जिंदगी में पहली बार मैं ग्रेटर नेपाल के सपने देखने लगा हुँ। पहले तो नेपाल के भितर जनमत संग्रह करना होगा। उसके बाद negotiate करना होगा। उत्तराखंड और सिक्किम वालों को भी मानना होगा। दार्जिलिंग तो मान जाएगी ही। ममता बनर्जी भी मान जाएगी। त्रिपाल जो भेजा था ढेर सारा। कुछ तो सहानुभूति है।
सिक्किम का एक MP, दार्जिलिंग का एक, नेपाल का १३, उत्तराखंड का ५ ---- तो जम्मा २० ---- बिहार के आधे साइज पे आ गया।
उसके बाद शायद मिथिला निकल जाए। बिहार और नेपाल दोनों से भुमि ले के।
पृथ्वी नारायण शाह का नाक कान काट्ने वाला जमाना गया। अभी तो लोकतंत्र का जमाना है। कोइ अभी के नेपाल के भूभाग से MP बनके सारे भारत पर राज कर सकता है ----- पृथ्वी ने वो बात सपने में भी नहीं देखी थी। वो तो हिन्दुस्तान से भाग के आया भगौड़ा था।
पुर्व मा टिष्टा पुगे थ्यौ भन्थे -- फेरि पुग्दिने।
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