मधेस के दलितों के लिए अम्बेडकर का रास्ता ही सबसे अच्छा रास्ता है। हिन्दु धर्म के भितर रह के आप को न इस जन्म में न अगले जन्म में मुक्ति मिलने वाली है। जातपात ही जिनका धर्म हो, उस जातपात बिना का धर्म वो कल्पना भी नहीं कर सकते तो वो तो आपको सदा दास ही समझेंगे। पृथ्वी गोल है, ये कांसेप्ट ही जिसके दिमाग में ना हो।
दुसरा कारण है मधेसी होने का गर्व करना। बुद्ध से बड़ा मधेसी कौन? बुद्ध के जन्म भुमि पर बुद्ध धर्मावलम्बी लोग इतने कम संख्या में क्युँ? तो दलितों का कर्तव्य बनता है आप थोड़ा मदत करो, बुद्ध के जन्म भुमि पर बुद्ध धर्मावलम्बी का संख्या बढ़ाने में थोड़ा मदत करो। ३० लाख से ज्यादा संख्या में हैं मधेसी दलित। अकाउंट ट्रांसफर करो।
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