काठमाडौँमा निर्णय नहुँदै सुदुरपश्चिममा आगो बल्यो
लिम्बुवानले दलहरुको सहमति नमान्ने
दोस्रो चरणको आन्दोलन घोषणा
दिल्लीमा देउवाले भने, ‘म पनि भारतीय बाबुको छोरा हुँ’
कैलाली जिल्लालाइ टुक्या्रउन नहुने र अखण्ड सुदुर पश्चिम यथावत रहनु पर्ने माग गर्दै कैलालीको लम्कीमा आज १ घण्टा चक्काजाम गरिएको छ । शिर्ष नेताहरुको वैठकले कैलालीलाई थारुवानमा राख्न सहमती नजिक पुगेको सुन्नेवित्तिकै उनिहरुले अनिश्चितकालिन बन्दको घोषणा गर्दै आन्दोलन सुरु गरेका हुन् । ...... बुधवार विरोध प्रदर्शन गर्दैअखंड तराई/थरुहट आन्दोलन, २०६९ : डा. सी. के. राउत 'मधेश का इतिहास'
स्थानियले नेपाली कांगे्रस, ने.क.पा. एमाले ए.ने.क.पा माओवादी विरुद्ध नारावाजी गरेका थिए ।
बिरोध सभामा बोल्दै बक्ताहरुले कैलाली जिल्लालाई अखण्ड सुदुर पश्चिम बाट टुक्या्रउने कोशिस नगर्न चेतावनी दिएका छन् । उनीहरुले अखण्ड सुदुर पश्चिमबाट कैलालीलाइ टुक्रयाउने कोशिस गरे ठुलो क्षेती ब्यहोर्नु पर्ने समेत वताएका थिए ।
पर मधेश के आदिवासी भूमिपुत्रों को यह कैसे स्वीकार होता? दशकों से अपनी ही भूमि पर कमैया और कमलरी बनकर जीने के लिए मजबूर मधेशी भूमिपुत्र, इस नए राजनैतिक परिवर्तन और बलिदान के बाद भी, शासकों का वह आधिपत्य कैसे स्वीकार करने के लिए राजी होते? शुरू से ही आदिवासी जनजाति सम्बद्ध संघ-संगठनों ने प्रेस-विज्ञप्ति निकालकर कैलाली कंचनपुर को पहाड़ी संरचना में जोड़े जाने की माँग को लेकर की गई हड़ताल पर आपत्ति जताई। ..... संघीय संरचना के निर्माण में नेपाल के शासकवर्ग द्वारा तराई/थारूवान से कैलाली कंचनपुर को हटाकर छीनने का प्रयास किए जाने पर हर मूल्य चुकाने के लिए तैयार होने की बात आदिवासी जनजाति महासंघ, थारू कल्याणकारिणी सभा, नेपाल तामाङ घेदुङ कैलाली, मुक्त कमैया समाज, थारू विद्यार्थी समाज, थरूहट तराई पार्टी, थारू राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा और आदिवासी जनजाति महिला संघ सहित के संस्थाओं ने प्रेस-विज्ञप्ति के ज़रिए बताई थी। ..... उधर अखण्ड थरूहट प्रदेश माँग करते हुए ‘संयुक्त लोकतान्त्रिक थारू मोर्चा’ का दो-दिवसीय सम्मेलन बैसाख १६ गते शनिवार समाप्त हुआ। उसमें मधेशी जनअधिकार फोरम (लोकतान्त्रिक), माओवादी, काँग्रेस, एमाले, तमलोपा, तमलोपा नेपाल और संघीय सद्भावना पार्टी सहित के थारू सभासद् भी सहभागी थे। सम्मेलन ने आत्मनिर्णय के अधिकार और अग्राधिकार सहित समग्र तराई अखण्ड थरूहट स्वायत्त प्रदेश कायम करने की माँग की।{“अखण्ड थरूहट माग,” कान्तिपुर, २०६९ साल बैसाख १७.} सम्मेलन के बाद पत्रकार सम्मेलन में मोर्चा के संयोजक सुरेन्द्र चौधरी ने पूर्व झापा से पश्चिम कंचनपुर तक अखण्ड थरूहट कायम करने की बात बताई। मोर्चा नेहामी ‘जेनुइन’ मधेसी होइन,हामी त पहाडबाट झरेका तराईवासीमात्र हौं.........
