Friday, December 18, 2015

संगठन, संख्या और सभा संवाद

संगठन निर्माण करते जाइए। साढ़े तीन सनातनी दल मुक्त वार्ड, गाओं, बाजार, शहर घोषित करते चले जाइए। साढ़े तीन सनातनी दल मुक्त गाओं का मतलब उस गाओं में उनके पार्टी का सदस्य अब एक भी नहीं बचा है।

अपने इच्छा के मधेसी दल का सदस्यता लिजिए। दो मोर्चा कर के आठ पार्टी हैं। उसमें से किसी एक को पकड़िए। उतना ही नहीं वार्ड और गाओं लेवल पर अपने पार्टी का सदस्य संख्या कितना है, वो फ़्लैश करना होगा। Headcount करना होगा। भीड़ को संगठन का रूप देना होगा। राजेंद्र उपेन्द्र महंथ महेंद्र मत करिए। ताकत आपके हाथ में है। आप हैं तो वो हैं। आप नहीं तो वे कुछ नहीं। शक्ति के स्रोत आप हैं।

भीड़ जुलुस नारा सब ठीक है। लेकिन उसको वैज्ञानिकीकरण करना होगा। भीड़ को संगठन बनाना होगा। संख्या गिनना होगा। एक दो तीन करते जना होगा।

सभा करना होगा। स्थानीय स्तर पर करना होगा। जिस तरह भीड़ को संख्या और गिनती के बल पर संगठन बनाना है उसी तरह सभा करना होगा और लोगों को वाणी देनी होगो। बोलो। संवाद करो। बहस करो। मुद्दे क्या हैं? मुद्दों पर सदस्यों का विचार क्या है?

संख्या में ताकत है तो संवाद जान है। संवाद संगठन को जान देती है। जनक के संतति संवाद ही तो करेंगे। जहाँ सभ्यता होती है वहाँ संवाद ही क्रांति है।

संख्या और संवाद के बाद मतदान होता है। स्थानीय समिति बनाइये खुद। उपर से निर्देशन आने का इंतजार मत करिए। कहा तो, आप हैं तो वो हैं। आप नहीं तो वे कुछ नहीं। शक्ति के स्रोत आप हैं। मतदान करते जाइए, नेतृत्व चयन करते जाइए।

संगठन शक्ति है। संवाद और मतदान वाला संगठन लोकतान्त्रिक शक्ति। वार्ड का नेतृत्व केंद्र का नेतृत्व का निर्धारण करता है। केंद्र वार्ड का नहीं।

हम संगठित हो गए हम मुक्त हो गए। लिबरेशन की चाभी अपने हात में है।

संगठित हो जाओ। शिक्षित हो जाओ। समृद्ध हो जाओ।








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