Sunday, January 15, 2006

अइ आन्दोलनमें मधेशी अधिकारके बात


कोइ कहइ छइ लोकतन्त्रके लडाईमें मधेशी अधिकारके बात कएलासे आन्दोलन डिस्टर्ब होतइ। हम कहइ छियई होतइ त होतइ। २०४६ सालके आन्दोलनमें देशमें प्रथम शहीद भेलइ धनुषाके यदुकुहासे। लेकिन ओइके बाद जे सम्विधान अलइ ताइमें मधेशी समुदायके साथ विश्वासघात भेल् छइ। से गल्ती अइ बेर न हइ दोहराबेके। हाले जनकपुरमें सात पार्टीके आम सभा भेलइ। नेपालके इतिहासमें ततेक् बड्का आम सभा कहियो न भेल् छलइय। उ तीन लाख मधेशी १३ लाख पहाडीके हौसला बुलन्द करि रहल छइ, आ आहाँ कहबई ओइ मधेशीके चुप होबे के त केना होतइ? देखइ छियइ कतेक् मधेशी सब पढिलिखके बुरिया जाइत् रहइ छइ।

लोग कहइ छइ दलित, मधेशी, जनजाति, महिला। सेहे बात त हमहुँ कहइ छियइ। लेकिन हमरा बुझाइत् रहइय नेपालमें पहाडी-मधेशी वाला मुद्दाके सामनें बाँकी सब मुद्दा फीका परि जाइ छइ। सामाजिक न्याय बेगरके लोकतन्त्र कोनो लोकतन्त्र थोरे भेलई? आ ओइ सामाजिक न्यायके मुद्दामें सबसे नम्बर एक मुद्दा जे छइ, तही पर अगर छलफल न होतई त उ लोकतान्त्रिक आन्दोलन केना भेलई?

हम त जतेक् पहाडी सब हइ आ ओक्कर पिछ्लग्गु मधेशी सब हइ तेक्कर सबके काम आसान क देनें छियइ। हम त एगो संविधाने लिख् देनें छियइ। सहमति असहमति जाहेर करेके सबके मौका दे रहल छियइ।

Proposed Republican Constitution 2006

दुनियाँ भरमें छिरियाइल मधेशी सबके अप्पन अप्पन मानसिक दासतासे मुक्ति पाबेके इ आन्दोलन एगो सुवर्ण मौका ही छई। प्रवासी मधेशी सब अइ आन्दोलनके सहयोग कके नेपालमें रहि रहल लोगके गुण न लगा रहल हई, बल्कि खुद् मुक्ति पा रहल हइ।

देखइत् रहइ छियइ कतेक् पहाडी सब मधेशी शब्द तक उच्चारण करे से इन्कार करइत् रहइ हइ। सडलपाकल दिल हइ तेकरा सबके। उ सब सामाजिक प्रदुषण पैदा करइत् रहइ छइ। उ सामाजिक प्रदुषण प्रवासमें भी छइ। मुक्तिके लडाइ त प्रवासमें भी छइ। विदेशमें त अप्पन अप्पन सबके क्यारियर रहई छइ, दाल रोटीके सवाल प कोनो पहाडीके दाल न गलइ छइ, तइयो देखइत् रहइ छियइ कतेक मधेशीके मधेशी अधिकारके बात करे में जेना डर लगइत् रहइ छइ। मानसिक दासता एगो हिस्का जिका भ गेल् रहइ छइ। जेना कतेक् लोग नेंओ चिबबइत् रहइ छइ।

नेपालमें डेढ करोड मधेशी दोसर दर्जाके नागरिक भ के रहि रहल हइ। प्रवासमें मधेशी सब पहाडी सामाजिक सर्कल् सबमें दोसर दर्जाके सामाजिक प्राणी भ के रहि रहल हई। दुन्नुके स्थितिमें बहुत ज्यादा अन्तर न हइ।

कोनो पहाडी आहाँ प्रति पहाडी-मधेशीके फिलिङ करइय त उ त आहाँके माइ बापके गाली दे रहल हबे, कि नइ? आहाँके परिवारके, आहाँके घर अङनाके, आहाँके गामके, आहाँके दुरा दर्वज्जा सबके गाली दे रहल हबे। से आहाँ कइला बर्दास्त करि रहल छियइ? अप्पन भाषा, संस्क्रृतिके अपमान आहाँ केकरा पुछिके सहि रहल छियइ?

समानताके इ लडाइ आहाँ लडियउ, आ से जे नइ करबइ त वहे लडाइ आहाँके बालबच्चाके लडे पडत्। नेपालके इ लोकतान्त्रिक आन्दोलन आ ओइ भितरके सामाजिक न्यायके लडाइ ततेक् महत्वपूर्ण छइ। समय दे सकइ छियइ त समय दियउ, पैसा दे सकइ छियइ त पैसा दियउ, राजनीतिक रूपसे सक्रिय भ सकइ छियइ त से होइयउ।

लोकतन्त्रके नारा आ मधेशी अधिकारके नारा बिल्कुल साथ ले जाएके हइ। आन्दोलनके अन्तर्गत जे पहाडी आहाँके साथ समानताके व्यवहार न करइय उ आन्दोलनकारी नइ भेलइ।


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Common Minimum Program: Constituent Assembly
The Emotional Structure Of The Conflict
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