Wednesday, April 14, 2021

अरविन्द किंग, प्रशांत किंगमेकर

मोदीका चाय दोकान रेलवे प्लेटफार्म से लाल किला तक का सफर एक मिशाल है। आधुनिक भारत में ये भी संभव है। अमरिका में संभव नहीं। है तो आधुनिक इतिहास में दिखा नहीं। चीन में भी नहीं। सी को प्रिंस कहते हैं कहने वाले। उनके पिता माओ के समय में ताककवर थे। मैं मोदी के आलोचना में भी दो दफा लिख सकता हुँ। लेकिन अच्छे मायने भी हैं। 

मोदी दो चुनाव तो जित गए। मेरे को लगता है एक और शायद जित जाएँ। लेकिन उसके बाद उम्र ढल चुका होगा। १५ साल काफी हुवे। भाजपा के नेहरू कहलायेंगे। हो सकता हो अगली चुनाव ना भी जिते। लेकिन अभी तक तो लग रहा है जित जायेंगे। 

प्रश्न उठता है मोदी के बाद कौन। भाजपा के भितर से आने की संभावना कम है। सफलता बड़े बड़े को मात कर देती है। वो संगठन के हक़ में भी लागु होता है। भाजपा के बाहर मेरे को दो चेहरे नजर आ रहे हैं। अरविन्द केजरीवाल और प्रशांत किशोर। प्रशांत नेता नहीं बनेंगे। किंगमेकर ही बने रहेंगे। 

केजरीवाल काम तो बहुत अच्छा कर ही रहे हैं। उनको २०० सीट जितना जरूरी भी नहीं। अगर सिर्फ ५० सीट जित जाएँ तो काम चल जाएगा। बाँकी के प्रशांत भारत भर से ढूंढ़ के ला सकते हैं। प्रशांत को मोदी ने ढूंढ निकाला। नहीं तो वो अफ्रीका में काम कर रहे थे। 

कहते हैं राजनीति में एक हप्ता बहुत लम्बा समय होता है। १० साल तो बहुत हुवे। वो भी दुनिया के सबसे बड़ी लोकतंत्र के लिए। तो कहना मुश्किल है। लेकिन मेरे को अभी ऐसे दिख रहा है। 



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