“झापा से कंचनपुर तक, चुरे पर्वत क्षेत्र में स्थित उदयपुर के त्रियुगा क्षेत्र, सिन्धुली के कमला खोंच, चितवन की उत्तरी सीमा, दांग उपत्यका और सुर्खेत उपत्यका को भी समेटकर, पूर्व-पश्चिम तथा दक्षिण में भारतीय सीमावर्ती चार किले के भीतर के भूभाग को थरूहट भूगोल कायम करने की माँग की।”
{पूर्ववत्} उसमें, संयुक्त लोकतान्त्रिक मधेशी मोर्चा का भी समर्थन रहा। मोर्चा के एक नेता ने कहा, “चाहे आप इसको थरूहट नाम दे या मधेश, हम अखण्ड तराई चाहते हैं।”{“Tharu alliance for integrated Tharuhat state,” Republica, Apr 28, 2012.} थारू नेताओं ने भी अपने आन्दोलन में संयुक्त लोकतान्त्रिक मधेशी मोर्चा का समर्थन होने की बात बताई। ........ थारुओं की पहचान समेटे हुए कैलाली और कंचनपुर जिले थारुओं की पुरातन भूमि होने के कारण उसे किसी भी हालत में पहाड़ी शासक के अधीन न होने देने और उसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार होने की बात थारू कल्याणकारिणी सभा, कैलाली के सचिव माधव चौधरी ने बताई। ........ बैसाख के अन्तिम सप्ताह में नेपालियों और थारुओं के बीच कई जगहों पर भिड़न्त हुई। परिणामस्वरूप पूर्व मेची से लेकर पश्चिम महाकाली तक की मधेशी जनता उठ पड़ी। इटहरी, नवलपरासी और महेन्द्रनगर में मधेशियों और नेपालियों के बीच टकराव हुआ। ....... बैसाख २६ गते मंगलवार को संयुक्त थारू संघर्ष समिति द्वारा आह्वान किए गए तराई बन्द के क्रम में नवलपरासी के डण्डा में थारू प्रदर्शनकारियों पर नेपालियों ने आक्रमण कर दिया। उससे कम-से-कम छह लोग घायल हुए। नेपालियों ने थारू संग्रहालय पर भी आक्रमण करके धज्जियाँ उड़ा दीं, और संग्रहालय में आग लगा दी। नेपाल पुलिस मूक दर्शक बनकर देखती रही। इस तरह से थारुओं का नामोनिशान मिटाने के लिए नेपाल के शासकवर्ग और पुलिस प्रशासन सभी मिले हुए थे। उधर महेन्द्रनगर में प्रदर्शन खत्म करके घर तरफ लौट रहे थारू कार्यकर्ताओं पर कंचनपुर इलाके के कुछ नेपालियों ने मंगलवार रात को आक्रमण कर दिया। उधर चितवन भी बहुत प्रभावित रहा। भरतपुर, नारायणगढ़, आँपटारी, सौराहाचोक, पर्सा, भण्डारी, मेघौली और माड़ी क्षेत्र में प्रदर्शन हुआ। पूर्व में भी जीवन कष्टकर रहा। विराटनगर का जनजीवन भी बन्द के कारण प्रभावित रहा। पूर्व में हो रहे बन्द से सुनसरी, झापा, मोरंग, सिरहा, सप्तरी और उदयपुर प्रभावित रहे। सुन्सरी के इटहरी में बन्द की अवज्ञा करते हुए कुछ यातायात व्यवसायी मंगलवार प्रतिकार में उतरे और थारू कार्यकर्ताओं पर आक्रमण कर डाले। इसी बीच, “थारू संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा बुधवार आन्दोलन का कार्यक्रम सार्वजनिक किए जाने की बात नेता लक्ष्मण चौधरी ने बताई। जातीय पहिचान सहित के थारूवान राज्य के लिए कंचनपुर से पूर्व मेची तक के थारू लोग एकजुट होकर किसी भी तरह के आन्दोलन के लिए तैयार होने की बात उन्होंने बताई। ........ थारू संग्रहालय पर मंगलवार हुई तोड़फोड़ के विरोध में, बैसाख २७ गते बुधवार को, थारूहट संघर्ष समिति ने नवलपरासी बन्द की घोषणा की। उस क्रम में थारू आन्दोलनकारियों पर नेपाल पुलिस ने व्यापक दमन किया। कावासोती (दण्डा) में पुलिस ने अन्धाधुन्ध गोली चलाई। लगभग ५० आदमियों को पुलिस ने गोली मारकर गिराया, जिसमें सात मरणासन्न घायल हुए। घायलों में से धनबहादुर थनेत, ताराप्रसाद थनेत, महेन्द्र मगर, विशाल चौधरी और टेकबहादुर चौधरी थे। उन्हें काठमाण्डू ले जाने की तैयारी की गई। “घायल व्यवस्थापन समिति के अध्यक्ष मीनराज चौधरी ने शान्तिपूर्ण आन्दोलन में पुलिस द्वारा अचानक गोली चलाए जाने की बात बताई। चौधरी ने कहा,‘गोली चलाने से पहले अपनाई जाने वाली चेतावनी, लाठी चार्ज, अश्रु ग्याँस या हवाई फायर भी न करके तलाश-तलाश कर पुलिस ने आन्दोलनकारियों को गोली मारी।’ उतना ही नहीं उस समय पुलिस द्वारा प्रयोग की गई साम्प्रदायिक गालियाँ
यहाँ पर उल्लेख नहीं की जा सकतीं। इलाका प्रहरी कार्यालय कावासोती के डि.एस.पी. राजेन्द्र मरासिनी के कमाण्ड में रही पुलिस प्रहरी कम और बाहुन-क्षेत्री संगठन के कार्यकर्ता ज्यादा होकर गोली चलाने की बात एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताई।” ........ संघर्ष समिति ने बैसाख २९ गते से दो दिवसीय आमसभा कैलाली में करने की घोषणा की। उस क्रम में २९ गते कैलाली की विभिन्न जगहों पर हुई मुठभेड़ में ३०–४० से ज्यादा आन्दोलनकारी घायल हुए। घायलों में से सात लोगों की स्थिति गंभीर थी। ......धनगढ़ी आमसभा में सहभागी होने के लिए बौनिया से ट्रैक्टर में आ रहे थारू कार्यकर्ताओं पर नेपालियों ने आक्रमण कर दिया, जिसमें कई घायल हुए। नेपालियों ने ट्रैक्टर को भी मुढ़ा बजार में जला डाला। मुढ़ा में थारू कार्यकर्ताओं के लगभग २०० थान साइकिलें भी जला दी गईं। पार्क मोड़ प्रहरी प्रशासन एक पक्षीय रूप में थारू आन्दोलनकारियों को दबाता रहा।
........... आमसभा समाप्त होने के बादअस्पताल में रहे घायलों को मिलने अस्पताल पहुँचे थरूहट तराई पार्टी के अध्यक्ष लक्ष्मण थारू पर अस्पताल परिसर में ही नेपाल पुलिस ने आक्रमण कर दिया।
पुलिस की मारपीट से लक्ष्मण थारू घायल हुए। उसी तरह, पुलिस की मारपीट से थारू कल्याणकारिणी सभा के कैलाली जिला सभापति प्रभात चौधरी और नेता होरीलाल चौधरी भी घायल हुए।
कुरा कस्तो हो भने हामी पहाडबाट तराईमा बसाइँ सर्यौं । तराईका कतिपय क्षेत्रमा पहाडेहरूको जनसांख्यिक वर्चस्व पनि छ । तर, म ‘जेनुइन’ मधेसी त होइन नि । मेरा सातौं पुस्ताअघिका बाबुबाजे झापामा झरेका थिए । पहाडबाट झरेकाहरू ‘म पनि त मधेसी हुँ नि’ भन्छन् । कुरा त्यस्तो होइन । म त साथीहरूलाई भन्छु पनि, ‘हामी मधेसी होइनौं । मधेसी भनेको छुट्टै भाषा, संस्कृति भएको समुदाय हो । हामी त पहाडबाट झरेका तराईवासीमात्र हौं ।’- प्रा. लोकराज बराल, राजनीतिशास्त्री
