीं रहे हैं जो आगे आवें। तो जनमत पार्टी को ही आगे आना होगा और राष्ट्रिय स्तर पर आगे आना होगा। 







 





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