अभी के स्थिति में मधेसवादी तीन ध्रुव है। चेहरा के हिसाब से देखा जाए तो महंथ ठाकुर, उपेंद्र यादव और सीके राउत। तीनो मधेसी के हक़ अधिकार के प्रति दृढ प्रतिज्ञ हैं। तीनो अहिंसा में अटल विश्वास करते हैं। तीनों लोकतंत्र के रास्ता को एक मात्र रास्ता मानते हैं। फिर भी तीनो में सीधा वार्तालाप नहीं। ये मधेसका सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। बैठ के बात तो करिए। जो विरोधी हैं वो तो विरोधी हैं ही। जो शोषक हैं वो तो शोषक हैं ही। लेकिन जो मधेसवादी हैं, जो अहिंसक है, जो लोकतान्त्रिक हैं वो कमसेकम एक दुसरे से बैठ के बात तो करते हैं। तुम मेरे दिखाए हुवे रास्ते पर आ जाओ नहीं तो तब तक कोई बातचीत ही नहीं, ऐसा कहना लोकतान्त्रिक चरित्र नहीं है।
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