मधेसी भन्नु र तराईबासी भन्नुमा फरक छ । यस्ता कुरा नबुझ्दा पनि जटिलता पैदा भइरहेको छ ।
लिम्बुवानले दलहरुको सहमति नमान्ने
दोस्रो चरणको आन्दोलन घोषणा
सो पार्टीले घोषणा गरेको दोस्रो चरणको आन्दोलनमा आमहड्तालसहित साउन २२ गते शुक्रबारदेखि आगामी भदौ १५ गतेसम्मका कार्यक्रमहरु रहेका छन् । जसअनुसार साउन ३१ गते लिम्बुवानका नौ जिल्लामा आमहड्ताल गर्ने साथै लिम्बुवानमा राँकेजुलुस, भित्तेलेखन, पम्प्लेटिङ, अन्तरक्रिया लगायतका कार्यक्रम गर्ने विज्ञप्तिमा उल्लेख गरिएको छ । यसअघि साउन १ देखि ५ गतेसम्म पहिलो चरणको आन्दोलन सम्पन्न गरेको सो पार्टी जनाएको छ ।
दिल्लीमा देउवाले भने, ‘म पनि भारतीय बाबुको छोरा हुँ’
शेरबहादुर देउवाले आफू भारतीय मुलको नेपाली भएको बताएका छन् । ......६ प्रदेशमै सहमति बन्दै
देउवाले आफ्ना पिता भारतीय भएको बताए ।
..... देउवाले आफ्ना पिता भारत गढवालबाट नेपाल आएको बताए । ...... देउवाले नेपाल र भारतबीच लामो समयदेखि भाषिक र सांस्कृतिक सम्बन्ध रहेको भन्दै त्यसलाई विश्वकै उदाहरणीयको संज्ञा दिए । ...... ‘म गर्वका साथ भन्छु कि मेरा पिताजी भारत गढवालका हुनुहुन्थ्यो ।’ देउवाका पिता प्रसादसिंह देउवाको ०६८ चैत ३ मा निधन भएको थियो । ...... देउवाले विवादास्पद लिपुलेक नेपालको मात्र नभई चीन र भारतको समेत भएको बताए । ....... लिपुलेक त्रिदेशीय सिमामा पर्ने भएकाले नेपालीले आफ्नो मात्र भएको दाबी गर्नु उचित नभएको उनको भनाइ थियो । ‘लिपुलेक नेपालको मात्र होइन, त्रिदेशीय सिमा हो, देउवाले भने, ‘लिपुलेकमा भारतले पनि दाबी गर्न मिल्छ ।’ ...... आफूले भारत आउनुअघि नापी विभागका महानिर्देशकलाई बोलाएर जानकारी माग्दा लिपुलेक त्रिदेशीय सिमामा पर्ने जानकारी पाएको भनाइ देउवाको थियो । .........अन्तरक्रियापछिको चियापानमा दिल्लीस्थित एक नेपाली सञ्चारमाध्यमकी प्रतिनिधिले लिपुलेकबारे छलफल गर्न दिल्ली आउनुभएको हो भन्ने जिज्ञाशा राख्दा देउवा झोक्किएका थिए ।
संघीयतासम्बन्धी विवाद ६ प्रदेश निर्माण गर्ने समझदारीमा टुंग्याउन लागेको स्पष्ट संकेत गरे । तर उनीहरूले छलफल गरेका प्रदेशको सीमांकनसम्बन्धी वैकल्पिक प्रस्ताव र सम्भावित सहमतिको खाका गोप्य राखेका छन् । ..... बिहीबार मस्यौदा परिमार्जनका लागि मुख्य राजनीतिक विषयमा सहमति भए साउन मसान्तमै संविधान जारी हुने सम्भावना रहन्छ । .....
झापा, मोरङ, सुनसरीलाई पूर्व तराई प्रदेशमा राख्नुपर्ने मधेस केन्द्रित दलहरूको प्रस्तावका पक्षमा रहेको एमाओवादीले नागरिकता, समानुपातिक समावेशी प्रतिनिधित्व र विशेष संरचना जस्ता आफ्नो प्रस्तावमा अन्य दलहरू सहमत हुनुपर्ने सर्त राखेको बैठक स्रोतको भनाइ छ ।
....... जनताको सुझावअनुसार गाउँपालिका र नगरपालिकामा वडाध्यक्षको प्रत्यक्ष निर्वाचन गर्ने व्यवस्थाका लागि नेताहरू तयार छन् ।
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