सीता जनकपुत्री होती तो मिथिला वाले चढ़ाई करते, लेकिन वो थी धरतीपुत्री। धरतीपुत्री को मिथिला की हिफाजत की जरुरत नहीं थी। यहाँ तक की राम की हिफाजत की जरुरत भी नहीं थी। लंका में अपना हिफाजत खुद किया।
ये मैं rhetorical बात नहीं कर रहा। ये कोई हँसी हँसाने की बात नहीं। यहाँ पर सीता है मधेस।
मोदी पहली बार नेपाल आए। बहुत उमंग से। एक बिलियन दिया देशको। (जिसको अभी तक छुवा नहीं गया है) दुसरी बार जब आना था वो जनकपुर जाना चाहते थे। इन सनातनी शैतानो ने जाने नहीं दिया। अजीब बात नहीं? चीन अमेरिका बेलायत सब जगह आम सभा सम्बोधित किया मोदी ने। कोई समस्या नहीं। लेकिन इन सनातनी शैतान ने कह दिया तुम जनकपुर में आम सभा सम्बोधित नहीं कर सकते। वो तो ऐसा हुवा कि जनकपुर आओ लेकिन जानकी मंदिर जाने नहीं देंगे। तो मोदी ने भ्रमण ही कैंसल कर दिया। भारत के प्रधान मंत्री का एक छोटा मोटा देश द्वारा इतना बड़ा अपमान? घमंड आँख छिन लेता है। सही गलत दिखता नहीं।
बिलियन डॉलर न सुशील ने छुवा न ओली ने। ये छोटी बात नहीं है। ये कैसे लोग हैं जो नेपाली जनता और मोदी के बिलियन डॉलर के बीच खड़ा होना अपना धर्म समझते हैं?
मोदी ने उतने मेहनत से इमेज बनायी। दुनिया भर गए। अमेरिका और चीन को मात कर दिया FDI में। लेकिन वो देश जो कहता है जिसे भारत कहता है हमारा सबसे करीबी वो मोदी का इमेज ख़राब करने के लिए जीजान से लगा है। क्या वजह है? मोदी का इमेज ख़राब करने का इससे बड़ा प्रयास कहीं हुवा ही नहीं है।
इन सनातनी शैतान ने बहुत प्रयास किया चीन के साथ भारत का टक्कर करवा देते हैं। चीन राजी नहीं हुवा। राजी होता तो?
तो मैं रावण वैसे नहीं कह रहा हुँ। इन सनातनी शैतान को सिर्फ देखाई देता है कि मोदी क्या है, मोदी सिर्फ एक तेली है। उसके अलाबे उन्हें कुछ दिखता ही नहीं। दुनिया का सबसे व्यस्त आदमी। डेवलपमेंट मैन। भारत का दोस्त। भारत का प्रधान मंत्री। कुछ नहीं दिखता।
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