नीतीश कुमार के कलम से : बिहार के बेहतर भविष्य के लिए जरुरी है कुशल नेतृत्व
कुछ ही दिनों में भारत की लगभग दस फीसदी आबादी, जिसका विकास देश के विकास के लिए बेहद ज़रूरी है, इस चुनाव में हिस्सा लेगी। पिछले दस वर्षों में प्रदेश ने अभूतपूर्व विकास और खुशहाली देखी है। दशकों बाद आज बिहार की चर्चा अच्छी नीयत और नजरिए से हो रही है।एक मज़बूत नींव रखी जा चुकी है। ...... अधिकांश सामाजिक-आर्थिक पैमानों पर बिहार ने देश में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। अभी दशकीय जीएसडीपी (सकल राजकीय घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 17.99 फीसदी है। यह दर (वर्तमान मूल्यों पर) अभी तक की सर्वाधिक है। प्रति व्यक्ति आय की संयोजित वार्षिक वृद्धि दर (कम्पाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट) 16.33% है। यह वृद्धि देश की औसत दर से दुगुनी है। कृषि सकल राजकीय घरेलू उत्पाद बढ़कर 5.1% हो गई है। वहीं औद्योगिक उत्पादन 13.3% और सेवा क्षेत्र 9.8% की दर से बढ़ा है। बिजली की हालत में जबरदस्त सुधार हुआ है। विद्युत् आपूर्ति में चार गुना की बढ़ोत्तरी हुई है (700 मेगावाट से 3012 मेगावाट)। प्रति व्यक्ति बिजली की खपत तीन गुना हो गई है (70 यूनिट से 203 यूनिट)। लगभग 36,504 गाँवों (इसमें आंशिक रूप से विद्युतिकृत गाँव भी शामिल हैं) में विद्युतिकरण किया जा चुका हैं। पिछले एक दशक में बिहार में सड़कों का जाल दुगुना हुआ है। 66,500 किमी से अधिक की सड़कें और हज़ारों पुलों ने बिहार के कोने-कोने को आपस में जोड़ दिया है। ....... कुछ ही वर्षों में बिहार देश के विकसित राज्यों में अग्रणी जगह बनाने का अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेगा।बिहार के विकास के लिए 2.70 लाख करोड़ का नीतीश कुमार का सात सूत्री एजेण्डा
Why Voters should be wary of communal tension and polarization in Bihar
भाजपा ने किस तरह 1.08 लाख करोड़ की रिपैकेजिंग की
जब विशेषज्ञों ने इन आंकड़ों की बारिकियों को समझा तो उन्होंने पाया कि 1.25 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज में 1.08 लाख करोड़ तो उन स्वीकृत विकास परियोजनाओं से संबंधित हैं, जिन पर पहले से काम हो रहा है! .... सत्य अब सब कोई जान चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रदेश के लिए 1.25 लाख करोड रूपये के विशेष पैकेज की घोषणा पुरानी योजनाओं की ‘रिपैकेजिंग’ है। विशेष पैकेज में एक लाख आठ हजार करोड़ रुपये अथवा 87 प्रतिशत राशि पुरानी योजनाओं की है। ऐसे में सवा लाख करोड़ रुपया एक जुमला ही लगता है। ..... बिहार को केवल 10,368 करोड़ आएंगे। शेष 1.08 लाख करोड़ रुपये उन पुरानी योजनाओं व परियोजनाओं से संबधित है, जिसे पूर्व में ही स्वीकृति मिली हुई है। विशेष पैकेज में आवंटित नई राशि 6000 करोड़ है लेकिन इसके उपयोग का कोई ब्यौरा जमीन पर उतरता नहीं दिखता। ऐसे में बिहार को केवल पैकेज में मात्र 10368 करोड़ रूपये की अतिरिक्त राशि मिलती दिख है लेकिन यह राशि भी कब तक और कैसे मिलेगी उसके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। ...... भाजपा सवा लाख करोड़ के जुमले को लोगों तक पहुंचा रही है, यह सोचकर कि उसे लोग वोट करेंगे लेकिन बिहार की जनता सच्चाई जानती है क्योंकि उसने पिछले दस सालों में असली विकास देखा है।......पैकेज के लिए पैसे बजट से नहीं आ रहा है। सरकार ने इस बात की परवाह किए बिना कि एजेंसियां खर्च वहन कर पाएगी या नहीं सार्वजिनक क्षेत्र की कंपनियों भारतीय तेल निगम, नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, और भारत गैस अथॉरिटी पर भार दे दिया। ...... उर्जा से संबंधित परियोजना को पूरा करने में 10 साल लग सकते हैं। गंगा, सोन और कोसी पर पुल और फोर लेन सड़क बनाने में भी कई साल लगेंगे। यही हाल रिफाइनरी और पाइपलाइन का होगा। ...... हालांकि यदि हम 10,368 करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं को 10 साल में बांटते हैं तो बिहार को प्रति वर्ष केवल 1,037 करोड़ ही मिलेंगे। ..... इस भ्रम में है कि बिहार की जनता सवा लाख करोड़ और 10,368 करोड़ के बीच का अंतर नहीं समझ रही है। या फिर हमारा डीएनए सच और कल्पना के बीच का अंतर नहीं समझती है।Bihar’s crime statistics show consistent improvement, BJP-Governed States lag far behind
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