मधेश में चल रहे आन्दोलन, कैलाली की हिंसक घटना, कई जिलों में चल रहे हिंसक झडप, कर्फ्यू, सेना परिचालन के बावजूद तीन दलों ने जबरन संविधान जारी करने का जो फैसला लिया गया उसके बाद भारत ने दो टूक बात रखते हुए अपना रूख स्पष्ट कर दिया है। और नेपाल के नेताओं को साफ साफ बता दिया है कि दो-चार लोगों के कमरे में बैठकर संविधान बनाना उचित नहीं।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुशील कोईराला को फोन कर वार्ता और सहमति के जरिए ही संविधान जारी करने का सुझाव दिया है। मधेश आन्दोलन के हिंसक रूप लेने बाद मोदी ने साफ कर दिया है काठमांडू में रहे राजनीतिक नेतृत्व की यह जिम्मेवारी बनती है कि वो सभी आन्दोलनरत पक्ष की बात सुने उनसे वार्ता करे और उसके बाद ही संविधान जारी करे। दो चार नेताओं की सहमति से बनने वाला संविधान भारत को मान्य नहीं होगा।
The only full timer out of the 200,000 Nepalis in the US to work for Nepal's democracy and social justice movements in 2005-06.
Wednesday, August 26, 2015
India In Solidarity
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