Wednesday, June 23, 2021

India 2024: The PeeKay Version





Prashant Kishor's magic touch is widely recognized across the Indian political spectrum. He is without parallel in my living memory. And 2024 is not too early. Primarily because a vibrant democracy needs a vibrant opposition. That is not to say Modi is not beatable. Looks like there is an internal challenge brewing up. But even if Modi is to win a third term, a strong, organized opposition will do wonders to India's rapid growth prospects.

And so here are some thoughts, first chalked out in the run-up to 2014.

Also, I think it is time for Prashant Kishor to go federal as a poll strategist. Maybe he is not a politician. He perhaps is kingmaker and not king. His biggest challenge yet might be 2024 when he will have come full circle should he emerge victorious, since he was so instrumental in Modi's 2014 victory. I am an admirer. I am a fan.

If I have to put a face to 2024, it looks like Kejriwal.

प्रशांत किशोर क्या बिहार को २०% आर्थिक वृद्धि दर २० साल के लिए दे सकते हैं?
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Modi: The Politician I Read Most About
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Federal Front?
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नया नाम, नया चेहरा, नयी अंदाज की जरूरत 

२०२४ में जो चुनाव होगा वो प्रधान मंत्री पद के लिए होगा। आप लड़ रहे हैं प्रधान मंत्री पद के लिए लेकिन आप का कोइ घोषित उम्मेदवार अगर नहीं तो कैसे जित सकते हैं? सब को केजरीवाल नाम के चारो ओर गोलबंद होना पड़ेगा। बाँकी सब थके दिखते हैं। और केजरी को खुद कमसेकम ५० सीट लाने होंगे। उसके लिए दिल्ली और दिल्ली से सट के रहे तमाम राज्यों में चुनाव लड्ने होंगे। मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश। सन २०१४ में अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में जो किया कुछ वैसा कर दिखाना होगा। ५० और १०० के बीच तो सीट लाने ही होंगे। 






नया नाम का मतलब पुराने प्रयोग के समस्त नाम को खारिज किजिए। थर्ड फ्रंट, फोर्थ फ्रंट, फ़ेडरल फ्रंट, युपीए। क्यों कि कभी भी एक पद एक उम्मेदवार वाले अवधारणा का प्रयोग हुवा ही नहीं। इस फ्रंट का सदस्यता लेने का मतलब आप प्रत्येक तह के चुनाव में एक पद एक उम्मेदवार को मान रहे हैं। लाजमी है बीजेपी भी कुछ वैसा ही कर बैठे। वो प्रतिस्प्रधा लोकतंत्र के लिए अच्छा ही रहेगा। 

तो एक कोआर्डिनेशन कमिटी चाहिए। जितने सांसद रहेंगे सब का निर्वाचक मंडल बनेगा। और सब मिल के सर्वसम्मति से केजरी को चुनेंगे। कोआर्डिनेशन कमिटी के सदस्य प्रत्येक पार्टी के अध्यक्ष ही रहेंगे। लेकिन एक अध्यक्ष एक मत नहीं। प्रत्येक अध्यक्ष के पास जितने सांसद उतने मत। लेकिन प्रयास रहेगा निर्णय सर्वसम्मति से हो। वैसा गोंद पहली बार मिल रहा है। सबको एक रखने में प्रशांत किशोर की भुमिका अहं हो सकती है। 

कोआर्डिनेशन कमिटी पहला कदम हुवा। उसके बाद प्रत्येक सदस्य पार्टी को अपनी अपनी संरचना निचे से उपर तक फेरबदल करनी होगी। 

सबसे महत्वपुर्ण: भिजन और प्रोग्राम 

भारत को आप २० साल के लिए २०% आर्थिक वृद्धि दर दे सकते हैं कि नहीं? उस प्रश्न का जवाब हुवा भिजन और प्रोग्राम। हमें लगता है बिलकुल संभव है। 



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